What is trichomoniasis
ट्राइकोमोनास वैजाइनेलिस नामक सूक्ष्मदर्शीय परजीवी द्वारा सम्भोग के दौरान पुरुष या स्त्री के जननांगों का संक्रमण हो जाना ट्राइकोमोनिअनता (Trichomoniasis) कहलाता है। ज्यादातर यह संक्रमण यौन सम्भोग से उपार्जित होता है। महिलाओं में यह एक प्रकार का योनिशोथ पैदा करता है, जिससे बड़ा ही दुर्गन्धित निःस्राव (Discharge) निकलता है। पुरुषों में यह मूत्रमार्ग शोध पैदा करता है। यह रोग पूरे संसार में 30-40 वर्ष की आयु के पुरुषों एवं स्त्रियों दोनों में होता है। वैसे यह बच्चा पैदा करने की उम्र वाली महिलाओं में अधिक होता है। यह सबसे अधिक पाया जाने वाला योनिशोथ है।

Causes of trichomoniasis
यह ट्राइकोमोनास वैजाइनेलिस नामक प्रोटोजुवा के संक्रमण से होता है। इस रोग का परजीवी अण्डाकार या नासपाती के आकार का होता है जिसके अगले सिरे से 5 कशाभ (Flagella) निकले होते है। शोथ संभोग के द्वारा फैलता है। इसके अतिरिक्त साफ सफाई न रखने से संक्रमित आदमी का कपड़ा, तौलिया प्रयोग में लाने से, महामारी (M.C.) के समय सम्भोग करने से रोग की उत्पत्ति होती है। इस रोग के परजीवी स्त्रियों की योनि व
मूत्रमार्ग में एवं पुरुषों के मूत्रमार्ग और पौरुष ग्रन्थि में पाये जाते हैं। सामान्यतः इन परजीवियों का प्रसार भी यौन सम्बन्धों के द्वारा ही होता है, किन्तु इसके अतिरिक्त ये शौचालय की सीट अथवा वस्त्रों द्वारा भी अन्य स्वस्थ व्यक्ति तक पहुँच जाते हैं। इस रोग का जीवाणु गुदामार्ग में भी उपस्थित रहता है। स्त्रियों में चूंकि गुदा और योनि के मध्य बहुत कम दूरी होती है, अतः मलत्याग के पश्चात् गुदा के आगे की तरफ प्रक्षालन से भी यह जीवाणु योनि तक पहुँच जाते हैं और इस प्रकार स्त्री स्वयं ही इस रोग से पुनः संक्रमित हो सकती है।

Symptoms of trichomoniasis
पुरुषों में इस रोग का संक्रमण जब पुरुषों में होता है तो उनके मूत्रमार्ग और प्रोस्टेट ग्लेण्ड (पौरुष ग्रन्थि) में शोथ उत्पन्न हो जाती है और उन्हें मूत्रत्याग के समय अत्यधिक कष्ट व जलन होती है। कभी-कभी शोध इतनी अधिक होती है कि व्यक्ति का मूत्र तक रुक जाता है। कभी-कभी शिश्नमुंड शोथ हो जाता है। वैसे पुरुषों में इसके अक्सर कोई लक्षण एवं चिन्ह नहीं मिलते। कुछ में देखने पर थोड़ा-सा श्लेष्माम या पूय जैसा स्राव निकलता है। मूत्रमार्ग में गुदगुदाहट की शिकायत भी मिल सकती है।
स्त्रियों में इस संक्रमण के कारण स्त्रियों की योनि से काफी मात्रा में पीले रंग का स्राव छोटे-छोटे बुलबुलों के साथ होने लगता है, जिसे ट्राइकोमोनासजन्य योनिपात के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही योनि में जलन और उसकी त्वचा लाल हो जाती है। मूत्रत्याग के समय स्त्री को अत्यधिक कष्ट होता है। खाव दुर्गन्धित होता है। गर्भवती महिलाओं में ऐसा विकार अधिक होता है। इसके साथ ही भगशोथ हो सकता है। रोगिणी सम्भोग के समय दर्द की शिकायत करती है।

योनि स्राव से जाँघ अन्दर की ओर से छिल सी जाती है। ‘मूत्रमार्ग शोथ’ हो जाता है जिससे मूत्रत्याग में कष्ट होता है तथा पेशाब बार-बार आने लगता है। परीक्षा करने पर योनि लाल तथा सूजी हुई प्रतीत होती है।