MENORRHAGIA- .माहवारी में अधिक रक्तस्राव (मीनोरेजिया)

परिचय

इसमें आर्तव चक्र की अवधि तो सामान्य होती है पर मासिक रक्तस्राव अधिक दिनों तक चलता है अथवा उसकी मात्रा सामान्य से कहीं अधिक होती है या दोनों बातें होती है। सामान्य रूप से मासिक धर्म के दौरान केवल 40-50 मिली. तक रक्त 4-6 दिनों में योनि द्वारा निकलता है। यह मात्रा सामान्यतया 100 मिली. से अधिक नहीं होती है। माहवारी में अधिक रक्तस्राव की समस्या दो प्रकार से हो सकती है।

1. रक्तस्राव अधिक दिनों तक जैसे 7-8 दिनों तक। 

2. रक्तस्राव का समय तो 5-6 दिनों तक ही रहता है लेकिन प्रतिदिन रक्तस्राव की मात्रा अधिक हो जाती है।

# इस विकृति को अत्यार्तव भी कहते हैं। अत्यार्तव स्वयं में कोई रोग नहीं होता बल्कि किसी विकृति का एक लक्षण मात्र होता है, पर इसको उत्पन्न करने वाली विकृतियों को जानना कठिन होता है।

रोग के कारण

माहवारी में अधिक रक्तस्राव अनेक बीमारियों के कारण हो सकता है-

1. रक्त से सम्बन्धित बीमारियाँ

#रक्त का कैंसर (ल्यूकीमिया)।

#रक्त का थक्का जमाने वाले तत्त्वों की कमी होना ।

#रक्त की अत्यधिक कमी होना (रक्ताल्पता)।

रोग के लक्षण

इस विकृति में मासिक स्राव पहले से ज्यादा मात्रा में आता है और स्राव पहले से ज्यादा दिनों तक चलता है। रोगिणी को बार-बार चक्कर आते हैं। अधिक रक्त आने से उसकी शारीरिक दुर्बलता बढ़ जाती है। कमर व पेडू में दर्द रहता है। उसका किसी काम में मन नहीं लगता है।

2. थायरायड ग्रन्थि में विकार होने के कारण।

3. गर्भाशय की टी. बी. प्रारम्भ में यह बीमारी माहवारी में अधिक बीमारी को जन्म दिया है पर शनैः शनैः पहले माहवारी में बीमारी कम हो गयी है ।

 4.गर्भाशय की गोलियाँ (रसौली)।

5. अण्डाशय की गाँठें (ट्यूमर)। 

6. एण्डोमैट्रियोसिस (Endometriosis) |

7. जननांगों का संक्रमण (Pelvic inflammatory disease) | 

8. प्रसव के बाद व गर्भपात के बाद के कुछ महीनों में माहवारी में अधिक रक्तस्राव हो सकता है।

9. गर्भ निरोधक गोलियों के सेवन से। 

10. गर्भ निरोधक कॉपर-टी लगवाने वाली 5-10 प्रतिशत महिलाओं में माहवारी (M. C.) में अधिक रक्तस्राव की समस्या हो सकती है।

11. मानसिक तनाव व उलझन भी अधिक रक्तस्राव का कारण हो सकता है- जैसे-परीक्षा के दौरान, वैवाहिक जीवन में असन्तुलन के कारण, वातावरण में परिवर्तन के कारण।

12. अत्यार्तव का कारण योनि के अन्दर गर्भाशय या गर्भाशय मुख का कैंसर भी हो सकता है जो कि सम्भोग के बाद या माहवारी में बीच या मोनोपाज के बावजूद हो सकता है।

हमारे देश में महिलाओं में होने वाला सर्वाधिक आम कैंसर है। यह रोग उन्हीं औरतों को प्रभावित करता है जो जल्दी उम्र में ही यौन क्रियाओं में जुड़ जाती है। और बीस की उम्र से पहले ही गर्भवती हो जाती हैं या फिर जो औरत बहुत से मर्दों के साथ यौन सम्बन्ध रखती हैं या फिर सिफिलिस रोग है। ऐसी स्त्रियों में निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते हैं-

# योनि से रक्तस्राव पहला लक्षण है. पहले पानी और बाद में खून रक्त गाढ़ा एवं बदबूदार होता है।

# कमर दर्द शुरू होता है जो बाद में जाँघों तक पहुँच जाता है। यह दर्द पेट के निचले भाग में भी हो सकता है।

# इसके बाद धीरे-धीरे कमजोरी बढ़ती जाती है।

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