क्या है? पायरिया
दाँतों एवं मसूड़ों का सबसे अधिक प्रसिद्ध एवं गम्भीर रोग पायरिया (Pyorrhoea) है जो कि मुखगुहा की स्वच्छता में लापरवाही के अतिरिक्त दाँतों के आस-पास पपड़ी जमा होने से भी हो जाता है। इस दशा में पीव (Pus) निकलती रहती है। पायेरिया (पस) का आना इसी से नाम पड़ा है। अर्थात सूजे हुए (लाल और जलन वाले) पीडादायक मसूड़े जिनमें से बड़ी आसानी से खून निकलने लगता है।
Pyorrhoea Causes
दाँतों और मसूड़ों की सफाई अच्छी तरह और हमेशा न करने से, काफी मात्रा में पौष्टिक आहार न खाने से (कुपोषण), दाँतों में कीड़ा लगना, विटामिन सी वाला भोजन उचित परिणाम में न मिलना, मधुमेह, क्षय, पाण्डु आदि बहुत दुर्बलताजन्य रोगों से, उदर विकारों, पेट में गैस की शिकायत सर्वथा मीठे पदार्थ खाते रहने, दाँतों एवं मसूड़ों का सबसे अधिक प्रसिद्ध एवं गम्भीर रोग पायरिया (Pyorrhoea) है जो कि मुखगुहा की स्वच्छता में लापरवाही के अतिरिक्त दाँतों के आस-पास पपड़ी जमा होने से भी हो जाता है। इस दशा में पीव (Pus) निकलती रहती है। पायेरिया (पस) का आना इसी से नाम पड़ा है। अर्थात सूजे हुए (लाल और जलन वाले) पीडादायक मसूड़े जिनमें से बड़ी आसानी से खून निकलने लगता है।
रात में दूध पीकर या भोजन कर दाँतों को भली-भाँति साफ न करने, अत्यधिक गर्म चाय-कॉफी पीने, गरम भोजन या पेय सेवन कर तुरन्त ठंडे जल से कुल्ला करने से मसूड़ों में लगातार बनी रहने वाली शोथ, मसूड़ों में चोट एवं खरोंच लग जाने, विटामिन बी काम्पलेक्स की कमी रात-दिन फ्रिज (Friz) का ठंडा पानी पीने या बर्फ के टुकड़े खाते रहने आदि से पायरिया रोग हो सकता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसका कारण बैक्टीरिया / जीवाणु माना गया है।
Pyorrhoea Symptoms
शुरूआत में इस रोग का पता नहीं चलता है और न ही दर्द का अहसास होता है। बाद में रोग के बढ़ने पर मसूड़ों में शोथ रहने लगता है जिसके आरम्भ में मसूड़े गुलाबी प्राकृतिक रंग में परिवर्तित होकर इनसे बहुत सरलता के साथ रक्त आता है। तत्पश्चात् मसूड़ों का माँस सिकुड़ कर दाँत की मूल को खाली पोला बना देता है तथा दाँत अपने सॉकिट में ढीला पड़ जाता है।
इन स्थानों में बैक्टीरिया तथा भोजन के कण भर जाने से पायरिया में वृद्धि का कारण बनते हैं। इन्हीं रिक्त स्थानों में पीव एकत्रित हो जाती है। अंत में रोगी के मुँह से बदबू आने लगती है। शोथ युक्त मसूड़े दबाने पर दर्द करते हैं। दाँतों में पीलापन उतर आता है। मसूड़ों से खून या पीव आने लगता है । दाँतुन या ब्रश करने से रोगग्रस्त मसूड़ों से खून आने लगता है। रोगी का मुँह हमेशा चिपचिपा रहता है।
रोग की पहचान
यह एक प्रकार का पुराना मसूड़ों का प्रदाह है। इसमें दौतों में मैल जमा हो जाती है। मसूड़ों से खून और पीव आता है। पायरिया किस स्टेज में है. इसकी पहचान रोगी के दाँतों के चारों ओर दाँत और मसूड़ों के बीच बनी जगह की गहराई से होती है। दंत विशेषज्ञ अपने विशेष उपकरणों की मदद से इस बात का पता लगा लेते हैं।
रोग का परिणाम
रोग के पुराना हो जाने पर मसूड़े सिकुड़ जाते हैं, जिसके कारण दाँत नंगे से हो जाते हैं। रोगी के कभी-कभी हाथ-पाँव में दर्द या उसके जोड़ों में सूजन भी आ सकती है। रोग उग्र रूप धारण करके रोगी का जीवन नष्ट करने की स्थिति में आ जाता है। पायरिया का रोगी जब अस्पताल पहुँचता है तब रोग अपनी उग्रावस्था में रहता है।
TOOTH ACHE- दंतशूल/दाँत का दर्द)
निष्कर्ष
पायरिया Pyorrhoea(मसूड़ों से खून आना) एक गंभीर दंत रोग है जो लापरवाही और गलत खान-पान की आदतों के कारण बढ़ता है। अगर समय पर उपचार न किया जाए तो यह दाँतों की जड़ों को कमजोर कर देता है और दाँत गिरने तक की समस्या पैदा कर सकता है। नियमित ब्रशिंग, सही खान-पान, और समय-समय पर दंत चिकित्सक से जांच करवाना ही इससे बचाव का सबसे अच्छा उपाय है। स्वस्थ मसूड़े ही मजबूत और लंबे समय तक टिके रहने वाले दाँतों की पहचान हैं।