Meningitis क्या है?
इसको गर्दन तोड़ बुखार भी कहते हैं। मेनिंगोकोकस द्वारा फैलने वाला यह रोग अधिकतर महामारी के रूप में फैलता है। यह छोटे बच्चों को जल्दी प्रभावित करता है। मस्तिष्क के आवरण में इन्फैक्शन से शरीर की माँसपेशियाँ जकड़ जाती हैं और रोगी को तेज बुखार हो जाता है।

Meningitis causes
यह रोग ‘नाइजीरिया मेनिन्गोकोकस जीवाणु के द्वारा होता है जो गुर्दे की आकृति का होता है। जीवाणु मस्तिष्क के आवरण तक नाक, गले या खून के द्वारा पहुँचते हैं। इनकी प्रतिक्रिया से वहाँ सफेद गाढ़ा पदार्थ निकलता है जो मस्तिष्क में ललाई पैदा करके सारे लक्षण प्रदर्शित करता है।

Meningitis symptoms
लक्षण एकाएक और तीव्र स्वरूप के होते हैं। रोगी को सर्दी के साथ तेज बुखार, सिर दर्द व उल्टी होती है। शरीर की सारी माँसपेशियों में दर्द रहता है। गर्दन में अकड़न आ जाती है और मरीज जल्दी ही बेहोशी की स्थिति में आ जाता है। कभी-कभी त्वचा पर लाल-लाल चकत्ते भी पड़ जाते हैं। नाडी कभी तेज कभी धीमी चलती है। शरीर का तापमान अनियमित हो जाता है और अन्त में सामान्य से भी कम हो जाता है। कभी-कभी पीठ की तरफ झुकने से धनुषटंकार (टिटनेस) जैसे लक्षण प्रकट हो जाते हैं। कभी-कभी रोगी आरम्भ से ही गहन मूच्छा (Coma) में चला जाता है और अन्त तक ऐसा ही रहता है।

रोग की पहचान
रोग की पहचान उपरोक्त लक्षणों के आधार पर तथा निम्न परीक्षणों के बेस पर की जाती है-
1. रक्त जाँच में सफेद कोशिकायें बढी मिलती हैं।
2. ब्लड कल्चर पॉजीटिव होता है।
3. सी. एस. एफ. (CSF) जाँच में पस युक्त (Purelent) तथा ग्राम स्टेनिंग करने पर
मेनिन्गोकोकाई की उपस्थिति मिलती है।
रोग का परिणाम
तीसरी, चौथी और आठवीं क्रेनियल तंत्रिका का पक्षाघात हो जाता है। जलशीर्ष, मध्यकर्ण शोथ, नेत्र श्लेष्मा इन्फेक्शन आदि संक्रमण जैसे उपद्रवों की संभावना रहती है। आजकल इस रोग में आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसकी चिकित्सा सहज और सरल हो गई है। लगभग 80% रोगियों को समय पर की गई चिकित्सा से बचाया जा सकना संभव हो चुका है। पहले इस रोग में तुरन्त मृत्यु हो जाती थी, लेकिन अब मृत्यु का यह सिलसिला थम गया है।

Note
याद रखने की बात यह है कि जो रोगी जीर्णावस्था में पहुँच जाते हैं उनमें पक्षाघात, बहरापन तथा बुद्धिहीनता के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।