ACIDITY OR ACIDITY OF STOMACH – 7 Powerful Home Remedies to Relieve It Fast

परिचय

Acidity of Stomach

ACIDITY OR ACIDITY OF STOMACH जब आमाशय में ‘अम्ल रस’ की अधिकता होने लगती है तब उसको अम्लपित्त के नाम से जाना जाता । अम्लपित्त एक पित्तजन्य विकार है इसीलिये इसका अम्लपित्त नामकरण किया गया है। नमक, खट्टे पदार्थ तथा अत्यधिक तीक्ष्ण गर्म वस्तुयें प्रयोग करने से पित्त प्रकुपित हो उठता है और ‘अम्ल रस की अधिकता होने लगती है। इसे हाइपर एसीडिटी/ हार्टबर्न भी कहते हैं।

रोग के प्रमुख कारण

ACIDITY OR ACIDITY OF STOMACH आमाशय (पाक स्थली) में एसिड (अम्ल) की अधिकता के कारण होती है। सामान्य अवस्था में पाक स्थली के भीतर स्थित छोटी-छोटी ग्रन्थियों से निकलने वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन को पचाने में मदद करता है, किन्तु यही अम्ल जब आवश्यकता से अधिक मात्रा में बनने लगता है तो छाती की हड्डी के पीछे भोजन नली में जलन की अनुभूति होती है। एसिड प्रायः

Constipation Causes

ACIDITY OR ACIDITY OF STOMACH निम्न कारणों से अधिक बनती है-

1. मानसिक चिन्ता एवं हर काम में जल्दबाजी।

2. खाने में अधिक मिर्च, अचार व गर्म मसाले ।

3. ताल व अधिक पिज्जा भोजन पेट भर खाने के बाद रात को बिना टहले सो जाना। 4. भोजन समय पर न लेना।

5. अधिक शराब के सेवन एवं धूम्रपान । 6. ज्यादा तम्बाकू व चूने, कत्थे का पान खाना ।

7. क्रानिक (Chronic) इसोफेजाइटिस एवं हाइटस हर्निया

Causes of Constipation in MS

रोग के प्रमुख लक्षण

Symptoms of Constipation

छाती के बीचों-बीच जलन होती है। अर्थात् सीना जलने लगता है। आँखों में जलन होती है, माथे पर तपन मालूम होती है। हथेलियों और पैरों के तलवों में भी जलन होती है। पेशाब लाल, पीले रंग का होता है, मल त्याग के समय मल गर्म लगता है। इस प्रकार पित्त पूरे शरीर में दाह और जलन पैदा करता है। अम्ल पित्त की प्रारम्भिकस्थिति में जलन के लक्षण कम दिखायी देते हैं। जब रोग बढ़ जाता है तब जलन के लक्षण अधिक दिखाई देने लगते हैं। रोगी को ऐसा निरन्तर अनुभव होता रहता है जैसे उसके शरीर में सूक्ष्म ज्वर हो, किन्तु ज्वर की दवा लेने से यह लक्षण दूर नहीं होता। यही नहीं थर्मामीटर से भी इस ज्वर का पता नहीं लगता है।

Note ACIDITY OR ACIDITY OF STOMACH इस रोग में भूख कम हो जाती है। अशक्ति, थकान, पैरों में पीड़ा, चक्कर आना, आँखों के सामने अँधेरा छा जाना आदि तकलीफें होने लगती हैं। रोगी का मल ढीली स्थिति में रहता है। कुछ लोग कब्जियत की भी शिकायत करते हैं। अम्ल की अधिक मात्रा बढ़ जाने पर रोगी के शरीर पर छोटी-छोटी फुंसियाँ हो जाती है। उसे हल्की-सी खुजलाहट भी होती है। रोगी के जोड़ों में पीड़ा होती है, बेचैनी बनी रहती है, खाने की इच्छा नहीं होती है। मुँह का स्वाद बिगड़ा रहता है। नींद में कमी आ जाती है। रोगी को कई बार रक्तस्राव भी होते देखा जाता है।

यदि अम्लपित्त का प्रभाव लम्बे समय तक जारी रहे, तो रोगी को गर्मी का प्रभाव स्पष्ट मालूम होने लगता है। इससे बाल झड़ने या सफेद होने लगते हैं। रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा और क्रोधी हो जाता है।

रोग की पहचान

छाती के बीचों-बीच में जलन, इपीगैस्ट्रिक स्थान पर जलन व दर्द रोगी अँगुली का इशारा कर बताता है। खट्टी डकारें, मुँह में खट्टा व कड़वा जल भर आना, गर्म पेय या तला हुआ भोजन लेते ही जलन का होना आदि लक्षणों के देने पर रोग को पहचानने में कोई कठिनाई नहीं होती है।

ACIDITY OR ACIDITY OF STOMACH

रोग का परिणाम

constipation

ACIDITY OR ACIDITY OF STOMACH इस व्याधि के उपद्रव स्वरूप कभी-कभी त्वचा के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। सावधानी न बरतने पर आगे चलकर पेट में अल्सर हो जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में आमाशय में तीव्र पीडा होती रहती है। रोग के अधिक जीर्ण होने पर दस्त के साथ आँव और पित्त निकलने की शिकायतें आम होने लगती हैं।

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