परिचय
यूरीमिया (Uraemia) का अर्थ है — “मूत्र का विष शरीर में फैल जाना”।
यह स्थिति तब होती है जब गुर्दे (Kidneys) शरीर से अपशिष्ट पदार्थों (Toxins) को सही ढंग से बाहर नहीं निकाल पाते।
नतीजतन, यूरिया, क्रिएटिनिन, अमोनिया और अन्य नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थ खून में जमा होने लगते हैं, जिससे शरीर में विषाक्तता फैल जाती है।
यह रोग अपने आप में बहुत गंभीर है, क्योंकि यह अक्सर किडनी फेल्योर (Kidney Failure) का संकेत होता है।
यदि इसका इलाज समय पर न किया जाए, तो यह जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
यूरीमिया क्या है?
“Uraemia” शब्द दो शब्दों से बना है —
- Ura: मूत्र (Urine)
- Emia: रक्त में उपस्थिति (Presence in blood)
अर्थात, जब मूत्र के तत्व रक्त में मिल जाते हैं, तो इसे यूरीमिया या मूत्र विषमयता कहा जाता है।
यह स्थिति किडनी के कार्य में कमी या रुकावट के कारण उत्पन्न होती है, जो Acute (अचानक) या Chronic (लंबे समय से) हो सकती है।
यूरीमिया के कारण (Causes of Uraemia)
- किडनी फेल्योर (Kidney Failure):
गुर्दों की कार्यक्षमता घट जाने से शरीर से विष बाहर नहीं निकल पाता। - लंबे समय तक नेफ्राइटिस या नेफ्रोसिस (Chronic Nephritis / Nephrosis):
गुर्दों में सूजन या कमजोरी के कारण। - मूत्र प्रवाह में रुकावट (Obstruction):
पथरी, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना या ट्यूमर के कारण मूत्र का प्रवाह रुकना। - हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension):
लंबे समय तक बढ़ा हुआ रक्तचाप किडनी की रक्त नलिकाओं को क्षति पहुंचाता है। - डायबिटीज (Diabetes Mellitus):
मधुमेह के कारण गुर्दों की फिल्टर करने की क्षमता कम हो जाती है। - ज्यादा दवाओं या विषैले पदार्थों का सेवन:
जैसे – पेनकिलर, एंटीबायोटिक्स, स्टेरॉयड, या शराब।
यूरीमिया के लक्षण (Symptoms of Uraemia)
- मितली (Nausea) और उल्टी (Vomiting)
- भूख में कमी (Loss of appetite)
- थकान और कमजोरी
- सिरदर्द और चक्कर
- चेहरे और पैरों में सूजन
- सांस की बदबू (Ammonia smell in breath)
- पेशाब कम आना (Oliguria) या बिल्कुल न आना (Anuria)
- त्वचा पर खुजली या जलन
- मानसिक भ्रम (Confusion) या बेहोशी
- सांस लेने में कठिनाई
- दिल की धड़कन अनियमित होना
- कभी-कभी झटके (Seizures)
निदान (Diagnosis)
यूरीमिया की पुष्टि के लिए निम्नलिखित जांचें की जाती हैं —
- Blood Urea & Serum Creatinine:
यूरिया और क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा हुआ मिलता है। - Blood Electrolytes (Sodium, Potassium):
इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन (High potassium) खतरनाक हो सकता है। - Urine Test (R/M Test):
प्रोटीन, शुगर या संक्रमण की जाँच के लिए। - Ultrasound KUB:
किडनी, मूत्राशय और रुकावट का पता लगाने के लिए। - Blood Pressure & ECG:
हृदय और रक्तचाप की स्थिति जानने हेतु।
उपचार (Treatment)
1. एलोपैथिक उपचार
- डायलिसिस (Dialysis):
रक्त से विषैले पदार्थों को निकालने का सबसे प्रभावी तरीका।- Hemodialysis या Peritoneal Dialysis किया जा सकता है।
- दवाएँ:
- यूरिया, क्रिएटिनिन, और पोटैशियम कम करने के लिए दवाएँ।
- संक्रमण रोकने के लिए Antibiotics।
- मितली, उल्टी और सूजन नियंत्रित करने वाली दवाएँ।
- फ्लूइड कंट्रोल:
मरीज को सीमित मात्रा में तरल दिया जाता है ताकि शरीर में अतिरिक्त पानी न जमा हो। - किडनी ट्रांसप्लांट:
गंभीर मामलों में जब किडनी पूरी तरह खराब हो जाए, तो प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प होता है।
2. आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में यूरीमिया को “मूत्र विषमयत” या “मूत्रकृच्छ्र / मूत्रावरोध जन्य विकार” के अंतर्गत माना गया है।
यह दोषों (Vata, Pitta, Kapha) के असंतुलन और गुर्दों की दुर्बलता* से उत्पन्न होता है।
👉 उपयोगी जड़ी-बूटियाँ और औषधियाँ:
- पुनर्नवा (Punarnava): मूत्रवर्धक और विषहर।
- गोखरू (Gokhru): मूत्र मार्ग की रुकावट दूर करता है।
- वरुण (Varun): गुर्दों की सूजन कम करता है।
- पाषाणभेद (Pashanbhed): विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक।
- चंद्रप्रभा वटी, गोक्षुरादि गुग्गुलु, पुनर्नवादि मंडूर:
किडनी की कार्यक्षमता सुधारने और यूरिया नियंत्रित करने में सहायक।
👉 आयुर्वेदिक सिरप या काढ़े:
- Renal Care Syrup / Nephro Detox Kadha / Mutrakricchra Chikitsa आदि औषधियाँ उपयोगी मानी जाती हैं।
आहार और जीवनशैली (Diet & Lifestyle)
क्या करें:
- पर्याप्त लेकिन नियंत्रित मात्रा में पानी पिएं (डॉक्टर की सलाह अनुसार)।
- फलों में – सेब, पपीता, बेल, और नारियल पानी का सेवन।
- नमक की मात्रा कम करें।
- हाई ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखें।
- हल्का व्यायाम और योग करें।
- तनाव (Stress) से बचें।
क्या न करें:
- प्रोटीन युक्त भोजन (मांस, दालें, सोया, पनीर) अधिक मात्रा में न लें।
- बहुत अधिक नमक, अचार, और मसालेदार भोजन से परहेज़ करें।
- शराब, सिगरेट और NSAID पेनकिलर से दूर रहें।
- पेशाब रोककर न रखें।
घरेलू उपाय (Home Remedies)
- धनिया पानी:
मूत्रवर्धक है, विष बाहर निकालने में मदद करता है। - एलोवेरा और आंवला रस:
किडनी को ठंडक और राहत प्रदान करते हैं। - नारियल पानी:
इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखता है। - गुनगुना नींबू पानी:
शरीर की सफाई में मददगार।
घरेलू उपाय केवल हल्के मामलों में सहायक हैं; गंभीर यूरीमिया में चिकित्सक की देखरेख आवश्यक है।)
बचाव के उपाय (Prevention Tips)
- नियमित रूप से Blood Urea & Creatinine Test करवाएं।
- पर्याप्त पानी पिएं और डिहाइड्रेशन से बचें।
- मधुमेह और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखें।
- संतुलित आहार और व्यायाम करें।
- किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं से बचें।
निष्कर्ष
यूरीमिया (Uraemia) एक गंभीर किडनी विकार है, जो शरीर में विषैले पदार्थों के जमाव से होता है।
यदि समय रहते पहचान और उपचार किया जाए, तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक जीवनशैली के माध्यम से किडनी की कार्यक्षमता को मजबूत बनाकर भविष्य में इस रोग से बचाव संभव है।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. क्या यूरीमिया और किडनी फेल्योर एक ही चीज़ हैं?
👉 नहीं, यूरीमिया किडनी फेल्योर का परिणाम है — जब किडनी अपना कार्य सही से नहीं कर पाती।
Q2. क्या यूरीमिया पूरी तरह ठीक हो सकता है?
👉 यदि यह प्रारंभिक अवस्था में है तो नियंत्रण में लाया जा सकता है, लेकिन गंभीर स्थिति में डायलिसिस या ट्रांसप्लांट आवश्यक होता है।
Q3. क्या यूरीमिया में पानी पीना सुरक्षित है?
👉 पानी की मात्रा डॉक्टर तय करते हैं; अधिक पानी से सूजन और सांस की समस्या बढ़ सकती है।
Q4. क्या आयुर्वेदिक इलाज से राहत मिल सकती है?
👉 हाँ, आयुर्वेदिक औषधियाँ गुर्दों की शक्ति बढ़ाने और विषैले तत्व निकालने में सहायक होती हैं।
Q5. क्या यह रोग जानलेवा हो सकता है?
👉 हाँ, यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यूरीमिया जीवन के लिए खतरा बन सकता है।