पेसाब जादा आना क्या है? Diabetes insipidus
जब शुगर से रहित बहुमूत्रता (Polyuria) हो जाती है। अर्थात् निरन्तर पेशाब बहुत आता रहता है और प्यास बहुत लगती है तो इस दशा को जलमेह (Diabetes insipidus) कहा जाता है। गम्भीर अवस्था में रोगी का वजन बहुत घट जाता है। इसको उदकमेह भी कहते हैं।
Diabetes insipidus causes
यह व्याधि वैसोप्रेसिन की कमी के कारण होती है जिसके प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-
1. पीयूष ग्रन्थि की क्षति ।
2. सम्पूर्ण पीयूष ग्रन्थि अल्पक्रियता की स्थिति में ।
3. अज्ञात हेतुकी (Idiopathic) उदकमेह के उत्पन्न होने का कारण पिट्यूटरी ग्रन्थि के पिछले खण्ड (Posterior lobe) से एण्टी यूरेटिक हार्मोन का स्राव कम हो जाता है। यह रोग सामान्यतः स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में मध्य आयु में या बचपन में अधिक होता है। कुछ रोगियों में जलमेह वंशागत (एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने वाला) होता है या पारिवारिक होता है। यह सिर में चोट लग जाने पर होता है जिसमें हाइपोथैलेमस या पिट्यूटरी का पिछला खण्ड रोग- ग्रस्त हो जाता है।
Diabetes insipidus symptoms
रोगी(Diabetes Insipidus) को पेशाब बहुत आता है। एक दिन में 5 से 10 लिटर तक पेशाब हो जाता है। रोगी को प्यास बहुत लगती है। वह जितना ही अधिक पानी पीता है, उतना ही अधिक मूत्र विसर्जित करता है। प्यास अथवा जल ग्रहण पर नियंत्रण करने से शरीर में शुष्कता (dehydration) बढ़ने लगती है। प्यास अधिक लगने के कारण रोगी का मुँह हर समय सूखा ही रहता है। मृदु स्वरूप के रोग में केवल बहुमूत्रता एवं प्यास अधिक लगना ही लक्षण मिलते हैं। रोग के बढ़ जाने पर मधुमेह के सभी लक्षण, जैसे-भूख अधिकता, कमजोरी, त्वचा का शुष्क हो जाना की आदि मिलते हैं। बस अन्तर केवल यही होता है कि जलमेह में मूत्र में शुगर विसर्जित नहीं होती, जबकि मधुमेह में शुगर पायी जाती है। साथ में कभी-कभी ज्वर हो जाता है। स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। सिर में पीछे की ओर दर्द होता है। माँसपेशियाँ फड़फड़ाती हैं। बार-बार मूत्र त्याग के लिए उठने के कारण नींद में विघ्न पड़ता है।
Note- जलमेह(Diabetes Insipidus) में मूत्र को गाढ़ा करने की सान्द्रण क्षमता (Concentrating Power) नष्ट हो जाती है जिसके फलस्वरूप मूत्र अधिक मात्रा में निकलता है।
रोग की पहचान
इस व्याधि की पहचान बहुमूत्रता एवं अति- पिपासा के लक्षणों के आधार पर की जाती है। 24 घण्टे में 10 से 20 लिटर तक पेशाब हो सकता है। मूत्र का विशिष्ट गुरुत्व कम हो जाता है। लेकिन उसमें ग्लूकोज (शर्कर) नहीं होता । मूत्र हल्के पीले रंग का और साफ पानी के समान होता है। मूत्र का आपेक्षित घनत्व 1002 से 1005 होता है। कपाल का एक्स-रे करने पर पर्याणिका (Cella-Tureica) फैली हुई तथा क्लिनॉइड प्रवर्ध घिसे हुए होते हैं।
रोग(Diabetes Insipidus) का परिणाम
रोग(Diabetes Insipidus) के बढ़ जाने पर मधुमेह के सभी लक्षण मिलने लगते हैं। जैसे-भूख बहुत लगना, कमजोरी (Weakness), रूखी त्वचा आदि। मूत्र की अधिकता के कारण रोगी रात को सो नहीं पाता है। रोगी प्रतिदिन क्षीण होता जाता है। क्षय के रोगी को यदि ये रोग हो जाए तो वह निश्चय ही मर जाता है।
डायबिटीज इन्सिपिडस (जलमेह) एक दुर्लभ विकार है जो शरीर के तरल पदार्थों को संतुलित करने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह डायबिटीज मेलिटस (मधुमेह) से पूरी तरह अलग है, जो रक्त शर्करा से संबंधित है। जलमेह में रक्त शर्करा का स्तर सामान्य होता है, लेकिन शरीर बड़ी मात्रा में पतला पेशाब बनाता है, जिससे अत्यधिक प्यास लगती है।
जलमेह (Diabetes Insipidus)के 7 महत्वपूर्ण तथ्य
- मधुमेह से अलग है: हालांकि दोनों ही स्थितियों में अत्यधिक प्यास और बार-बार पेशाब आता है, जलमेह का मधुमेह से कोई संबंध नहीं है। जलमेह हार्मोनल असंतुलन से जुड़ा है, जबकि मधुमेह उच्च रक्त शर्करा से।
- हार्मोनल असंतुलन: यह स्थिति एंटीडाइयूरेटिक हार्मोन (ADH) या वैसोप्रेसिन से जुड़ी है, जो गुर्दे को पानी बनाए रखने में मदद करता है। जलमेह तब होता है जब शरीर में पर्याप्त ADH नहीं बनता, या जब गुर्दे इस हार्मोन पर सही से प्रतिक्रिया नहीं देते।
- अत्यधिक पेशाब (पॉलीरिया): जलमेहका मुख्य लक्षण दिन और रात में अत्यधिक मात्रा में पेशाब आना है। गंभीर मामलों में, एक व्यक्ति एक दिन में 20 लीटर तक पेशाब कर सकता है, जबकि सामान्य व्यक्ति 1 से 3 लीटर पेशाब करता है।
- अत्यधिक प्यास (पॉलीडिप्सिया): अत्यधिक पेशाब होने के कारण, शरीर को तरल पदार्थों की कमी की पूर्ति करने के लिए बहुत ज़्यादा प्यास लगती है, खासकर ठंडे पानी की।
- कई प्रकार होते हैं: जलमेह के कई प्रकार होते हैं, जिनमें सेंट्रल (मस्तिष्क में समस्या), नेफ्रोजेनिक (गुर्दे की समस्या), डिप्सोजेनिक (प्यास तंत्र में खराबी) और गर्भकालीन (गर्भावस्था के दौरान) शामिल हैं।
- बच्चों को जोखिम: बच्चों और शिशुओं में जलमेह के कारण निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) का खतरा अधिक होता है, जिससे बुखार, उल्टी, चिड़चिड़ापन और वजन में कमी जैसे लक्षण हो सकते हैं।
- इलाज संभव है: जलमेह का इलाज संभव है और यह इसके प्रकार पर निर्भर करता है। उपचार का लक्ष्य शरीर में तरल पदार्थ का संतुलन बनाए रखना होता है।
जलमेह के कारण
- सेंट्रल जलमेह: यह सबसे सामान्य प्रकार है और यह मस्तिष्क के उस हिस्से को नुकसान पहुँचने के कारण होता है जो ADH का उत्पादन, भंडारण और स्राव करता है। इसके संभावित कारण हैं:
- मस्तिष्क की सर्जरी
- सिर में चोट
- मस्तिष्क का ट्यूमर
- वंशानुगत आनुवंशिक उत्परिवर्तन
- स्व-प्रतिरक्षित रोग
- नेफ्रोजेनिक जलमेह: इस प्रकार में, ADH का स्तर सामान्य होता है, लेकिन गुर्दे हार्मोन पर सही प्रतिक्रिया नहीं देते। इसके कारण हैं:
- कुछ दवाएँ, जैसे लिथियम
- वंशानुगत समस्या
- रक्त में उच्च कैल्शियम या निम्न पोटेशियम स्तर
- पुरानी गुर्दे की बीमारी
- डिप्सोजेनिक जलमेह (प्राथमिक पॉलीडिप्सिया): इस प्रकार में, मस्तिष्क के प्यास नियंत्रित करने वाले हिस्से को नुकसान पहुँचने के कारण अत्यधिक प्यास लगती है, जिससे बहुत ज़्यादा तरल पदार्थ पिया जाता है।
- गर्भकालीन जलमेह: यह दुर्लभ है और गर्भावस्था के दौरान होता है, जब प्लेसेंटा द्वारा उत्पादित एक एंजाइम ADH को नष्ट कर देता है। यह अक्सर बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाता है।
प्रभावी उपचार
- केंद्रीय जलमेह:
- डेस्मोप्रेसिन: यह एक सिंथेटिक हार्मोन है जो ADH की कमी को पूरा करता है। यह गोली, नाक स्प्रे या इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध है।
- मूल कारण का इलाज: यदि ट्यूमर या अन्य विकार के कारण हुआ है, तो पहले उसका इलाज किया जाता है।
- नेफ्रोजेनिक जलमेह:
- मूल कारण का इलाज: यदि यह किसी दवा या असंतुलन के कारण हुआ है, तो उन कारकों को ठीक करने से मदद मिल सकती है।
- दवाएँ: डॉक्टर थियाजाइड ड्यूरेटिक्स और गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएँ (NSAIDs) लिख सकते हैं जो पेशाब की मात्रा को कम करने में मदद करती हैं।
- डिप्सोजेनिक जलमेह:
- शोधकर्ताओं ने अभी तक इसका कोई प्रभावी उपचार नहीं खोजा है। इस स्थिति के प्रबंधन में तरल पदार्थ का सेवन कम करना शामिल हो सकता है।
- गर्भकालीन जलमेह:
- डेस्मोप्रेसिन का उपयोग अक्सर किया जाता है और स्थिति आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाती है।
- पर्याप्त पानी पीना: हल्के मामलों में, निर्जलीकरण से बचने के लिए बस पर्याप्त पानी पीना ही पर्याप्त हो सकता है।
निष्कर्ष
जलमेह एक गंभीर स्थिति है, लेकिन उचित निदान और उपचार से इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। यदि आपको अत्यधिक प्यास या बार-बार पेशाब आने जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। वह सही निदान करने और आपकी स्थिति के लिए सबसे उपयुक्त उपचार योजना निर्धारित करने में आपकी मदद करेंगे।