INTESTINAL COLIC / Abdominal Pain – Instant Pain-Relief Treatment for Colic | Discover 5 Effective Remedies

रोग का परिचय

पेट में शूल जैसे जोर के दर्द को ‘आन्त्र शूल’ (पेट में दर्द) कहते हैं। इसमें नाभि के चारों तरफ मरोड़ की तरह दर्द होता है। दर्द रह-रहकर उठता है। रोगी को परेशान कर देता है। पेट में वायु गुड़गुड़ करती रहती है। प्रायः कब्ज रहता है। खाना खाने को जी नहीं चाहता है, जी घबराता है। यहाँ तक कि INTESTINAL COLIC रोगी कभी-कभी कै भी कर डालता है।

रोग के प्रमुख कारण

1. आयुर्वेद के अनुसार वात प्रकोप तथा वातवृद्धि से ।

2. वायु उत्पन्न करने वाले पदार्थ, यथा-सेम, चना, लोबिया, मटर जैसे दलहन अधिक मात्रा में खाने से पेट में दर्द होता है। ठण्डी और बासी चीजें खाने और कब्जियत रहने से वायु का अवरोध और उसकी ऊर्ध्वगति होने से भी पेट का दर्द होता है

3. आँत की भीतरी दीवारों की अनैच्छिक पेशियों के अत्यधिक अनियमित संकुचन (Strong irregular contraction) से भी होता है।

4. पेचिश में बड़ी आँत के भीतर की दीवार में घाव व्रण होने पर भी संकुचन होने से पेट में दर्द होता है।

5. आँत और संग्रहणी में होने वाले व्रण-फोड़े के  फूट जाने से ।

 6. बच्चों के पेट में कृमि (Worms) होने से।

7. पित्ताशय में पथरी होने, पित्तवाहिनी में सूजन होने से ।

 8. यदि मधुमेह / डायबिटीज के रोगी की शक्कर में वृद्धि हो जाये तो भी उदर शूल होता है।

9. महिलाओं में मासिक स्राव के समय उनके गर्भाशय के अनियमित संकुचन के कारण भी तीव्र INTESTINAL COLIC उदरशूल होता देखा जाता है।

रोग के प्रमुख लक्षण

आमाशय और आँतों का शूल नाभि के चारों ओर मरोड़ की भाँति उठता है। दर्द कभी कुछ सेकेण्ड या मिनट तक रहता है। दर्द कभी-कभी कई-कई घण्टे तक चलता रहता है। दर्द कभी-कभी रह-रहकर उठता है। दर्द कभी धीमा रहता है तो कभी अति तीव्र रहता है। रोगी वेदना से छटपटाता, चीखता- चिल्लाता अथवा हाथ-पाँव पटकता है। INTESTINAL COLIC रोगी दर्द के स्थान को दबाये रहता है। कुछ रोगी तीव्र पीड़ा से बेहोश हो जाते हैं। पेट दबाने से कभी-कभी राहत मिलती है। कभी-कभी औंधा लेट जाने से दर्द कम हो जाता है। कुछ रोगी तीव्र पीड़ा के समय पेट पर हाथ भी नहीं धरने देते।

अन्य लक्षण

1. इससे INTESTINAL COLIC रोगी बेचैन हो जाता है। कभी-कभी वह श्वास तक नहीं ले पाता ।

 2. वायु से उत्पन्न शूल में गुड़गुड़ाहट रहती है।

3. पीड़ा के समय नाड़ी क्षीण हो जाती है। और वह अस्त-व्यस्त चलती है।

4. कुछ रोगियों में कै, वमन और उल्टी होती है।

5.. अफारा पूर्व से ही हो तो पेट से बदबूदार गैस निकलती है तथा डकार आती है। 

6. उदर परीक्षा में रोगी के पेट में गाँठे-सी प्रतीत होती है।

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