ULCERATIVE COLITIS क्या है?
इसमें रोगी को काला, गाढ़ा व चमकदार मल आता है। Ulcerative colitis को आयुर्वेद में रक्तातिसार कहा जाता है। इसमें रोगी जब-जब शौच के लिये जाता है तब-तब रक्तस्राव होता है। यह बार-बार होने वाला रोग है। रोगी कुछ दिनों तक ठीक-ठीक महसूस होने लगता है, तो वह बीमारी को भूलकर अपथ्य शुरू कर देता है। परिणामस्वरूप रोग फिर पलटकर वापस आ जाता है।

Ulcerative colitis causes
अब तक रोग के कारण का कोई निश्चित समाधान नहीं हो पाया है फिर भी कारणों के सम्बन्ध में चिकित्सा वैज्ञानिकों के मतानुसार-
1. मानसिक तनाव तथा रोग क्षमता सम्बन्धी अनेक अवस्थाओं का इससे सम्बन्ध होना माना गया है।
2. कष्टदायक कब्ज, मियादी बुखार, क्षय, आवशक एवं पेचिश के परिणामस्वरूप।
3. चिंता, क्रोध, शोक आदि मानसिक विकारों को भी इस रोग का उत्तरदायी माना गया है।
4. यदि अम्लपित्त (Acidity) और जठर के अल्सर का रोगी अपना जीवन-व्यवहार रोजमर्रा की तरह चलाने के लिये बीमारी का इलाज कराता रहे और दवाओं का सेवन करता रहे, तो समय बीतने के साथ ही दवा की गर्मी पाचनतंत्र के अन्तिम अवयव बड़ी आँत तक पहुँच जाती है और अल्सरेटिव कोलाइटिस हो जाती है।

Ulcerative colitis symptoms
1.प्रारम्भ में रोगी को पेट में बेचैनी-सी महसूस होती है। उसे निरन्तर लगता है कि पेट में कुछ गड़बड़ है। रोगी उदास उदास रहता है।
2. उसकी मल त्याग की क्रिया अनियमित हो जाती है।
3. बाद को पेट भारी-भारी लगने लगता है। और उसमें किंचित पीड़ा भी होती है। मल में रक्त भी दीखने लगता है। मल में चिकनाहट मालूम होती है। कई बार ऐसा भी होता है कि मल की मात्रा कम होती है किन्तु उसमें चिकनाहट या रक्त की मात्रा अधिक होती है।
4. वजन बहुत तेजी से कम होने लगता है ।
5. भूख एकदम समाप्त हो जाती है।
6. शरीर में रक्त की मात्रा कम हो जाने से अनीमिया की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
7. रोगी का पेट अफारा रहते हुए भी पिचका-सा रहता है।
8. यकृत कुछ बढ़ जाता है और उसमें दर्द रहता है।
9. शरीर क्षीण हो जाता है और विटामिन्स की कमी के कारण त्वचा में विकार (Folli- cular hyperkeratosis) आ जाते हैं।
10. घटता-बढ़ता ज्वर, शरीर भार में कमी, रक्तन्यूनता एवं जिहाशोथ (Glossitis) आदि साधारणतः पाये जाने वाले लक्षण होते हैं ।

Note
पेट के रोगियों का एक बड़ा प्रतिशत कोलाइटिस से पीड़ित होता है। ऐसे बहुत से रोगी ‘पुरानी पेचिश’ की शिकायत करते हैं, तो कुछ रोगी कुछ दिनों या हफ्तों से पेचिश की शिकायत करते हैं। कुछ रोगी सफेद ऑव की शिकायत करते हैं तो कुछ अन्य लाल ऑव की शिकायत करते हैं। कोलाइटिस या बड़ी आंत की सूजन बहुत आमतौर पर देखे जाने वाली बीमारी है। जिसके मुख्य लक्षण पतले दस्त या कब्ज, पाखाने में ऑव तथा खून आना, पेट दर्द, पेट फूलना इत्यादि हैं।
शुरुआती अवस्था में बिना अतिसार के ही मूल में रक्त तथा खून आने लगता है। यह अवस्था कई दिनों, कई महीनों तक रह सकती है। कभी कम, कभी ज्यादा की स्थिति बनती रहती है।
यह रोग वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकता है पर बहुधा यह युवावस्था में प्रारम्भ होते. देखा जाता है (विशेषकर 20 से 40 वर्ष के बीच)। 60 वर्ष की उम्र के बाद बहुत कम लोग इस रोग से पीड़ित होते हैं। इस रोग में बड़ी आँत में शोथ हो जाती है।

रोग की पहचान
1. जब दिन में 10 से 20 बार तक रोगी को शौच के लिए जाना पड़े या उसका शारीरिक तापमान 99° से 101° डिग्री तक पहुँच जाये, तो समझना चाहिये कि रोग अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया है।
रोग का परिणाम
1. यदि बड़ी आँत के कोष मर जाते हैं तो आँत में छिद्र हो जाते हैं। इसे आँत का परफोरेशन (Perforation of large in- testine) कहते हैं जो कई बार रोगी को घातक सिद्ध होता है।