OSTEOARTHRITIS-OA-अस्थि सन्धिशोथ

What is osteoarthritis

यह रोग सन्धि शोथ का सबसे प्रचलित रोग है। इसमें जोड़ों के अन्दर कई जगहों पर डिजनरेटिव बदलाव आ जाते हैं।

आस्टियो आर्थाइटिस जोड़ों का रोग है। इसका घुटने तथा कूल्हे पर सर्वाधिक असर होता है। इसमें सर्वप्रथम घुटने के बीच कार्टिलेज घिसने लगती है तथा उसमें छेद हो जाते हैं। कार्टिलेज की लचक कम होने लगती है और समय के साथ कार्टिलेज का कुछ हिस्सा पूरी तरह घिस जाता है जिससे घुटने की हड्डियाँ आपस में रगड़ने लगती हैं, जोड़ों में सूजन आ जाती है तथा जोड़ की हड्डियों के सिरे कुछ मोटे हो जाते हैं। परिणामस्वरूप जोड़ को हिलाने-डुलाने में तथा खड़ा करने में दर्द होता है।

Causes of osteoarthritis

यह रोग अधिकतर हड्डियों में घिसाव व टूटन के कारण होता है। जिस जोड़ पर जितना अधिक दबाव पड़ेगा उसमें उतने ही अधिक बदलाव आते हैं। इसलिये हाथों के जोड़ों की अपेक्षा पैरों के जोड़ों में बदलाव जल्दी आते हैं। जोड़ों में बदलाव के लिये कुछ खराबी पहले से ही होती है। जैसे-

1. जन्म से ही जोड पूर्ण विकसित न होना।

2. मोटापा या ज्यादा वजन।

 3. शरीर में पोषक तत्त्वों की कमी।

 4. फ्रैक्चर होने से जोड़ की सतह खराब होने से।

5. जोड़ की अन्दरूनी खराबी जैसे-लूज हड्डी का निर्माण।

6. उम्र (Age) / अधिक उम्र ।

7. निरन्तर शरीर में तनाव। 

8. कैल्शियम की कमी तथा हाइड्रोक्लोरिकल एसिड अल्पता ।

Symptoms of osteoarthritis

रोग की शुरूआत धीरे-धीरे होती है। रोगी को दर्द सालों से रहता है। लम्बे समय बाद जोड़ों में खिंचाव आना शुरू हो जाता है। दर्द अपने आप कभी कम कभी ज्यादा होता रहता है। आँखों में पानी और गला सूखना, पाँवों में ऐंठन होती है। सर्दियों के दिनों में दर्द ज्यादा होता है। रोगी को सीढ़ियाँ चढ़ने में दिक्कत होती है। सुबह उठने पर जोड़ों में जड़ता मिलती है। हिलाने पर जोड़ की गतिविधियाँ कुछ कम मिलती हैं। हिलाने पर या उठने पर चटख चटख की आवाज आती है। रोगी की त्वचा का रंग व तापमान सामान्य रहता है। हाथ से दबाने पर जोड़ थोड़ा मोटा मिलता है।

जोड़ों में दर्द और कठोरपन इस रोग के लक्षण है। प्रायः व्यायाम के बाद दर्द बढ़ने लगता है।

Note

यह ऐसी बीमारी है जिसमें निरन्तर जोड़ों के तन्तुओं का हास होता रहता है। आमतौर पर यह बुढ़ापे में अधिक होता है। इसमें जोड़ों की कार्टिलेज की संरचना में परिवर्तन आना शुरू हो जाता है विशेषकर जिन भागों में वजन रहता है जैसे- रीढ़ या घुटने के जोड़।

रोग की पहचान एवं परीक्षण

ऊपर बताये गये जोड़ों की सूजन व कड़ापन ही आस्टियो आर्थ्रोइटिस की पहचान है इसमें निम्न परेशानियाँ होती हैं-

1. घुटनों का दर्द शाम के समय अधिक रहता है क्योंकि दिन भर घुटनों से अधिक कार्य लिया जाता है।

2. जोड़ों में कड़ापन प्रातःकाल अधिक रहता है। धीरे-धीरे घुटनों के गतिशील होने पर लगभग 15 मिनट में यह कड़ापन दूर हो जाता है। उम्र के साथ घुटनों का क्षरण बढ़ता जाता है और गतिशीलता में कमी आने लगती है। एक्स-रे परीक्षण में कार्टिलेज स्पेस कम हो जाता है। जोड़ की सतह खुरदरी दिखायी देती है और हड्डी के कोने निकल जाने से ‘स्पर’ बन जाते हैं। साइनोवियल मोटाई समान रहती है। ई. एस. आर. कराने पर उसमें वृद्धि नहीं मिलती है।

रोग का परिणाम

रोगी का जोड़ मोटा हो जाता है। यह मोटाई, हड्डी के बढ़ने से होती है जिसको ओस्टायोफाइट (Osteophytes) कहते हैं। रोग के ज्यादा बढ़ने पर जोड़ जुड़ जाता है। यदि जोड़ ज्यादा खराब हो जाते हैं तो रोगी उठने बैठने और चलने से बिलकुल मजबूर हो जाता है। ऐसी स्थिति में इसकी कोई औषधि चिकित्सा नहीं है केवल ऑपरेशन के द्वारा उसको बदला जा सकता है।

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