Pneumonia

PNEUMONIA-निमोनिया 

What is pneumonia

Pneumonia फेफड़े की शोथ वाली स्थिति है, जो प्रायः किसी वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण से उत्पन्न होती है। इसमें फेफड़े के किसी एक या अधिक भाग की वायुकोष्ठिकायें (ऐल्वी- ओलाई) सूज जाती हैं और जैसे पानी से भर जाती हैं। ऐसा होने पर ये श्वास प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पातीं। वायरस या बैक्टीरिया की संख्या फेफड़े में तेजी से बढ़ती जाती है, जिससे बुखार आ जाता है, छाती में दर्द हो सकता है और खाँसी उठने लगती है। एण्टीबायोटिक दवाओं से रोग जल्द नियंत्रण में आ जाता है, पर निदान में देर हो जाये तो हालत गम्भीर भी हो सकती है।

Causes of pneumonia

ज्यादातर मामलों में Pneumonia की शुरूआत साधारण सर्दी-जुकाम, गला खराब होने से होती है। मुँह, नाक, गले में पैठ करने वाले वायरस या बैक्टीरिया मौका पाते ही श्वास नलिकाओं की बचाव प्रणाली को चकमा दे जाते हैं और वायु कोष्ठिकाओं पर धावा बोल देते हैं।

कुछ मामलों में संक्रमण सीधा हवा से आये वायरस और बैक्टीरिया से भी हो जाता है। और कुछ में शरीर के अन्य किसी अंग से खून के रास्ते पैदा करने वाले बैक्टीरिया फेफड़े में पहुँच जाते हैं। सामान्य स्वास्थ्य वाला व्यक्ति प्रायः इन संक्रमणों के घेरे में कम ही आता है पर शरीर जरा दुर्बल हुआ नहीं कि यह संक्रमण निमोनिया में बदल जाता है।

Symptoms of pneumonia

अचानक ही ठंड देकर बुखार आता है। यह बुखार लगातार चढ़ा रहता है पर बीच में कम नहीं होता। खाँसी होती है, जिसमें सफेद, पीला, या हरा बलगम निकलता है। छाती में दर्द भी हो सकता है। साँस तेज गति से चलने लगती है। छोटे बच्चों में यह लक्षण खास कर देखने में आते हैं। इलाज जल्दी शुरू न होने पर मरीज की हालत तेजी से बिगड़ती जाती है। उसमें बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है, बुखार और अधिक तेज हो जाता है और छाती में भी दर्द बढ़ जाता है। कुछ मरीजों के बलगम में खून भी आ जाता है। रोगी को भूख नहीं लगती हैं। जीभ सूखी और काली सी हो जाती है। इस रोग में रोगी को करवट बदलने और साँस लेने में भी तकलीफ हो जाती है।

Pneumonia

Note – नाड़ी पहले-पहल बहुत तेज और पूर्ण रहती है, किन्तु धीरे-धीरे नाड़ी जल्दी चलने वाली, कमजोर और अनियमित हो जाती है।

रोग की पहचान

रोगी के लक्षण और शारीरिक जाँच के परिणाम ही इसके होने की संभावना व्यक्त करते हैं। सही-सही पुष्टि छाती के एक्स-रे से हो जाती है। इसमें निमोनिया (Pneumonia) किस प्रकार का है यह भी पता लग जाता है। फिर भी खून और बलगम की जाँच कराने से स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है। इसके अतिरिक्त जिधर के फेफड़े में निमोनिया होता है, उस ओर की छाती में तेज दर्द भी रहता है।

रोग का परिणाम

रोग की भयंकर अवस्था में रोगी को प्रलाप होकर अन्त में कोमा (Coma)। मूर्छा हो जाती है।

रोगी की हृदय गति के रुक जाने या दूसरे फेफड़े में शोथ उत्पन्न हो जाने से (डबल निमोनिया) मृत्यु हो जाती है। प्रायः 10 दिन के अन्दर ही अन्दर ऐसा हुआ करता है। ज्यादातर मामलों में सात से दस दिनों में स्थिति बिलकुल संभल जाती है और रोगी पहले से काफी स्वस्थ अनुभव करने लगता है।

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