What is trachoma
Trachoma (ट्रेकोमा)दुनिया की सबसे पुरानी और आम आँखों की बीमारी है। यह एक विशेष प्रकार की छूत है जो नेत्र श्लेष्मिका और स्वच्छ मण्डल की सूजन पैदा करके लंबे अर्से तक आँखों को तकलीफ देती रहती है। इलाज के बगैर यह बढ़कर आँखों को अन्धा भी कर सकती है। इसको रोहें’ के नाम से भी जाना जाता है।

Causes of trachoma
ट्रेकोमा क्लेमीडिया ट्रेकोमेटिस के सूक्ष्म रोगाणुओं से होता है। यह एक छुतहा रोग है जो किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन जहाँ बड़े पैमाने पर फैलता है वहाँ यह अक्सर बचपन में ही शुरू हो जाता है। जीवन के पहले 5 वर्षों में याँ भी बच्चे की आँखों की प्राकृतिक बचाव प्रणाली पूरे तौर पर विकसित नहीं होती लिहाजा आँख में छूत लगने के आसार खुद ही बढ़ जाते हैं।
रोग की उग्रावस्था में आँख से आने वाला स्राव ही ट्रेकोमा को फैलाता है। इस स्राव में क्लेमिडिया ट्रेकोमेटिस कुछ बड़ी तादात में मौजूद होते हैं जो व्यक्ति उनके सम्पर्क में आता है उसे छूत लगने की पूरी-पूरी सम्भावना रहती है। लिहाजा साथ सोने, एक ही तकिया, चादर, तौलिया या रूमाल इस्तमाल करने से रोग पूरे परिवार में फैल जाता है। काजल-सुरमा डालने वाली सलाई भी यही काम करती है। मक्खियाँ भी आँख पर बैठकर रोग फैलाती हैं। लाड़-दुलार में रोग माँ से बच्चे को और बच्चे से माँ को हो जाना भी आम बात है।
Symptoms of trachoma
छूत लगने के बाद रोग के लक्षण प्रायः धीरे- धीरे प्रकट होते हैं। छूत लगने के लगभग एक महीने बाद नेत्र श्लेष्मिका में हल्की जाली उभरती है और जलन होने लगती है। पलकों के अंदर की तरफ उबले हुए साबूदाने की शक्ल की छोटी गुलाबी गाँठे उठ आती हैं। इनकी शुरूआत अक्सर ऊपरी पलक से होती है। इतने तक मरीज को अक्सर कोई खास परेशानी नहीं होती, हाँ आँख में किरकिरापन जरूर महसूस हो सकता है। कभी-कभी इसी दौरान आँख में दूसरे बैक्टीरिया भी धावा बोल देते हैं। इससे आँख में लाली बढ़ जाती है, सूजन आ जाती है और गाढ़ा स्राव भी आता है। इसी से पलकें नींद से उठने पर आपस में चिपकी हुई होती हैं। इस हालत में नेत्र चिकित्सक के पास जाने पर ही ट्रेकोमा की पहचान होती है।
स्वच्छ मण्डल के ऊपरी भाग में भी छोटी-छोटी रक्त वाहिकायें फूट पड़ती हैं जो धीरे-धीरे नीचे की तरफ फैल जाती हैं। इससे स्वच्छ मण्डल की चमक और पारदर्शिता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ मामलों में रक्त वाहिकायें पूरे स्वच्छ मण्डल पर फैल जाती हैं और उसकी पारदर्शिता को नष्ट कर देती हैं। स्वच्छ मण्डल पर छोटे-छोटे जख्म भी बन सकते हैं तब आँख से पानी आने लगता है और आँखें रोशनी से चौंधयाती हैं। पलकों में भी रोग बढ़ता है जिससे वह भारी हो जाती हैं और आँख मिची- मिची दिखायी देती हैं। स्वच्छ मण्डल की पारदर्शिता समाप्त हो जाती है। आँख से दीखना बंद ।

CONJUNCTIVITIS- आँखें दुखना/आँखें आना
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