What is urinary retention
प्रसव होने के बाद 24 घण्टों तक शिशुओं में कभी-कभी मूत्रत्याग नहीं हो पाता है। इस अवस्था को मूत्रावरोध (urinary retention) कहते हैं।
यह विकार शिशु की मूत्रनलिका (यूरेथ्रा) के बाह्य मुख पर वर्निक्स केसिओसा जम कर एक डाट के रूप में उसका मार्ग अवरुद्ध कर देता है। लड़के में यह डाट शिश्न मुंड आवरण के भीतर मूत्र द्वार पर और कन्याओं में यह कनिष्ठ भगोष्ठ के भीतर मूत्र द्वार पर मिलता है। कभी-कभी मूत्राशय और मूत्रनलिका की विषम संरचना अथवा मूत्रमार्ग की अनुपस्थिति के कारण भी मिल सकता है। इसके अतिरिक्त कभी-कभी प्रसव से थकित, श्रमित शिशु अथवा अपरिपक्व शिशु में शिथिलतावश भी यह अवस्था उत्पन्न हो सकती है।

Causes of urinary retention
1.जन्मजात असामान्यताएं : मूत्र पथ में संरचनात्मक समस्याएं मूत्र प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती हैं।
2.संक्रमण : मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) से सूजन हो सकती है और मूत्र प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है।
3.तंत्रिका संबंधी समस्याएं : मूत्राशय को नियंत्रित करने वाली तंत्रिकाओं में समस्या के कारण प्रतिधारण हो सकता है.दवाएं : कुछ दवाएं मूत्राशय के कार्य में बाधा डाल सकती हैं।
Symptoms of urinary retention
1.पेशाब करने में कठिनाई : पेशाब करते समय संघर्ष करना या असुविधा के लक्षण दिखना।
2.पेट का फूलना : मूत्राशय भर जाने के कारण पेट का फूलना।
3.बुखार : प्रायः यह किसी अंतर्निहित संक्रमण का संकेत होता है।
4.चिड़चिड़ापन : पेशाब करने में असमर्थता के कारण बेचैनी और चिड़चिड़ापन।
Treatment of urinary retention
1.कैथीटेराइजेशन : मूत्राशय को खाली करने के लिए कैथेटर का उपयोग किया जा सकता है।
2.एंटीबायोटिक्स : यदि यूटीआई मौजूद हो तो निर्धारित की जाती हैं।
3.सर्जरी : जन्मजात असामान्यताओं या गंभीर मामलों के लिए।
4.दवा समायोजन : ऐसी दवाइयों को बदलना जो अवधारण का कारण बन सकती हैं।

PROLAPSE OF RECTUM & ANUS-कांच निकलना