स्वप्नदोष क्या होता है?
जब पुरुषों में सोते समय रात या दिन में स्वप्न में स्वतः वीर्यपात हो जाता है तो ऐसी स्थिति को स्वप्नदोष कहते हैं। यह युवक में उद्दीप्त यौन प्रवृत्ति और इच्छा की मानसिक और शारीरिक तृप्ति के लिए प्राकृतिक सुविधा (नारी संसर्ग) के अभाव में वीर्य के निकल जाने की स्वाभाविक क्रिया है। एक माह में 2 से 4 बार स्वप्नदोष नाइट फॉल सामान्य है। यह कोई रोग नहीं होता, प्राकृतिक है। इसे आम बोलचाल में धातु गिरना भी कहते हैं।

Causes of Nightfall
अस्वाभाविक स्वप्नदोष की स्थति अपनी स्वयं के त्रुटिपूर्ण आहार-विहार, विचार से बना लेते हैं। प्रायः कामुक विचारों का मनन करना, अश्लील पुस्तकें, पत्रिकायें पढ़ने में अधिक रुचि लेना, अधिक सिनेमा देखना, बुरी संगति में रहना, लगातार कब्ज रहना, अजीर्ण रहना भी रोग को जन्म देते हैं क्योंकि इससे मल पेट में पड़ा सड़ता है, जिससे विष बनता है, दूषित गैस बनती है, जो जनेन्द्रिय सम्बन्धी ग्रन्थियों एवं अवयवों पर कुप्रभाव डालती है। साथ ही काम नाडियों को उत्तेजित करती है। इसके अतिरिक्त भय एवं चिन्ता भी स्वप्नदोष जनित रोग को बढ़ाती है। कुछ युवक मूत्रत्याग की इच्छा होने पर भी मूत्र वेग को रोके रहते हैं. यह भी स्वप्नदोष का एक कारण है।
आजकल केवल टी. वी. पर ज्यादा उत्तेजक कार्यक्रम देखना ज्यादा हस्त मैथुन की प्रवृत्ति.. छोटी उम्र में ही स्त्री प्रसंग की अधिकता. मादक पदार्थों जैसे- शराब, चरस, गाँजा का अधिक सेवन, छोटी उम्र में वेश्यागमन, ज्यादा रोमान्टिक वातावरण में रहना ज्यादा मसालेदार गरम भोजन, साइकिल की अधिक सवारी, किसी सुन्दर युवती के साथ रहने से, शारीरिक परिश्रम की कमी, कामोत्तेजना वाले दृश्य, दिन में किसी सुन्दर युवती को देख लेना, सुन्दरियों के विषय में काम-चर्चा करना, उनसे सम्पर्क स्थापित करना, ब्लू फिल्म देखना, नृत्य, कामुक क्रियायें, मन में स्थित कुविचार स्वप्नदोष. में सहायक कारण होते हैं।
Symptoms of Nightfall
रोग के शारीरिक लक्षण निम्न रूप में देखने को मिलते हैं-
अत्यधिक स्वप्नदोष होने से सारा शरीर क्षीण तथा पीतवर्ण (पीला सा) हो जाता है। चेहरे की रौनक चली जाती है, गाल पिचक जाते हैं और आँखें अन्दर की ओर धँस जाती हैं। दृष्टि कमजोर हो जाती है, सिर के केश सफेद होने लगते हैं तथा सिर, कमर व सारे शरीर में दर्द बना रहता है। हाथ-पैर के तलवों से अधिक पसीना निकलता है। हृदय दुर्बल हो जाता है तथा इसकी धड़कन बढ़ जाती है। शरीर का टूटना तथा कब्ज बनी रहती है। इसके साथ-साथ शरीर में अनेक रोगों का रहना तथा थोड़े परिश्रम से थकावट आ जाना, स्मरण शक्ति का निर्बल होना य थोड़ी देर तक खाली बैठने पर तन्द्रा आना आदि लक्षण प्रतीत होते हैं।

रोग के मानसिक लक्षण
मस्तिष्क के कमजोर हो जाने से स्मरण शक्ति का घटना प्रारम्भ हो जाता है स्वभाव चिडचिडा हो जाता है। बात-बात पर तुनक जाते हैं।
#दिमाग खाली-खाली रहने लगता है। शरीर में सुस्ती एवं तन्द्रा बढ़ जाती है। जीवन में निराशा, निरुत्साह समा जाता है। स्वप्नदोष की वृति ही अन्त में ध्वज भंग और पुरुषत्वहीनता का भी कारण बन जाती है। शुक्राणुओं की कमी से संतानोत्पादन शक्ति भी क्षीण हो जाती है। अनिद्रा, मुखाकृति चिन्ताग्रस्त सी, हाथ-पैरों का ग्रीष्म अधिक ठंडा रहना, स्त्री प्रसंग – शीघ्र पतन अन्त में नपुंसक जैसा हो जाता है।
#अत्यधिक स्वप्नदोष होने पर शरीर कृश हो जाता है। मस्तिष्क में कमजोरी आ जाती है, दिखाई कम देने लगता है। याददाश्त कमजोर हो जाती है, नींद नहीं आती है, किसी कार्य में मन नहीं लगता, आलस्य में लेटे रहने और एकान्त में रहने की इच्छा होती है। वीर्य पतला हो जाता है और शीघ्रपतन होने लगता है क्योंकि युवक जब स्वप्न में शीघ्र ही स्खलित हो जाता है तो जाग्रत अवस्था में भी उसका वीर्य शीघ्र ही स्खलित हो जावेगा, जिसकी चिकित्सा न करने