UNIT 10: Ecology and Environment

Organisms and Populations

Ecology (पारिस्थितिकी) जीवन और उसके पर्यावरण के बीच के रिश्तों का अध्ययन है। यह जीवों के व्यवहार, उनके पर्यावरण में उनके स्थान, और पारिस्थितिकी प्रणालियों (ecosystems) के कार्यों को समझने में मदद करता है।

Organisms and Populations में हम जीवों (organisms) और उनके समूहों (populations) के बारे में अध्ययन करते हैं, साथ ही यह भी समझते हैं कि किस प्रकार से विभिन्न जीव अपने पर्यावरण में रहते हैं और एक दूसरे के साथ संबंध बनाते हैं।


1. Ecosystem (पारिस्थितिकी तंत्र)

एक Ecosystem (पारिस्थितिकी तंत्र) जीवों (biotic components) और उनके पर्यावरण (abiotic components) का समूह है, जो आपस में जुड़े होते हैं और ऊर्जा एवं पोषक तत्वों के आदान-प्रदान के द्वारा एक दूसरे पर प्रभाव डालते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र के दो प्रमुख घटक होते हैं:

a) Biotic Factors (जैविक घटक)

Biotic Factors वह सभी जीवित कारक होते हैं, जो किसी पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद होते हैं और एक दूसरे के साथ अंतरक्रिया करते हैं। ये घटक निम्नलिखित होते हैं:

  1. Producers (उत्प्रेरक): ये वे जीव होते हैं जो सूर्य से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग करके अपने भोजन का निर्माण करते हैं। उदाहरण: पौधे, शैवाल।
  2. Consumers (उपभोक्ता): ये वे जीव होते हैं जो उत्प्रेरकों से प्राप्त भोजन का उपभोग करते हैं। उदाहरण: शाकाहारी जानवर (herbivores), मांसाहारी जानवर (carnivores), और सर्वाहारी जानवर (omnivores)।
  3. Decomposers (पारघटक): ये वे जीव होते हैं जो मृत जैविक पदार्थों को विघटित करते हैं और पोषक तत्वों को पुनः पारिस्थितिकी तंत्र में वापस भेजते हैं। उदाहरण: बैक्टीरिया, फंगी।

b) Abiotic Factors (अजैविक घटक)

Abiotic Factors वह सभी अजैविक तत्व होते हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद होते हैं, और वे जैविक घटकों के जीवन और विकास को प्रभावित करते हैं। ये घटक निम्नलिखित होते हैं:

  1. Temperature (तापमान): तापमान जीवों की गतिविधियों और उनके अस्तित्व को प्रभावित करता है।
  2. Water (जल): जल जीवन के लिए आवश्यक है और यह जीवों के विकास और वितरण पर असर डालता है।
  3. Soil (मिट्टी): मिट्टी की संरचना और रासायनिक गुण पौधों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  4. Light (प्रकाश): प्रकाश पौधों के लिए आवश्यक है, जो प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में उपयोग होता है।

2. Population Interactions (जनसंख्या आपसी क्रियाएँ)

पारिस्थितिकी तंत्र में जीवों के बीच विभिन्न प्रकार की आपसी क्रियाएँ होती हैं। ये आपसी क्रियाएँ जनसंख्या की वृद्धि और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को प्रभावित करती हैं। इन क्रियाओं को मुख्य रूप से पाँच प्रकारों में बाँटा जा सकता है:

a) Competition (प्रतिस्पर्धा):

जब दो या दो से अधिक प्रजातियाँ समान संसाधनों (जैसे भोजन, पानी, और आश्रय) के लिए एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करती हैं, तो इसे प्रतिस्पर्धा कहा जाता है। यह प्रतियोगिता दोनों प्रजातियों के लिए हानिकारक हो सकती है।

उदाहरण: शेर और बाघ दोनों ही मांसाहारी हैं, और अगर इनकी सीमा में एक ही शिकार स्रोत है, तो यह प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

b) Predation (शिकार और शिकार किया जाना):

यह वह स्थिति है, जिसमें एक जीव (शिकार करने वाला) दूसरे जीव (शिकार) को मारकर खाता है। यह एक प्रकार की शिकारी-शिकार संबंधी क्रिया है।

उदाहरण: शेर और मृग (लायन और हिरण)।

c) Mutualism (सहजीविता):

यह वह संबंध है, जिसमें दो जीवों के बीच पारस्परिक लाभ होता है। दोनों जीव एक दूसरे से लाभ प्राप्त करते हैं।

उदाहरण: मधुमक्खियाँ और फूलों के बीच परागण (Pollination) का संबंध। मधुमक्खियाँ फूलों से शहद प्राप्त करती हैं, जबकि फूलों के पराग को अन्य फूलों तक पहुँचाने में मदद करती हैं।

d) Commensalism (लाभप्रद सहजीविता):

यह वह संबंध है, जिसमें एक जीव को लाभ होता है और दूसरे जीव को न तो कोई लाभ होता है, न कोई हानि होती है।

उदाहरण: एक पक्षी जो गाय के साथ चलता है और घास में छिपे हुए कीड़ों को खाता है, जबकि गाय को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

e) Parasitism (परजीविता):

यह वह संबंध है, जिसमें एक जीव (परजीवी) दूसरे जीव (मेजबान) से पोषण प्राप्त करता है, और इसके परिणामस्वरूप मेज़बान को हानि होती है।

उदाहरण: टिक्स और कुत्ते। टिक्स कुत्ते से रक्त लेते हैं और कुत्ते को नुकसान पहुंचाते हैं।


NEET Perspective Questions (NEET दृष्टिकोण से प्रश्न)

प्रश्न 1: पारिस्थितिकी तंत्र में जैविक और अजैविक घटकों का क्या महत्व है?

उत्तर:
पारिस्थितिकी तंत्र में जैविक घटक जैसे उत्प्रेरक, उपभोक्ता और पारघटक, पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अजैविक घटक जैसे तापमान, जल, और मिट्टी, जीवों के जीवन और विकास के लिए आवश्यक शर्तें प्रदान करते हैं। इन दोनों घटकों का संतुलन पारिस्थितिकी तंत्र के स्थायित्व के लिए जरूरी है।


प्रश्न 2: उत्प्रेरक, उपभोक्ता और पारघटक के बीच अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर:
उत्प्रेरक वे जीव होते हैं जो सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करके भोजन बनाते हैं (जैसे पौधे)।
उपभोक्ता वे जीव होते हैं जो उत्प्रेरकों से प्राप्त भोजन खाते हैं (जैसे शाकाहारी, मांसाहारी)।
पारघटक वे जीव होते हैं जो मृत जीवों और जैविक पदार्थों को विघटित करते हैं और पुनः पोषक तत्वों को पारिस्थितिकी तंत्र में वापस लाते हैं (जैसे बैक्टीरिया और फंगी)।


प्रश्न 3: शिकार और शिकार किया जाना (Predation) के उदाहरण दीजिए।

उत्तर:
शिकार और शिकार किया जाना तब होता है जब एक जीव दूसरे जीव को मारकर खाता है। उदाहरण के तौर पर, शेर और मृग के बीच का संबंध। शेर मृग का शिकार करता है और उसे खाता है।

Biodiversity and Conservation

Biodiversity (जैव विविधता) पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवों और उनके पारिस्थितिकी तंत्रों के बीच का जैविक विविधता है। यह जीवन की विविधता को परिभाषित करता है, जिसमें पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव, और उनके पारिस्थितिकी तंत्र शामिल होते हैं। जैव विविधता की सुरक्षा और संरक्षण हमारे पर्यावरण और जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।


1. Hotspots (जैव विविधता के हॉटस्पॉट्स)

Hotspots वे क्षेत्र होते हैं जहाँ जैव विविधता अत्यधिक समृद्ध होती है और जहाँ पर प्रजातियाँ खतरों का सामना कर रही होती हैं। इन क्षेत्रों को संरक्षण की आवश्यकता होती है क्योंकि यहाँ की प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर होती हैं।

हॉटस्पॉट्स की विशेषताएँ:

  • यह क्षेत्र जैविक रूप से समृद्ध होते हैं, यानी यहाँ की प्रजातियाँ बहुत अधिक विविध होती हैं।
  • यह क्षेत्र वैश्विक जैव विविधता के एक बड़े हिस्से का संरक्षण करते हैं।
  • यहाँ की प्रजातियाँ गंभीर खतरे में होती हैं और इन्हें बचाने की जरूरत होती है।

भारत में कुछ प्रमुख जैव विविधता हॉटस्पॉट्स:

  1. हिमालय क्षेत्र (Himalayan Region)
  2. पश्चिमी घाट (Western Ghats)
  3. कांगो बेसिन (Congo Basin)
  4. सुमात्रा (Sumatra)

इन क्षेत्रों में जैविक विविधता का अत्यधिक महत्व है, और इन्हें संरक्षण की आवश्यकता है।


2. Endangered Species (संकटग्रस्त प्रजातियाँ)

Endangered Species वे प्रजातियाँ होती हैं जिनकी संख्या इतनी कम हो जाती है कि उनका अस्तित्व संकट में पड़ जाता है। ये प्रजातियाँ पर्यावरणीय परिवर्तन, शिकार, या पारिस्थितिकी तंत्र के नुकसान के कारण संकट में होती हैं।

संकटग्रस्त प्रजातियों के कारण:

  • विनाशकारी गतिविधियाँ: जैसे जंगलों की कटाई, वन्य जीवन का शिकार, प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन।
  • आवास का नुकसान: प्राकृतिक आवासों की नष्ट होती भूमि, जैसे कि वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन।
  • अत्यधिक शिकार और व्यापार: कई प्रजातियाँ इंसानों द्वारा शिकार की जाती हैं या अवैध रूप से व्यापार की जाती हैं।

भारत में संकटग्रस्त प्रजातियाँ:

  1. बengal Tiger (बंगाल टाइगर)
  2. Asiatic Lion (एशियाई शेर)
  3. Indian Rhinoceros (भारतीय गैंडे)
  4. Siberian Crane (साइबेरियाई क्रेन)

3. Conservation Strategies (संरक्षण रणनीतियाँ)

Biodiversity Conservation (जैव विविधता संरक्षण) का उद्देश्य जीवों की प्रजातियों को संकट से बचाना और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखना है। इसके लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनाई जाती हैं:

a) In-Situ Conservation (इन-सिचू संरक्षण):

यह वह प्रकार का संरक्षण है, जिसमें प्रजातियाँ अपने प्राकृतिक आवास में ही संरक्षित रहती हैं। इसमें निम्नलिखित तरीके शामिल हैं:

  1. National Parks (राष्ट्रीय उद्यान): ये विशिष्ट क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए बनाए जाते हैं, जहां वन्यजीवों और पौधों की प्रजातियाँ सुरक्षित रहती हैं। उदाहरण: Jim Corbett National Park.
  2. Wildlife Sanctuaries (वन्यजीव अभयारण्य): इन क्षेत्रों में शिकार पर प्रतिबंध होता है, और यहां की प्रजातियों को सुरक्षा प्रदान की जाती है।
  3. Biosphere Reserves (जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र): ये बड़े क्षेत्र होते हैं, जिनमें पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता को संरक्षित किया जाता है।

b) Ex-Situ Conservation (एक्स-सिचू संरक्षण):

यह वह प्रकार का संरक्षण है जिसमें प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास से बाहर ले जाकर संरक्षित किया जाता है। इसमें निम्नलिखित तरीके शामिल हैं:

  1. Zoos (चिड़ियाघर): वन्यजीवों की प्रजातियों को चिड़ियाघरों में रखा जाता है ताकि उनकी प्रजनन और संरक्षण किया जा सके।
  2. Botanical Gardens (वनस्पति उद्यान): पौधों की प्रजातियों को इन उद्यानों में संरक्षित किया जाता है।
  3. Gene Banks (जीन बैंक): यह संरक्षित स्थान हैं जहाँ पौधों और जानवरों के जीन को संग्रहित किया जाता है ताकि इनकी प्रजातियों को भविष्य में पुनः उत्पन्न किया जा सके।

c) Legal Protection (कानूनी सुरक्षा):

कानूनी उपायों द्वारा प्रजातियों और उनके आवासों की सुरक्षा की जाती है। यह सरकार के स्तर पर लागू किए जाते हैं, जैसे:

  1. Wildlife Protection Act (1972): यह अधिनियम भारत में वन्यजीवों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है।
  2. Convention on International Trade in Endangered Species (CITES): यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो संकटग्रस्त प्रजातियों के व्यापार को नियंत्रित करती है।

NEET Perspective Questions (NEET दृष्टिकोण से प्रश्न)

प्रश्न 1: जैव विविधता के हॉटस्पॉट्स की पहचान कीजिए और इनके महत्व को समझाइए।

उत्तर:
जैव विविधता हॉटस्पॉट्स वे क्षेत्र हैं जो जैव विविधता में समृद्ध होते हैं और जिनकी प्रजातियाँ संकट में हैं। ये क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को बनाए रखने में मदद करते हैं। भारत में पश्चिमी घाट और हिमालय क्षेत्र प्रमुख जैव विविधता हॉटस्पॉट्स हैं। इनका संरक्षण जीवन के विविध रूपों के अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है।


प्रश्न 2: संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए कौन-कौन सी रणनीतियाँ अपनाई जाती हैं?

उत्तर:
संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाई जाती हैं:

  1. In-Situ Conservation (प्राकृतिक आवास में संरक्षण): राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र।
  2. Ex-Situ Conservation (प्राकृतिक आवास से बाहर संरक्षण): चिड़ियाघर, वनस्पति उद्यान, जीन बैंक।
  3. Legal Protection (कानूनी सुरक्षा): Wildlife Protection Act (1972), CITES।

प्रश्न 3: ‘In-situ’ और ‘Ex-situ’ संरक्षण में अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
In-situ Conservation में प्रजातियाँ उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षित रहती हैं, जबकि Ex-situ Conservation में प्रजातियाँ उनके प्राकृतिक आवास से बाहर सुरक्षित रखी जाती हैं। उदाहरण के तौर पर, National Parks और Wildlife Sanctuaries in-situ संरक्षण के उदाहरण हैं, जबकि Zoos और Gene Banks ex-situ संरक्षण के उदाहरण हैं।


इस प्रकार, जैव विविधता और इसके संरक्षण के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन NEET के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पर्यावरण विज्ञान और जीवविज्ञान के महत्वपूर्ण विषयों में से एक है।

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