Irregular Periods – अनियमित मासिक धर्म : कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज

परिचय

मासिक धर्म (Periods) महिलाओं के स्वास्थ्य का एक अहम हिस्सा है, जो हर 28 से 30 दिनों के बीच आता है। लेकिन जब पीरियड्स का समय, मात्रा या अवधि बार-बार बदलने लगे, तो इसे अनियमित मासिक धर्म (Irregular Periods) कहा जाता है।
यह कोई सामान्य बात नहीं, बल्कि शरीर में हार्मोनल असंतुलन या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।

अनियमित मासिक धर्म क्या है?

जब मासिक चक्र 21 दिनों से पहले या 35 दिनों के बाद आए, या हर बार रक्तस्राव की मात्रा अलग-अलग हो — तो यह स्थिति अनियमित मानी जाती है।
कई बार पीरियड्स महीनों तक रुक जाते हैं, तो कभी बहुत अधिक रक्तस्राव होता है।

अनियमित पीरियड्स के प्रमुख कारण

  1. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) – एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का असंतुलन।
  2. तनाव (Stress) – मानसिक तनाव या डिप्रेशन से हार्मोन गड़बड़ा जाते हैं।
  3. वज़न में बदलाव (Weight Fluctuation) – बहुत ज्यादा या बहुत कम वजन होने से भी चक्र बिगड़ता है।
  4. थायरॉइड की समस्या (Thyroid Disorder) – हाइपो या हाइपरथायरॉइडिज्म मासिक धर्म पर असर डालता है।
  5. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS/PCOD) – अंडाशय में सिस्ट बनने से ओव्यूलेशन प्रभावित होता है।
  6. कठोर व्यायाम या डाइटिंग (Excessive Exercise/Dieting) – शरीर में ऊर्जा की कमी से पीरियड्स रुक सकते हैं।
  7. दवाइयों का प्रभाव (Medication Effect) – गर्भनिरोधक या हार्मोनल दवाएं।
  8. किशोरावस्था या रजोनिवृत्ति (Adolescence/Menopause) – इन अवस्थाओं में भी अस्थायी अनियमितता हो सकती है।

लक्षण (Symptoms)

  • पीरियड्स का समय अनिश्चित रहना
  • अधिक या बहुत कम रक्तस्राव
  • बीच में स्पॉटिंग या ब्लीडिंग
  • पेट या पीठ में दर्द
  • मूड स्विंग्स, थकान और कमजोरी
  • सिरदर्द या चिड़चिड़ापन

निदान (Diagnosis)

डॉक्टर निम्न जांचें कर सकते हैं –

  • हार्मोनल टेस्ट (Hormone Profile) – एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, LH, FSH आदि की जांच
  • थायरॉइड टेस्ट
  • अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) – गर्भाशय या अंडाशय में सिस्ट की जांच
  • ब्लड टेस्ट – एनीमिया या अन्य कारणों का पता लगाने के लिए

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद में अनियमित मासिक धर्म को “आर्तवविकार” या “रजःप्रवाह विकार” कहा गया है।
यह मुख्य रूप से वात, पित्त और कफ दोषों के असंतुलन के कारण होता है।

  • वात दोष से रज प्रवाह में देरी या रुकावट आती है।
  • पित्त दोष से अत्यधिक रक्तस्राव होता है।
  • कफ दोष से प्रवाह गाढ़ा और चिपचिपा हो सकता है।

आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment)

1. हर्बल उपचार

  • अशोका (Saraca indica) – गर्भाशय को मजबूत बनाता है और रक्तस्राव नियंत्रित करता है।
  • लोध्र (Symplocos racemosa) – हार्मोनल संतुलन बनाए रखता है।
  • शतावरी (Asparagus racemosus) – स्त्री रोगों के लिए श्रेष्ठ औषधि है।
  • कुमार्यासव / अशोकारिष्ट – मासिक धर्म की अनियमितता में अत्यंत लाभकारी।

2. पंचकर्म थेरेपी

  • बस्ती कर्म (Enema Therapy) – वात दोष को संतुलित करता है।
  • उत्तरस्नेह बस्ती – गर्भाशय और अंडाशय की सफाई में सहायक।

3. योग और प्राणायाम

  • भुजंगासन, धनुरासन, पश्चिमोत्तानासन – हार्मोनल संतुलन में मददगार।
  • अनुलोम-विलोम और कपालभाति – मानसिक शांति और तनाव कम करते हैं।

4. आहार और दिनचर्या

  • ताजे फल, हरी सब्जियाँ, सूखे मेवे और साबुत अनाज खाएँ।
  • अत्यधिक कॉफी, ठंडा, मसालेदार और जंक फूड से परहेज़ करें।
  • रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें और तनाव कम करें।

आधुनिक चिकित्सा (Modern Treatment)

  • हार्मोनल थेरेपी – पीरियड्स को नियमित करने के लिए।
  • गर्भनिरोधक गोलियाँ (Oral Contraceptives) – चक्र को नियंत्रित करने हेतु।
  • थायरॉइड या पीसीओएस का इलाज – मूल कारण के अनुसार।

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

  • यदि 3 महीने या उससे अधिक समय से पीरियड्स न आए हों।
  • यदि अत्यधिक या बहुत कम रक्तस्राव हो रहा हो।
  • यदि गर्भावस्था की संभावना हो।
  • यदि पीरियड्स के साथ अत्यधिक दर्द या चक्कर आते हों।

निष्कर्ष

अनियमित मासिक धर्म सिर्फ एक “सामान्य” समस्या नहीं, बल्कि यह शरीर के भीतर हार्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है।
आयुर्वेदिक जीवनशैली, संतुलित आहार, नियमित योग और तनावमुक्त जीवन अपनाकर इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या अनियमित पीरियड्स में गर्भधारण संभव है?
👉 हाँ, लेकिन ओव्यूलेशन समय निश्चित न होने से कठिनाई होती है। सही उपचार से गर्भधारण संभव है।

Q2. क्या तनाव से पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं?
👉 हाँ, तनाव हार्मोनल संतुलन बिगाड़ देता है जिससे चक्र प्रभावित होता है।

Q3. क्या घरेलू उपाय से सुधार हो सकता है?
👉 हाँ, अशोका, लोध्र, शतावरी जैसी जड़ी-बूटियाँ और योग से सुधार संभव है।

Q4. कितने दिनों का अंतर सामान्य माना जाता है?
👉 सामान्य मासिक चक्र 21 से 35 दिनों के बीच होना चाहिए।

Q5. क्या अनियमित पीरियड्स से भविष्य में कोई गंभीर समस्या हो सकती है?
👉 यदि लंबे समय तक जारी रहे तो यह PCOD, बांझपन या हार्मोनल विकार का कारण बन सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Open chat
1
Hello 👋
Can we help you?
Call Now Button