रोग का परिचय

अजीर्ण, मन्दाग्नि और अतिसार के कारण पेट में वायु भरकर पेट फूल जाता है तब पेट पर ‘अफारा आ जाता है। अफारे का अर्थ है-पेट में हवा का रुक जाना, पेट में गैस बनना (Gas troubles) । इसे फ्लेच्यूलेन्स (Flatulence) के नाम से भी जाना जाता है।
रोग के प्रमुख कारण

1. अनुचित आहार-विहार करने से।
2. बार-बार व अनावश्यक रूप से खाने से
3. तेज मिर्च-मसालेदार भोजन और आर्च-चपाटे, चटपटे-भोजन पदार्थ अधिक खाना।
4. अनियमित आहार-विहार तथा गरिष्ठ भोजन ।
5. आमाशय और आँतों की कार्य प्रणाली में दोष ।
6. चाय-कॉफी का अधिक सेवन।
7. यकृत सम्बन्धी रोग एवं विकार।
8. मलावरोध (Constipation) की शिकायत रहने से।
9. पाचन विकार तथा खाया-पिया हज्म न होना ।
10. अजीर्ण, मन्दाग्नि, अतिसार, पेचिस की शिकायत रहने से ।
11. एक बार खाना खाने के तुरन्त बाद दुबारा खाना खाते रहना।
12. गठिया रोग एवं उससे उत्पन्न विकार तथा छोटे जोड़ के रोग ।
रोग के प्रमुख लक्षण

1. इस रोग में पेट फूलकर ढोल की तरह कड़ा हो जाता है।
2. यदि पेट को उँगली से बजाया जाये तो उसमें ढोल जैसी आवाज निकलती है।
3. पेट और पार्श्व में दर्द होता है।
4. गैस के ऊपर चढने से घबराहट ।
5. थोड़ा-सा खाते ही पेट में भारीपन का अनुभव ।

6. रोगी हर समय पेट पर हाथ फेरता नजर आता है।
7. कभी-कभी छाती एवं पीठ में दर्द ।
8. श्वास कष्ट एवं हृदय पीड़ा।
9. प्रायः रोगी को कब्ज रहती है।
10. सिर दर्द एवं चक्कर आते हैं।
11. जी मिचलाना तथा किसी काम में मन न लगना।
12. खट्टी डकारें एवं बार-बार थूकना ।
13. मलत्याग या अपान वायु का निष्कासन बिल्कुल न होना ।
14. रोगी आकुल-व्याकुल हो जाता है और बिस्तर में लोटने लगता है।

Note: मलाशय में स्थित मल समय पर बाहर निकल न पाने के कारण सड़ने लगता है जिसके फलस्वरूप गैस उत्पन्न होती है। यदि यह गैस भी बाहर निकलने के बजाय मलाशय में जमा रहती है तो सडांस पैदा करती है। इस प्रकार मल में से लगातार गैस उत्पन्न होती रहती है। यही गैस पेट में भरती रहती है। इस प्रकार पेट में जो गैस भर जाती है उसी को अफारा कहते हैं।