Occupational Lung Disease

OCCUPATIONAL LUNG DISEASE-व्यवसाय सम्बन्धी फुफ्फुसीय रोग

What is Occupational Lung Disease

Occupational Lung Disease बहुत से उद्योगों में जो कर्मचारी/लेबर वहाँ काम करते हैं उनकी सॉस के साथ यहाँ की उपस्थित गैस, भूल (Dust) व हानिकारक कण श्वासमार्ग के द्वारा अन्दर फेफड़ों में ले जाते हैं जो अन्दर जाकर फेफड़ों में एक प्रकार की फाइब्रोसिस करके फेफड़ों को खराब कर देते है एवं वहाँ के व्यक्तियों में बहुत से रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

बहुत बार ऐसे व्यक्तियों की एक्स-रे जाँच में कोई चिन्ह नहीं आता, परन्तु रोगी को कई वर्षों तक साँस के लक्षण बने रहते हैं। इस देश में गरीबी, अज्ञानता एवं समुचित सुविधाओं की

कमी के कारण ऐसे रोग काफी प्रचलित है; विशेषकर छोटा नागपुर, पश्चिमी बंगाल तथा साथ प्रदेश के खदान वाले क्षेत्रों में ऐसी व्याधियों को दो ग्रुपों में बाँटा गया है-

1. ऐसी व्याधियाँ जो अकार्बनिक या खनिज धूलि (Organic dust) सुँघने से होती है–इन्हें फुफ्फुस धूलिमयता (Pneumoconisosis) कहते हैं।

2. ऐसी व्याधियाँ जो कार्बनिक या वनस्पति धूलि (Vegetative dast) सूँघने से होती है-इन्हें बहिरस्थ एलर्जी जनित कोष्ठकीय शोथ (Extrinsic allergic alveolitis) कहते है।

विकृति

  1. प्लम्प डस्टिमयता लंबी अवधि तक अकार्बनिक डस्टी (जैसे-बालू या कोयले के कण) सूंघने से होती है और इसमें फुलों में विस्तृत तंतुमयता छायी होती है।
  2. इस प्रकार की विकृति में धूल के कण साँस के साथ फेफड़ों में जाकर एकत्र हो जाते है। फेफड़ों में यह खराबी करके ‘पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ कर सकते हैं। विभिन्न प्रकार के कणों से पैदा हुई फुफ्फुस धूलिमयता निम्नलिखित प्रकार की होती 

उपरोक्त विकृतियों में फुफ्फुसों के अंदर धूलकण स्थानीय क्षोभ (Local irritation) उत्पन्न करते हैं। इसके साथ ही ब्रोंकियल म्यूकस मेम्ब्रेन में तथा फुफ्फुस के लसीकाभ ऊतकों में शोथयुक्त प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। श्वसनी मार्ग में ज्यादा श्लेष्मा बनने तथा उसके संकुचित होने के कारण कष्ट-श्वास होता है। शोथजन्य प्रक्रिया के कारण फँसे धूल कणों के चारों ओर शोफ (Oedema) होता है (जिसके कारण एक्स-रे चित्र में गोलाकार, पर्पिल धब्बे दिखायी पड़ते हैं)। उसके बाद की अवस्था में क्षोभ तथा धूल- कणों के कारण उत्पन्न इम्यून प्रतिक्रिया के कारण फुफ्फुसों में विस्तृत तन्तुमयता होने लगती है। परिणामस्वरूप वातस्फीति तथा दायाँ हृदयपात होना सुनिश्चित हो जाता है l

 Occupational Lung Disease

Symptoms of Occupational Lung Disease

बलगम के साथ खाँसी तथा कष्ट-श्वास इसके दो प्रमुख लक्षण होते हैं- 

1. शुरू में कष्ट श्वास परिश्रम के उपरान्त ही होता है, पर धीरे-धीरे इसकी गम्भीरता बढ़ती चली जाती है और एक समय ऐसा भी आता है जब रोगी हर समय गम्भीर कष्ट – श्वास से पीड़ित रहने लगता है और रोगी पूर्ण रूप से असमर्थ हो जाता है।

2. कोयला फुफ्फुस धूलिमयता में बलगम का रंग काला होता है तथा अक्सर उसमें रक्त के छींटे पड़े होते हैं।

3. सिलिकोसिस, कोयला फुफ्फुस धूलिमयता तथा बैरीलियोसिस (Beriliosis) के कारण बलगम में अधिक मात्रा में रक्त आता है।

4. अत्यधिक थकावट तथा शरीर के वजन में निरन्तर कमी होना इनके अन्य लक्षण होते हैं।

5. ऐस्बेस्टोसिस में अंगुलियों का मद्गरीकरण (Clubbing of thumbs) भी होता है।

रोग की पहचान

1. किसी विशिष्ट अकार्बनिक धूल से कम से कम 10 वर्ष तक प्रभावित होने का वृत्त मिलता है (Case history) |

2. रेडियोलॉजी-फेफड़े के ऊपरी भागों पर बड़ी व घनी छाया (Opacity) दिखायी देती है (ऐसा कोल वर्कर निमोकोनिओसिस में होता है)। सिलीकोसिस के रोगी में हाइलर छाया बड़ी हो जाती है और एग-शैल (Egg-shell) जैसी कैल्सीफिकेशन हाइलर लिम्फ नोड्स में दिखायी देती है । ऐस्बैस्टोसिस में फेफड़े के निचले भाग में कुछ ओपेसिटी व छाया दिखायी देती है।

रोग का परिणाम

सिलिका से फुफ्फस के अंदर बहुत जल्दी ‘फाइब्रोसिस’ होती है। कोल की खदान में करने वाले वर्कस में बहुत लम्बे समय तक कोयले के कण साँस द्वारा फेफड़े में एकत्र हो जाने से सारे फेफड़े में फाइब्रोसिस हो जाती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello 👋
Can we help you?
Call Now Button