गला खराब और सूजे हुए टांसिल्स जानिए क्या है Tonsillitis
Tonsillitis (टॉन्सिल) के लाल व शोथयुक्त फूल जाने को टॉन्सिल शोथ (Tonsillitis) कहते हैं। इसे कण्ठमूल ग्रन्थि शोथ, टॉन्सिल का बढ़ जाना, गला सूज जाना आदि नामों से जाना जाता है। यह रोग प्रायः बच्चों और युवाओं में होता है।
गला खराब और सूजे हुए टॉन्सिल प्रायः सर्दी-जुकाम के कारण शुरू होते हैं। गला लाल हो जाता है और जब कोई चीज निगलें तो गले में दर्द होता है। टॉन्सिल (गले के आखिर में दिखाई देने वाली दो गिल्टियाँ) बड़े हो सकते हैं, उनमें दर्द हो सकता है या पीव (Pus) निकल सकती है, बुखार 40 डिग्री तक पहुँच सकता है।
Causes of tonsillitis
यह हीमोलिटिक स्ट्रेप्टोकोकाई के कारण होता है। यह अधिकतर दोनों तरफ की ग्रन्थियों में होता है पर कभी-कभी एक तरफ की ग्रन्थि में ही संक्रमण होता है। अन्य कारण भी संभव हैं-
1. शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का अभाव ।
2. दूषित खाद्य-पेय प्रयोग करना ।
3. रोमान्तिका, मसूरिका, खसरा, फ्लू आदि रोगों से ।
4. नाक और कान के संक्रमणजन्य रोग ।
5. डिफ्थीरिया रोग के उपद्रव के फलस्वरूप ।
6. विषाणुजन्य वायु प्रदूषण ।
7.कफ की अधिकता ।
8. कोई कठोर वस्तु निगलते समय कंट को आघात लग जाना।
9. बिन्दुक संक्रमण विशेष कारण है।
Symptoms of tonsillitis

1. गले में दर्द होने के कारण बच्चे खाना नही खाते।
2. निगलने में दर्द होता है।
3. तेज बुखार। कभी-कभी कंपन के साथ भी बुखार आता है।
4. सिर दर्द, कब्ज एवं शरीर गिरा-गिरा सा रहना ।
5. चेहरा लाल रहता है।
6. कान में दर्द होता है।
7. टॉन्सिल बढ़े हुए लाल कभी-कभी मवाद के पीले बिन्दु भी दिखायी देते हैं।
8. थकावट व भूख की कमी।
9. आवाज भारी व दुर्बल।
10. मुँह की श्वास में अजीब सी गंध ।
11. आवाज भारी व दुर्बल।
12. गर्दन की लसीका ग्रन्थियों में सूजन व दबाने पर कष्ट ।
13. जब तक ज्वर रहता है रोगी सिर दर्द की शिकायत करता है।
14. प्यास अधिक। पानी लगते ही कंठ में पीड़ा।
Note
इस रोग के कारणों में सर्दी का प्रकोप अक्सर लगा रहना माना जाता है। मौसम परिवर्तन हो जाने से होने वाला सर्दी-जुकाम। गर्म एवं आर्द्र प्रदेशों के लोगों की बसन्त, बरसात एवं ठंड के मौसम में कण्ठमूल ग्रन्थि प्रभावित हो जाती है।
रोग की पहचान
1. शीशे द्वारा देखने पर तालुमूल के बगल में सुपारी के समान सूजन दिखायी देती है ।
2. मुँह में लार अधिक आती है। गले में दोनों ओर टॉन्सिलर ग्लैण्ड्स बढ़े हुए होते हैं जिन्हें छूने पर दर्द होता है।
3. मूत्र की परीक्षा करने पर मूत्र में एल्ब्यूमिन मिलती है।
रोग का परिणाम
उपद्रव के रूप में रोगी को ‘वृक्कशोथ’ भी हो जाता है। ‘सेप्टीसीमिया’ इस रोग का प्रमुख उपद्रव है जिससे टॉक्सिक ‘मायोकारडाइटिस’ की स्थिति पैदा हो सकती है। उचित चिकित्सा के अभाव में सूजन के स्थान पर घाव हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त ‘पेरीटांसिलर एब्सेस’, स्वरशोथ, तीव्र मध्य कर्ण शोथ आदि उपद्रव हो जाते हैं।
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