एंटीबायोटिक्स क्या हैं?
एंटीबायोटिक्स वे दवाएं होती हैं जो बैक्टीरिया (Bacteria) से होने वाले संक्रमणों को मारने या उनकी वृद्धि को रोकने का काम करती हैं। ये वायरल इंफेक्शन (जैसे सर्दी-जुकाम, फ्लू) पर असर नहीं करतीं।
एंटीबायोटिक्स कैसे काम करती हैं?
एंटीबायोटिक्स दो तरह से काम करती हैं:
- बैक्टीरिया को मार देती हैं – जैसे: पेनिसिलिन (Penicillin)
- बैक्टीरिया की वृद्धि को रोक देती हैं – जैसे: टेट्रासाइक्लिन (Tetracycline)
एंटीबायोटिक्स के प्रकार
- ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स
जो कई प्रकार के बैक्टीरिया पर काम करती हैं।
👉 उदाहरण: Amoxicillin, Ciprofloxacin - नैरो-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स
जो केवल कुछ विशेष बैक्टीरिया पर असर करती हैं।
👉 उदाहरण: Penicillin G, Erythromycin
किन बीमारियों में एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं?
- टॉन्सिलिटिस
- यूरिन इन्फेक्शन (UTI)
- न्यूमोनिया
- त्वचा के संक्रमण
- टी.बी. (TB)
- टाइफाइड
- डायरिया (यदि बैक्टीरिया जनित हो)
एंटीबायोटिक्स से सावधानियां
- डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।
- पूरा कोर्स पूरा करें – बीच में बंद करने से बैक्टीरिया दोबारा एक्टिव हो सकता है।
- जरूरत से ज़्यादा न लें – इससे “एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस” हो सकता है।
- वायरल बीमारी में न लें – जैसे सर्दी-खांसी, बुखार आदि।
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस क्या है?
जब बैक्टीरिया बार-बार एंटीबायोटिक के संपर्क में आते हैं, तो वे खुद को इस दवा के खिलाफ मजबूत बना लेते हैं। तब वही एंटीबायोटिक भविष्य में असर नहीं करती। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है।
प्रमुख एंटीबायोटिक दवाएं
| दवा का नाम | इस्तेमाल किया जाता है |
|---|---|
| Amoxicillin | कान, गला, मूत्र संक्रमण |
| Azithromycin | सांस की बीमारियां |
| Ciprofloxacin | मूत्र और आंतों का संक्रमण |
| Doxycycline | त्वचा, टीबी, मलेरिया |
| Metronidazole | आंतों, दांत, योनि संक्रमण |
| Cefixime | टाइफाइड, खांसी, बुखार |
सुझाव
- हमेशा डॉक्टर से जांच करवा कर ही एंटीबायोटिक लें।
- खुद से किसी और की दवा न लें।
- बच्चों को एंटीबायोटिक देने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श ज़रूरी है।
निष्कर्ष
एंटीबायोटिक्स जीवनरक्षक हैं, लेकिन इनका सही समय, सही मात्रा और सही कारण से उपयोग ज़रूरी है। इनका दुरुपयोग आपकी सेहत के लिए खतरा बन सकता है।