परिचय

बच्चों की जीभ एवं मुख की झिल्ली पर लाल दाने से हो जाते हैं जिससे बच्चा दूध नहीं पी पाता है और दर्द व भूख के कारण रोता रहता है। इसको ‘थ्रेस’ भी कहते हैं।
रोग के कारण

मुँह आना एक प्रकार की फंगस ‘कैंडिडा एल्बीकेन्स’ के द्वारा मुँह में होने वाला संक्रमण है। यह अक्सर जन्म के तुरन्त पश्चात् नवजात शिशुओं एवं घुटने चलने वाले बच्चों में देखने को मिलता है। एन्टिबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किसी लम्बे समय तक रोग के लिये किया जाये अथवा शरीर में पोषक तत्वों की कमी के उपरान्त भी यह रोग हो सकता है। बच्चा गंदी वस्तुयें यदि मुँह में डाले तो रोग का संक्रमण हो सकता है। अधिक गर्म दूध पिलाने से अथवा चुसनी का प्रयोग अधिक करने से यह रोग हो सकता है।
रोग के लक्षण

इस रोग के अन्तर्गत जीभ, मुँह के तालू, मसूड़ों एवं होठों तथा गालों के भीतरी भाग में सफेद परत के धब्बे से जम जाते हैं जो कि दही की परत की तरह दिखायी पड़ते हैं। यह सफेद धब्बे जिन्हें कि ‘प्लाक्स’ के नाम से जाना जाता है। साफ करने पर भी जमे रहते हैं। आमतौर पर इस रोग के कोई लक्षण नहीं होते हैं। बालक दूध नहीं पीता है।
# सफेद छाले जिनके चारों ओर ललाई होती है यह जमे हुए दही के जैसे होते हैं जिन्हें आसानी से खींच कर अलग नहीं कर सकते, वरन् खून निकलने लगता है।
# इसका निदान कि यह फंगस कैंडिडा के कारण ही है, प्रयोगशाला जाँच द्वारा किया जाता है।