परिचय
सूखा रोग (बाल-शोष) बच्चों का एक भयानक रोग है। इस रोग में बच्चे सूखकर हड्डियों के पिंजर मात्र रह जाते हैं और उचित चिकित्सा न कर पाने पर मर जाते हैं। बच्चा सूख कर काँटा हो जाता है, हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं। इसे मसान रोग से भी जाना जाता है। सुखण्डी, सूखिया मसान भी इसी के नाम हैं।

Causes
यह रोग विटामिन डी और कैल्शियम की कमी तथा पाचन विकारों के कारण होता है। इसके अतिरिक्त यह रोग अन्तडियों में क्षय रोग के संक्रमण के कारण भी हो जाता है। दाँत निकलते समय अधिक दस्त, वमन, अजीर्ण आदि से बच्चों का अधिक दुर्बल हो जाना, माँ-बाप को उपदंश का विष, कंठमाला, डिसेण्ट्री आंत्र में कृमि, ज्वर तथा दूसरे प्रकार के तीव्र ज्वर आदि कारणों से यह रोग हो जाता है।

Symptoms
इसमें बच्चा सूखने लगता है। यह अधिकतर किसी जटिल पुराने रोग के बाद होता है और बच्चा प्रतिदिन दुबला होता जाता है। उसके शरीर में वसा का एकत्र होना रुक जाता है तथा त्वचा के नीचे वाली वसा (Fat) भी घुल जाती है। ऐसा बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। बच्चे का सिर बड़ा दिखायी देता है। सिर के अगले कोमल भाग में गड्ढा बन जाता है।
इसमें बच्चे की माँसपेशियों का क्षय होते रहने के कारण बच्चा सूख कर कंकाल मात्र (Skelton type) रह जाता है। उल्टी-वस्त आदि लक्षण उत्पन्न हो जाते है। जाँध, बगल उदर एवं नितम्ब की त्वचा में झुर्रियाँ पढ़ जाती हैं। बच्चे का चेहरा बूढ़े जैसा लगने लगता है। आँखें निस्तेज और बाहर निकली सी दिखाई पडती है। बच्चा बहुत रोता है। बच्चे को मंद ज्वर भी रहने लगता है।

नोट
बच्चा सूख कर काँटा हो जाता है, उसकी शक्ल डरावनी हो जाती है, चेहरा पीला मुर्दों जैसा लगता है। उसके कान की लौ पतली और पीली पड़ जाती है । उसकी कमर पतली होती जाती है। उसके दोनों चूतड़ सूखते जाते हैं। पतले दस्त आते हैं।

रोग की पहचान
शरीर की स्वाभाविक गर्मी 98.4 से कम रहे और शरीर केवल हड्डियों का ढाँचा रह जाये तो समझ लें कि बच्चे को सूखिया रोग है। बच्चे के कान की लौ दबाने से यदि बच्चा न रोए तो समझ लें कि बच्चा सूखा रोग से पीड़ित है। बालों का शुष्क एवं खुरदरा होना भी रोग को स्पष्ट करता है।
रोग का विभेदक निदान
यह रोग क्वाशियोकोर से मिलता-जुलता है। इन दोनों में निम्न अन्तर भाव है-सूखा रोग में शरीर पर सूजन नहीं होती, जबकि क्वाशियोरकोर में पैरों तथा कभी-कभी चेहरे 5 और पूरे शरीर पर सूजन होती है।
सूखा रोग में रोगी का शरीर दुबला-पतला, चमड़ी और हड्डी का ढाँचा मात्र होता है जबकि क्वाशियोरकोर के रोगी का शरीर कभी-कभी मोटा होता है।