मूत्र त्याग हमारे शरीर की एक सामान्य और आवश्यक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से शरीर से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं। लेकिन जब किसी कारणवश मूत्र का प्रवाह रुक जाता है या मूत्र पूरी तरह से बाहर नहीं आ पाता, तो इस स्थिति को मूत्रावरोध (Urinary Retention) कहा जाता है।
यह एक ऐसी समस्या है जो अचानक (Acute Retention) भी हो सकती है और धीरे-धीरे (Chronic Retention) भी विकसित हो सकती है। यदि समय पर उपचार न किया जाए, तो यह किडनी को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है।
मूत्रावरोध क्या है?
मूत्रावरोध (Urinary Retention) वह अवस्था है जिसमें मूत्राशय (Urinary Bladder) पूरी तरह खाली नहीं हो पाता।
इसमें दो प्रकार की स्थितियाँ देखी जाती हैं —
- तीव्र मूत्रावरोध (Acute Retention of Urine):
अचानक मूत्र रुक जाना, जिससे व्यक्ति को बहुत तेज दर्द और बेचैनी होती है। - दीर्घकालिक मूत्रावरोध (Chronic Retention of Urine):
धीरे-धीरे मूत्र जमा होता रहता है, और व्यक्ति को यह एहसास भी नहीं होता कि मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं हो रहा।
मूत्र प्रवाह रुकने के प्रमुख कारण (Causes)
मूत्रावरोध कई कारणों से हो सकता है। इन्हें दो मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है — शारीरिक (Obstructive) और न्यूरोलॉजिकल (Neurological)।
1. शारीरिक कारण (Obstructive Causes)
- प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना (Benign Prostatic Hyperplasia – BPH) —
50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में सबसे आम कारण। - मूत्रमार्ग में पथरी (Urinary Stones) — मूत्र के प्रवाह को रोक सकती है।
- मूत्राशय या मूत्रमार्ग में ट्यूमर — मार्ग में अवरोध पैदा कर सकता है।
- संकुचित मूत्रमार्ग (Urethral Stricture) — पुरानी सूजन या संक्रमण से मार्ग संकरा हो जाता है।
2. न्यूरोलॉजिकल कारण (Neurological Causes)
- रीढ़ की हड्डी में चोट या दबाव
- मस्तिष्क या तंत्रिका तंत्र की बीमारियाँ (जैसे – Parkinson’s disease, Multiple Sclerosis)
- डायबिटीज (Diabetic Neuropathy) – नसों की कमजोरी के कारण मूत्राशय की संवेदना कम हो जाती है।
3. अन्य कारण
- दवाओं का प्रभाव (Antidepressants, Antihistamines, Painkillers आदि)
- संक्रमण (Urinary Tract Infection)
- मानसिक तनाव या भय
मूत्रावरोध के लक्षण (Symptoms)
- मूत्र त्यागने में कठिनाई या असमर्थता
- पेट के निचले हिस्से में सूजन या दर्द
- मूत्र त्याग के बाद भी मूत्राशय भारी लगना
- बार-बार पेशाब की इच्छा लेकिन मूत्र का कम निकलना
- मूत्रधारा का कमजोर होना या रुक-रुककर आना
- कभी-कभी मूत्र रिसाव (Overflow Incontinence) भी हो सकता है
निदान (Diagnosis)
सही निदान के लिए डॉक्टर निम्न जांचें कराते हैं —
- शारीरिक परीक्षण (Physical Examination)
- पेट के निचले हिस्से में सूजन या दर्द की जाँच।
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound / Bladder Scan)
- मूत्राशय में बचे मूत्र की मात्रा पता करने के लिए।
- यूरोफ्लोमेट्री (Uroflowmetry)
- मूत्र प्रवाह की गति और मात्रा का परीक्षण।
- ब्लड टेस्ट (Serum Creatinine, Urea)
- किडनी की कार्यक्षमता की जाँच के लिए।
- MRI / CT Scan
- यदि तंत्रिका संबंधी कारण का संदेह हो।
उपचार (Treatment)
उपचार का तरीका इस पर निर्भर करता है कि मूत्रावरोध का कारण क्या है।
1. तत्काल उपचार (Emergency Management)
- कैथेटराइजेशन (Catheterization) – मूत्राशय में ट्यूब डालकर मूत्र को बाहर निकाला जाता है।
- इससे तुरंत राहत मिलती है और ब्लैडर का दबाव कम होता है।
2. औषधीय उपचार (Medications)
- Alpha-blockers – जैसे Tamsulosin, Alfuzosin जो मूत्रमार्ग की मांसपेशियों को शिथिल करते हैं।
- 5-alpha reductase inhibitors – प्रोस्टेट का आकार घटाने में मदद करते हैं।
- संक्रमण की स्थिति में एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं।
3. सर्जिकल उपचार (Surgical Management)
- TURP (Transurethral Resection of Prostate) – बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि को हटाने की प्रक्रिया।
- Urethral Dilation या Stenting – संकुचित मूत्रमार्ग को चौड़ा करने के लिए।
- Cystolithotomy – यदि पथरी मूत्र प्रवाह को रोक रही हो।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (Ayurvedic View)
आयुर्वेद में मूत्रावरोध को “मूत्रवरोध” या “मूत्रकृच्छ्र” कहा गया है।
यह मुख्यतः अपान वायु के विकार से उत्पन्न होता है।
आयुर्वेदिक उपाय:
- पुनर्नवा, गोक्षुर, पाषाणभेद, वरुण जैसे औषधियों का प्रयोग।
- त्रिफला, गिलोय और दारुहरिद्रा से किडनी की कार्यक्षमता में सुधार।
- पंचकर्म (बस्ती चिकित्सा) मूत्रमार्ग को खोलने और वायु दोष संतुलित करने में सहायक।
- गुनगुना पानी पीना और तली-भुनी चीजों से परहेज।
संभावित जटिलताएँ (Complications)
यदि समय पर इलाज न किया जाए तो मूत्रावरोध कई गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है —
- मूत्राशय और किडनी में संक्रमण (UTI)
- किडनी फेलियर (Renal Failure)
- ब्लैडर में पथरी का निर्माण
- बार-बार मूत्र रिसाव या नियंत्रण खो देना
रोकथाम (Prevention Tips)
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ।
- लंबे समय तक पेशाब न रोकें।
- मूत्र पथ संक्रमण (UTI) का समय पर इलाज कराएँ।
- शराब और कैफीन का अधिक सेवन न करें।
- प्रोस्टेट की जांच नियमित रूप से कराएँ (विशेषकर 40 वर्ष के बाद)।
- नियमित व्यायाम और संतुलित आहार अपनाएँ।
FAQ – मूत्र प्रवाह रुकने से जुड़े आम सवाल
1. क्या मूत्र रुकने की समस्या हमेशा प्रोस्टेट के कारण होती है?
नहीं, इसके कई अन्य कारण हो सकते हैं जैसे पथरी, संक्रमण, या नसों की कमजोरी।
2. क्या यह समस्या महिलाओं में भी होती है?
हाँ, हालांकि यह पुरुषों में अधिक सामान्य है, लेकिन गर्भावस्था, श्रोणि (pelvic) सर्जरी या संक्रमण के कारण महिलाओं में भी हो सकती है।
3. क्या मूत्रावरोध खतरनाक है?
हाँ, अगर इलाज में देरी हो तो किडनी फेलियर तक की स्थिति हो सकती है।
4. क्या कैथेटर लगाना स्थायी उपाय है?
नहीं, यह केवल अस्थायी राहत के लिए होता है। कारण के अनुसार आगे की चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
5. क्या आयुर्वेदिक इलाज से राहत मिल सकती है?
हाँ, हल्के से मध्यम मामलों में आयुर्वेदिक औषधियाँ और पंचकर्म काफी उपयोगी साबित होते हैं। लेकिन इन्हें विशेषज्ञ की निगरानी में लेना चाहिए।