जानिए कील, मुँहासे क्यों होते है

कील या मुँहासे त्वचा वसा तंत्र का एक शोथज रोग है जिसमें तेल ग्रन्थियों में कीलों के साथ-साथ पस वाली स्फुटिकायें होती हैं। यह प्रायः चेहरे, छाती, पीठ तथा बाजुओ के ऊपरी हिस्से में होते हैं। इन्हें ‘मुख दूषिका’, युवा पीड़िका, वयोव्रण, पिम्पल, सामान्य ऐक्नी आदि नामों से भी जाना जाता है। यह रोग अधिकतर किशोरावस्था में (पुरुष एवं महिलाओं दोनों में ही) होता है।
Causes of Acne vulgaris

तेल ग्रन्थियों में रुकावट आ जाने से तैलीय द्रव त्वचा से बाहर नहीं निकल पाता और कील पड़ जाती है। जीवाणु जो प्रायः तैलीय ग्रन्थियों में पाये जाते हैं, एकत्रित होकर सीबम में इन्फैक्शन कर देते हैं जिससे ग्रन्थि का आकार भी बढ़ने लगता है तथा यह पूय (Pus) वाली स्फुटिकाओं में बदल जाती हैं। रोग को उत्पन्न करने वाले सामान्य कारण इस प्रकार हैं-
यौवनावस्था के समय अक्रान्त व्यक्ति के शरीर में पुरुष और महिला यौन हार्मोन्स के बीच असन्तुलन आ जाता है। त्वचा वसा तंत्र ऐसे समय में शायद एन्ड्रोजन से ज्यादा सुग्राही हो उठता है। त्वचा का ज्यादा चिपचिपा होना, किसी संक्रमण का उद्गम स्रोत शरीर में मौजूद होना, कब्ज, मासिक स्राव की अनियमितता, ज्यादा तेल-मिर्च मसाले, कोल्ड ड्रिंक्स, चॉकलेट, टॉफी खाने से, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा की मात्रा अधिक होने आदि, जो इस रोग को आमंत्रित करने में सहायक होते हैं।
Symptoms of Acne vulgaris
फुंसियाँ चेहरे, छाती, पीठ और कन्धे पर अधिक पायी जाती हैं। मुँहासे की नोंक पर काले रंग की डॉट होती है। इसमें मवाद पड़ जाने से ‘नोडूल’ या ‘सिस्ट’ का रूप ले लेती है। मुँहासे के इर्द-गिर्द लाली और शोथ होता है। इसमें दर्द भी होता है।
यदि इन मुँहासों को दबाया जाये तो उसमें से एक पीली या सफेद कील जिसका ऊपरी भाग काले रंग का होता है, निकलती है। कील निकल जाने के बाद गड्ढा बन जाने से, त्वचा पर चेचक जैसे दाग पड़ जाते हैं। मुँहासों को कभी फोड़ना नहीं चाहिये। इससे चेहरे पर निशान पड़ जाते हैं। कुछ लोगों के चेहरों पर इतने गहरे मुँहासे निकल आते हैं कि पूरा चेहरा कुरूप और भद्दा नजर आने लगता है।
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