परिचय
नये जन्म लिये शिशु का नाल काटने के बाद उसमें पूय को उत्पन्न करने वाले कीटाणु के संक्रमण से नाभि में घाव होकर पीव (Pus) निकलता रहता है जो प्रायः नये जन्म लिये शिशु को ही हुआ करता है। कभी-कभी एक वर्ष या अधिक आयु के बच्चों की नाभि में दुषित एवं विजातीय मैल जम जाने के कारण खुजली के साथ तरल का स्राव होता रहता है जो बाद में जाकर पूययुक्त व्रण का रूप धारण कर लेता है।
Causes
यह प्रायः एसचिरिशिया कोलाई (Escherichia coli), स्ट्रेप्टोकोकाई (Streptococei), स्टे- फिलोकोकाई (Staphylococei) कीटाणुओं के द्वारा होता है।
Symptoms
नाभि की त्वचा लाल रंग की हो जाती है। उसमें गीलापन रहता है तथा चिपचिपा तरल पदार्थ निकलता रहता है। यदा-कदा उसमें दुर्गन्ध भी रहती है। इसके द्वारा सेप्टीसीमिया और टैटनस नामक बीमारी होने की आशंका बनी रहती है। सेप्टीसीमिया होने पर तेज ज्वर, दस्त, कै आदि लक्षण स्पष्ट दीखते हैं. टैटनस रोग के प्रारम्भ में बालक दूध पीना छोड़ देता है। पूरे शरीर की माँसपेशियों में तनाव रहता है। विशेषकर चेहरे व मुँह की माँसपेशियों में। तत्पश्चात् मिर्गी आने लगती है। तापमान भी बढ़ जाता है।