परिचय
ओटॉमिकोसिस (Otomycosis) कान में फंगस या कवक के संक्रमण को कहते हैं। यह समस्या आमतौर पर गर्म और आर्द्र वातावरण में अधिक देखने को मिलती है। अक्सर यह बाहरी कान के चैनल को प्रभावित करता है और कभी-कभी मिडिल ईयर तक भी फैल सकता है।
मुख्य कारणों में बार-बार गीला कान, पौलिश/स्विमिंग से गीला रहना, कान की सफाई में गलत तरीके और कमजोर इम्यून सिस्टम शामिल हैं। इसके लक्षणों में खुजली, जलन, कान में दर्द, कान से गीला या सफेद/काले रंग का डिस्चार्ज, और सुनने में कमी शामिल हो सकते हैं। कभी-कभी संक्रमण के कारण कान में गंध भी आ सकती है।
ओटॉमिकोसिस(OTOMYCOSIS-कान के अन्दर फंगस / कान में फंगस इन्फैक्शन) का निदान ENT विशेषज्ञ द्वारा ओटॉस्कोपी और कल्चर टेस्ट से किया जाता है। उपचार में आमतौर पर एंटीफंगल ड्रॉप्स, कान की सफाई और संक्रमण की गंभीरता के अनुसार दवाइयाँ शामिल होती हैं। घरेलू उपाय जैसे गुनगुना सरसों का तेल या नीम के अर्क से कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
इस रोग में कान के अन्दर फफूंदी का एक गुच्छा बन जाता है। इस प्रकार से कान के अन्दर फँफूद के संक्रमण को कर्ण फंगस (Ear Fungus) कहा जाता है। अंग्रेजी में इसको ‘ओटोमाइकोसिस (Otomycosis) कहते हैं।’
(1) नमी (Moisture) – यह रोग प्रायः गर्म व नम वातावरण वाले क्षेत्र में अधिक पाया जाता है। वर्षा ऋतु में यह कान की आम बीमारी है। स्नान करते समय या पानी में तैरते समय कान के अन्दर पानी जाने से कान में फंगस पैदा हो जाता है।
(2) एण्टीबायोटिक्स-लम्बे समय तक कान में एण्टीबायोटिक्स ड्राप्स डालते रहने से बैक्टीरिया का नाश हो जाता है और परिणामस्वरूप वहाँ पर फंगस बनना प्रारम्भ हो जाता है।
(3) रोग उत्पादक फंगस यह अधिकतर ‘एसपरजिलस नाइगर’ नामक फंगस से होता है। Aspergillus niger is one of the commonest fungus causing the injection, मोनीलियल तथा अन्य फंगल इन्फैक्शन जो त्वचा को प्रभावित करते हैं इसके लिये जुम्मेवार हैं।
रोग के लक्षण
यह रोग अधिकतर गर्म व बारिश के महीनों में होता है। रोगी के कान में खुजली व हल्का-हल्का दर्द रहता है। कुछ केसिस में कान से हल्का पानी सा बहता है जिससे कान में भारीपन व रुका हुआ सा प्रतीत होता है। कान से कम सुनाई देता है। कुछ रोगी ऊँचा सुनने लगते हैं। रोगी आंशिक रूप से बहरा हो जाता है। अक्सर रोगी कान को पकड़ कर खींचता नजर आता है। कुछ रोगी कान में जलन की भी शिकायत करते हैं। जाँच करने पर कभी-कभी कान का पर्दा लाल मिलता है। कान के पर्दे की यह लालिमा सूजन की सूचक है ।
रोग की पहचान
श्रवण नलिका का परीक्षण करने पर गीले अखबार के छोटे-छोटे टुकड़ों का गुच्छा सा लगता है जिसमें बीच-बीच में काले धब्बे से होते हैं। कुछ में सलेटी काला रुई का फोहा सा लगता है। कान की फंगस काली, भूरी अथवा श्वेत वर्ण की होती है।
रोग (OTOMYCOSIS)का परिणाम
यदि कान में पानी चला जाये तो यह फूल जाता है और बाह्य कर्ण नाल को पूर्णतया बन्द कर देता है। बहरेपन की सम्भावना कम होती है जब तक कि प्लग श्रवण नलिका को पूर्णरूप से रोकता नहीं है।
🟢 Conclusion (निष्कर्ष)
ओटॉमिकोसिस(OTOMYCOSIS-कान के अन्दर फंगस / कान में फंगस इन्फैक्शन) एक आम लेकिन गंभीर कान संक्रमण है। शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करना लंबे समय में सुनने की क्षमता और कान की स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। खुद से कान में दवा डालना या गंदगी निकालना स्थिति को और खराब कर सकता है।
OTOMYCOSIS-कान के अन्दर फंगस / कान में फंगस इन्फैक्शन ka सही उपचार के लिए हमेशा ENT विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है। संक्रमण को समय पर नियंत्रित करके कान की संरचना सुरक्षित रखी जा सकती है और दर्द, खुजली और डिस्चार्ज जैसी परेशानियों से बचा जा सकता है।
याद रखें: “कान में फंगस संक्रमण (OTOMYCOSIS-कान के अन्दर फंगस / कान में फंगस इन्फैक्शन)को हल्के में न लें, समय पर विशेषज्ञ उपचार ही सबसे सुरक्षित उपाय है।”