परिचय

यह मध्यकर्ण का एक विकार है जिसमें कान के पर्दे के अचानक फट जाने से रोगी को चक्कर आकर बेहोशी सी आ जाती है। इसको ‘Traumatic perforation of the ear drum’ के विकार के नाम से भी जाना जाता है।
रोग के कारण

कान के ऊपर Slapping, औजारों के द्वारा कान की सफाई (Cleaning of the ear by instruments), हैड इन्जरी, कान में बाह्य पदार्थ के चले जाने (विशेषकर तीव्र धार वाला) या उसे निकालते समय, कान में माचिस, पेन्सिल, हेयर पिन आदि से खुरचने से, सीरिजिंग, वाटर पोलो, डाइविंग, कान पर घूँसा, थप्पड़ आदि के मारने से, बम विस्फोट, पटाखे आदि का जोर से फटना, वायुयान का एकदम से नीचे उतरना आदि कारणों से कान का पर्दा फट जाता है।
रोग के लक्षण

रोगी के कान से खून आता है, दर्द एवं सुनाई न देना, चक्कर आना, बेहोशी, कान से पानी सा बहना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। जिस स्थान पर रक्त बह रहा है वहाँ पर संक्रमण की सम्भावना रहती है।
ओटोस्कोप से देखने पर कान के पर्दे का छेद, अनियमित दीवार वाला तथा वहाँ से खून निकलता हुआ देखा जा सकता है।