Nephrotic Syndrome – शरीर में सूजन और किडनी की कमजोरी से राहत

नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम एक ऐसी गंभीर गुर्दे (Kidney) की समस्या है जिसमें शरीर से अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन मूत्र (Urine) के माध्यम से बाहर निकलने लगता है। यह स्थिति धीरे-धीरे शरीर में सूजन, कमजोरी और अन्य जटिल लक्षण पैदा करती है।

यह समस्या बच्चों और वयस्कों दोनों में देखी जाती है, और अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह किडनी फेलियर (Kidney Failure) तक का कारण बन सकती है।

नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम (Nephrotic Syndrome) क्या है?

सामान्य स्थिति में हमारी किडनी रक्त को फ़िल्टर करती है और केवल अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के माध्यम से बाहर निकालती है।
लेकिन जब किडनी के ग्लोमेरुलस (Glomerulus) नामक सूक्ष्म फिल्टर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो प्रोटीन (विशेषकर एल्ब्यूमिन) मूत्र के साथ बाहर निकलने लगता है।
इसी स्थिति को Nephrotic Syndrome कहा जाता है।

मुख्य लक्षण (Symptoms)

नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम के शुरुआती लक्षण अक्सर धीरे-धीरे बढ़ते हैं। प्रमुख लक्षण हैं —

  1. शरीर में सूजन (Edema)
    • सबसे पहले सूजन चेहरे, आंखों और पैरों में दिखाई देती है।
    • बाद में यह पूरे शरीर में फैल सकती है।
  2. मूत्र में झाग (Frothy Urine)
    • प्रोटीन के कारण मूत्र झागदार या फेनिल हो जाता है।
  3. मूत्र की मात्रा में कमी
    • पेशाब कम आना या रुक-रुक कर आना।
  4. थकान और कमजोरी
    • प्रोटीन की कमी से शरीर में एनर्जी लेवल गिरता है।
  5. वजन में अचानक वृद्धि
    • सूजन और पानी रुकने के कारण वजन तेजी से बढ़ता है।
  6. भूख में कमी और उल्टी/जी मिचलाना

नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम के कारण (Causes)

नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम स्वयं कोई एक रोग नहीं है बल्कि विभिन्न कारणों से उत्पन्न होने वाली स्थिति है।

1. प्राथमिक (Primary) कारण

  • जब समस्या सीधे किडनी में ही होती है।
  • जैसे –
    • Minimal Change Disease (बच्चों में सामान्य)
    • Focal Segmental Glomerulosclerosis (FSGS)
    • Membranous Nephropathy

2. द्वितीयक (Secondary) कारण

  • जब यह किसी अन्य बीमारी या संक्रमण के कारण होता है।
  • जैसे –
    • मधुमेह (Diabetes)
    • उच्च रक्तचाप (Hypertension)
    • ल्यूपस (Lupus)
    • हेपेटाइटिस B या C
    • HIV संक्रमण
    • कुछ दवाओं या रासायनिक पदार्थों का प्रभाव

निदान (Diagnosis)

नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम की पुष्टि कई जांचों के माध्यम से की जाती है —

  1. Urine Test – प्रोटीन की मात्रा और झाग की स्थिति जाँचने के लिए।
  2. Blood Test – एल्ब्यूमिन, क्रिएटिनिन और कोलेस्ट्रॉल स्तर जांचने के लिए।
  3. Lipid Profile Test – उच्च कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड स्तर पता करने के लिए।
  4. Kidney Biopsy – किडनी के ऊतक की सूक्ष्म जांच, जिससे सही कारण पता चलता है।
  5. Ultrasound or MRI – किडनी के आकार और स्थिति का पता लगाने के लिए।

उपचार (Treatment)

नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम का इलाज उसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। इसमें दवाएँ, आहार नियंत्रण और जीवनशैली सुधार शामिल हैं।

1. दवाएँ (Medications)

  • स्टेरॉयड (Corticosteroids): सूजन कम करने और प्रोटीन लॉस को घटाने में सहायक।
  • डाययूरेटिक्स (Diuretics): शरीर से अतिरिक्त पानी और सूजन निकालने के लिए।
  • एसीई इनहिबिटर या एआरबी दवाएँ: रक्तचाप को नियंत्रित कर किडनी की सुरक्षा करती हैं।
  • कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएँ: क्योंकि नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम में कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ जाता है।

2. आहार और जीवनशैली (Diet & Lifestyle)

  • नमक कम करें – सूजन और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए।
  • प्रोटीन का संतुलित सेवन – बहुत अधिक नहीं, लेकिन शरीर की जरूरत के अनुसार लें।
  • पानी का सेवन संतुलित रखें – अत्यधिक न पिएँ, न बहुत कम।
  • शुगर और तले हुए खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
  • धूम्रपान और शराब पूरी तरह बंद करें।

3. आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (Ayurvedic Support)

आयुर्वेद में नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम को “मूत्रकृच्छ्र” और “शोथ” की श्रेणी में रखा गया है।
इसमें किडनी को मजबूत करने, सूजन कम करने और मूत्र प्रवाह संतुलित करने के लिए निम्न उपाय उपयोगी माने जाते हैं —

  • गोक्षुर, पुनर्नवा, वरुण, और पाषाणभेद युक्त औषधियाँ।
  • पंचकर्म चिकित्सा (विशेषकर बस्ती कर्म)।
  • जीवनशैली में सुधार, हल्का सुपाच्य आहार और ध्यान।

संभावित जटिलताएँ (Complications)

यदि नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम का समय पर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर परिणाम दे सकता है —

  • किडनी फेलियर (Kidney Failure)
  • ब्लड क्लॉट (Thrombosis)
  • संक्रमण (Infection)
  • हाई कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग
  • मेटाबॉलिक असंतुलन

रोकथाम (Prevention Tips)

  • रक्तचाप और शुगर को नियंत्रित रखें।
  • नियमित रूप से किडनी फंक्शन टेस्ट करवाएँ।
  • संतुलित आहार लें और नमक का सेवन कम करें।
  • पर्याप्त नींद और मानसिक तनाव में कमी रखें।
  • डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को नियमित लें, बिना रोकें।

FAQ – नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम से जुड़े आम सवाल

1. क्या नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम ठीक हो सकता है?
हाँ, यदि समय पर पहचान और सही इलाज किया जाए तो कई मामलों में यह पूरी तरह ठीक या नियंत्रित किया जा सकता है।

2. क्या यह बच्चों में आम है?
हाँ, खासकर 2 से 6 साल के बच्चों में “Minimal Change Disease” के रूप में पाया जाता है।

3. क्या यह रोग संक्रामक है?
नहीं, यह किसी प्रकार से संक्रामक (Infectious) नहीं है।

4. क्या नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम में हमेशा सूजन रहती है?
अधिकांश मामलों में सूजन होती है, लेकिन शुरुआती अवस्था में यह हल्की या अस्थायी भी हो सकती है।

5. क्या आयुर्वेद से इलाज संभव है?
हाँ, आयुर्वेदिक चिकित्सा में किडनी को मजबूत करने और शरीर की सूजन को कम करने के लिए प्रभावी उपाय मौजूद हैं, लेकिन इसे विशेषज्ञ की सलाह से ही अपनाएँ

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