काली खाँसी क्या है?
यह श्वसनी, श्वसनिका (Bronchioles) और श्वास प्रणाली (Trachea) का तीव्र संक्रमण है जिसमें एक विशेष प्रकार की खाँसी पायी जाती है। यह हवा में खाँसने या छींकने से फैलती है। इसे कुक्कुर खाँसी भी कहते हैं। इसे अतिकांस और परटूसिस (Pertussis) आदि नामों से भी जाना जाता है। इसकी विशेषतायें हैं-श्वास सम्बन्धी सर्दी, सामयिक आक्षेपयुक्त दमतोड़ खाँसी ।

Causes of Whooping cough
कारणभूत जीवाणु (Causative organism) बॉर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) के संक्रमण से यह रोग उत्पन्न होता है। इसके अलावा पैरापर्टुसिस वैसीलस के कारण भी (5%) रोगियों में यह रोग हो सकता है।
कुछ वायरसों के द्वारा भी इसके होने की सम्भावना हो सकती है।
यह रोग 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होता है। बिन्दुक संक्रमण से या रोगी से सीधा सम्पर्क होने से यह रोग फैलता है। इसका उद्भवन काल 7 से 14 दिनों का होता है। एक परिवार के या बस्ती के बहुत सारे बच्चों को यह रोग एक साथ हुआ करता है। भारत में यह रोग अधिकतर मार्च या अप्रैल के महीनों में होता है।

Symptoms of Whooping cough
प्रारम्भ में whooping cough के लक्षण सामान्य जुकाम या ऊपरी श्वसन मार्ग के केटार जैसे होते हैं। जब तक कि विशिष्ट प्रकार की खाँसी नहीं होने लगती, इस रोग की पहचान नहीं हो पाती। पर खाँसी का दौर सुनने या देखने के बाद निदान कर पाना सरल हो जाता है। इसमें रुक-रुककर खाँसी के प्रवेग आते हैं। बच्चा लगातार एक साँस में खाँसता चला जाता है-जब तक कि उसके अंदर से काफी गाढ़ा बलगम नहीं निकल आता। तब हवा एक आवाज के साथ उसके फेफड़ों में वापस जाती है तो हवा की कमी के कारण उसके होंठ और नाखून नीले पड़ जाते हैं। खाँय-खाँय के बाद उसे उल्टी भी आ सकती है। दौरा पड़ने पर चेहरा लाल हो जाता है। आँखें रक्तिम हो जाती हैं, जिहा बाहर निकल आती है। ऐसे दौरे बार-बार जल्दी-जल्दी होते हैं। दौरे के बाद बच्चा इतना थक जाता है कि वह निढाल हो जाता है या सो जाता है। यह स्थिति 2 से 4 हफ्ते तक रह सकती है।

रोग की पहचान
आरम्भ के लक्षणों से पहचान मुश्किल होती है। पर बाद में ‘हूप’ (Whoop) की आवाज सहायक होती है। रक्त परीक्षा करने पर हल्की श्वेत कोशिका बहुलता में मिलती है जिसमें लसीका कोशिकाओं की प्रधानता (70% से अधिक) होती है। गले के श्वास का सम्वर्धन करने से बैसीलस की पहचान की जा सकती है।

रोग का परिणाम
Whooping cough में मौत अधिकतर उत्पन्न उपद्रवों के कारण होती है। इसमें होने वाले उपद्रव इस प्रकार हैं-
1. ब्रान्को – न्यूमोनिया -यह एक सामान्य, पर खतरनाक उपद्रव है।
2. मध्यकर्ण शोथ ।
3. फुफ्फुस के एक खण्ड या उपखण्ड का निपात (Collapse) | ऐसा श्वसन मार्ग में गाढ़े श्लेष्मा का गोला फँस जाने के कारण होता है।
4. आक्षेप शिशुओं में यह सामान्य उपद्रव है