रोग परिचय

एक तरफ के टॉन्सिल के कवच और उसके ऊपर की माँसपेशी के बीच की जगह जिसे पेरीटांसिलर स्पेस कहते हैं में मवाद (Pus) पड़ जाती है। इसे ‘क्वीनजी’ (Quinsy)नाम से भी जाना जाता है।
रोग के प्रमुख कारण

1. बार-बार होने वाला टांसिल शोध (टॉन्सी- लाइटिस) इसका प्रमुख कारण है।
2. उचित चिकित्सा का अभाव।
3. उचित पोषण की अव्यवस्था सर्दी वाले मौसम में रहना ।
4. ज्यादा धूल, मिट्टी वाले वातावरण में काम करना।
प्रमुख लक्षण

1. यह रोग मुख्य रूप से वयस्क पुरुषों में होता है (It is common in adult males) | 2. रोगी का अधिकतर एक तरफ का गला खराब होता है। प्रायः क्लीनिक पर रोगी यह शिकायत लेकर आता है।
3. 103-104 डि. फा. तक बुखार।
4. निगलने में द्विक्कत होती है एवं एक्सेस वाली साइड पर कर्णशूल व कान में भारीपन होता है।
5. मुँह से लार गिरती है। आवाज मोटी व भारी होती है।
6. मुँह खोलने में दर्द व पूरा नहीं खुल पाता है।
रोग की पहचान

1. जाँच करने पर टॉन्सिल के चारों ओर लालिमा, सुजन एवं बाहर को निकला हुआ होता है। टॉन्सिल पूरी तरह से पस की परत से ढका हुआ होता है। मुँह की श्लेष्म झिल्ली गंदी व मुँह से बदबू आती है।
2. यदि समय पर उपचार न किया जाये तो यह फूटकर फैरिन्क्स में चली जाती है।
रोग का परिणाम

1. गले में सूजन इसका प्रमुख उपद्रव (Complication) है।
2. स्वरयंत्र में सूजन ।
3. सेप्टीसीमिया ।
4. मवाद के फेफड़े में चले जाने से श्वासनली में परेशानी हो जाती है।