रासायनिक बंधन एक ऐसा प्रक्रिया है, जिसके द्वारा विभिन्न तत्व एक साथ जुड़कर नए यौगिक बनाते हैं। यह विभिन्न प्रकार के बंधनों द्वारा संभव होता है, जिनमें आयनिक, सहसंयोजक, धात्विक, और हाइड्रोजन बंधन शामिल हैं। इस खंड में हम इन बंधनों की विशेषताओं और आण्विक संरचना के सिद्धांतों का अध्ययन करेंगे।
1. Ionic Bond (आयनिक बंधन)
आयनिक बंधन वह बंधन है जो दो आयनों के बीच विद्युत आकर्षण से बनता है। यह तब बनता है जब एक तत्व (धातु) अपने एक या अधिक इलेक्ट्रॉन को छोड़ देता है और दूसरा तत्व (अधातु) उन इलेक्ट्रॉनों को प्राप्त करता है, जिससे सकारात्मक और नकारात्मक आयन बनते हैं।
उदाहरण:
सोडियम क्लोराइड (NaCl) में Na + और Cl⁻ आयन के बीच आयनिक बंधन होता है।
विशेषताएँ:
- उच्च गलनांक और उबालांक
- कठोर और भंगुर
- अच्छे विद्युत चालक होते हैं जब पिघले होते हैं या घोल में होते हैं
2. Covalent Bond (सहसंयोजक बंधन)
सहसंयोजक बंधन तब बनता है जब दो या दो से अधिक परमाणु अपने बाह्य कक्ष के इलेक्ट्रॉन साझा करते हैं। यह बंधन मुख्य रूप से अधातुओं के बीच बनता है।
उदाहरण:
हाइड्रोजन (H₂) में दो हाइड्रोजन परमाणु अपने एक-एक इलेक्ट्रॉन को साझा करते हैं और एक सहसंयोजक बंधन बनाते हैं।
विशेषताएँ:
- कम गलनांक और उबालांक
- अच्छे विद्युत चालक नहीं होते
- लचीले और नरम
3. VSEPR Theory (VSEPR सिद्धांत)
VSEPR (Valence Shell Electron Pair Repulsion) सिद्धांत यह बताता है कि आण्विक संरचना को समझने के लिए यह आवश्यक है कि अणु के केंद्रीय परमाणु के चारों ओर स्थित इलेक्ट्रॉन जोड़े आपस में परस्पर आकर्षित होते हैं और आपस में दूरी बनाए रखते हैं ताकि वे एक-दूसरे से कम से कम प्रभावित हों। इसका उद्देश्य आण्विक आकार और संरचना को स्पष्ट करना है।
उदाहरण:
- CH₄ (मिथेन): इसमें चार इलेक्ट्रॉन जोड़े चारों दिशाओं में समरूप तरीके से फैले होते हैं, जिससे संरचना टेट्राहेड्रल होती है।
- H₂O (पानी): दो इलेक्ट्रॉन जोड़े और दो बंधन जोड़े, जिससे संरचना कोणीय होती है।
4. Hybridization (संकरण)
संकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक ही तत्व के विभिन्न प्रकार के ऑर्बिटल्स (जैसे s, p, d) मिलकर एक नए प्रकार के समान ऊर्जा वाले ऑर्बिटल्स का निर्माण करते हैं, जिन्हें संकर ऑर्बिटल्स कहा जाता है। इस प्रक्रिया से अणु के आकार और बंधन के गुण बेहतर समझे जाते हैं।
प्रमुख प्रकार के संकरण:
- sp³ संकरण: जैसे CH₄ (मिथेन) में।
- sp² संकरण: जैसे C₂H₄ (एथीलीन) में।
- sp संकरण: जैसे C₂H₂ (एसीटिलीन) में।
5. Molecular Orbitals (आण्विक कक्ष)
आण्विक कक्ष वह कक्ष होते हैं, जिनमें दो परमाणु अपने इलेक्ट्रॉनों को साझा करके एक संयुक्त कक्ष बनाते हैं। ये कक्ष संयोजन या विरोधाभास (constructive or destructive interference) के कारण बनते हैं।
प्रकार:
- बाइंडिंग ऑर्बिटल: यह वह ऑर्बिटल है जो दो परमाणुओं को जोड़ता है।
- एंटी-बाइंडिंग ऑर्बिटल: यह वह ऑर्बिटल है जो परमाणुओं को अलग करता है।
उदाहरण:
- H₂ अणु: H₂ अणु में बाइंडिंग और एंटी-बाइंडिंग ऑर्बिटल्स के प्रभाव से संपूर्ण आणविक संरचना बनती है।
6. Bond Order (बंधन क्रम)
बंधन क्रम यह मापता है कि एक अणु में कितने मजबूत बंधन मौजूद हैं। यह बाइंडिंग और एंटी-बाइंडिंग ऑर्बिटल्स के बीच के अंतर से निर्धारित होता है।
समीकरण:Bond Order=12(बाइंडिंग इलेक्ट्रॉन की संख्या−एंटी-बाइंडिंग इलेक्ट्रॉन की संख्या)\text{Bond Order} = \frac{1}{2} \left( \text{बाइंडिंग इलेक्ट्रॉन की संख्या} – \text{एंटी-बाइंडिंग इलेक्ट्रॉन की संख्या} \right)Bond Order=21(बाइंडिंग इलेक्ट्रॉन की संख्या−एंटी-बाइंडिंग इलेक्ट्रॉन की संख्या)
7. Bond Length (बंधन लंबाई)
बंधन लंबाई वह दूरी है जो दो परमाणुओं के बीच बंधन बनने पर स्थापित होती है। यह दूरी बंधन के प्रकार और अणु के आकार पर निर्भर करती है।
विशेषताएँ:
- सहसंयोजक बंधन में बंधन लंबाई आयनिक बंधन की तुलना में कम होती है।
- बंधन लंबाई जितनी छोटी होती है, बंधन उतना ही मजबूत होता है।
8. Bond Energy (बंधन ऊर्जा)
बंधन ऊर्जा वह ऊर्जा है, जो एक बंधन को तोड़ने के लिए आवश्यक होती है। यह बंधन की मजबूती को दर्शाती है। उच्च बंधन ऊर्जा का मतलब है मजबूत बंधन।
उदाहरण:
- H₂O में O-H बंधन: इसकी बंधन ऊर्जा उच्च होती है, क्योंकि ओ-एच बंधन मजबूत होता है।
9. Metallic Bonding (धात्विक बंधन)
धात्विक बंधन तब बनता है जब धातु के परमाणु आपस में बंधते हैं और उनके बाह्य इलेक्ट्रॉन मुक्त रूप से परमाणु के बीच घूमते हैं। यह बंधन धातुओं में गुणों जैसे अच्छे विद्युत चालकता, लचीलापन और कंडक्टर होने के लिए जिम्मेदार होता है।
विशेषताएँ:
- धातु में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह होता है।
- धातु चमकदार, लचीले और अच्छे कंडक्टर होते हैं।
10. Hydrogen Bonding (हाइड्रोजन बंधन)
हाइड्रोजन बंधन एक विशेष प्रकार का अंतर आण्विक बंधन है, जो एक हाइड्रोजन परमाणु के साथ जुड़े इलेक्ट्रोनेगेटिव परमाणु (जैसे ऑक्सीजन, नाइट्रोजन या फ्लोरीन) के बीच होता है।
उदाहरण:
- H₂O में हाइड्रोजन बंधन: पानी में हाइड्रोजन बंधन के कारण उच्च उबालांक और घनत्व होता है।
NEET Perspective Questions (NEET हेतु महत्वपूर्ण प्रश्न)
Q1. आयनिक और सहसंयोजक बंधन में क्या अंतर है?
- उत्तर: आयनिक बंधन विद्युत आकर्षण द्वारा बनता है, जबकि सहसंयोजक बंधन इलेक्ट्रॉनों को साझा करने से बनता है।
Q2. VSEPR सिद्धांत के अनुसार CO₂ का आकार क्या होता है?
- उत्तर: VSEPR सिद्धांत के अनुसार CO₂ का आकार रैखिक (linear) होता है क्योंकि केंद्रीय C परमाणु के दोनों ओर दो बंधन जोड़े होते हैं।
NEET Perspective Diagrams (NEET हेतु महत्वपूर्ण चित्र)
- VSEPR संरचनाएं: जैसे CH₄, CO₂, H₂O के आण्विक आकार।
- आण्विक कक्षों के चित्र: जैसे H₂ अणु में बाइंडिंग और एंटी-बाइंडिंग ऑर्बिटल्स।