मलेरिया क्या है?
एक प्रकार का संक्रामक ज्वर जो प्राय: पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे दिन अन्तर दे देकर आता है उसे मलेरिया कहते हैं। इसमें मरीज को सर्दी के साथ बहुत तेज बुखार चढ़ता है और कुछ समय बाद पसीना आकर यह बुखार उतर जाता है।

Malaria causes
यह प्लाज्मोडियम नामक जीवाणु का मादा एनाफिलीज मच्छर द्वारा, मनुष्य के रक्त में पहुँचने से उत्पन्न होने वाली बीमारी है। प्लाज्मोडियम जीवाणु की चार जातियाँ हैं-
1. प्लाज्मोडियम वाइवैक्स।
2. प्लाज्मोडियम ओवेल ।
3. प्लाज्मोडियम फेल्सीपेरम ।
4. प्लाज्मोडियम मलेरी । मादा एनाफिलीज मच्छर द्वारा मनुष्य को काटने पर यह जीवाणु शरीर में पहुँचता है। यह ग्रीष्म प्रधान देशों में वर्षा के बाद तालाब और गड्ढे आदि सूखकर उनमें संडास पैदा होने से और मच्छरों के काटने से फैला करता है।

Malaria symptoms
मलेरिया के लक्षणों की 3 अवस्थायें होती हूँ-
1. शीत अवस्था-मलेरिया की यह पहली अवस्था होती है, इसमें उबकाइयाँ आती हैं, वमन होता है, देह में दर्द रहता है और प्यास लगती है। कभी-कभी रोगी जाडे के मारे थर-थर काँपने लगता है। यहाँ तक रोगी को रजाई भी ओढ़नी पड़ती है और काँपने से चारपाई तक हिलने लगती है। रोगी पित्त की के करता है और उसके हाथ-पैर बरफ से ठंडे हो जाते हैं।
2. उत्ताप/गर्मी की अवस्था-यह मलेरिया की दूसरी अवस्था हुआ करती है। इसमें रोगी को कुछ देर जाड़ा आने के बाद सारा शरीर गरम हो जाता है। शरीर का तापक्रम 103-104 डि. फा. (39-5-40°C) तक चढ़ जाता है। रोगी छटपटाता है और अंटशंट बकने लगता है। यह अवस्था बहुत देर तक बनी रहती है। (3-4 घण्टे)
3. स्वेद अवस्था (पसीना छूटना) -(24 घण्टे) पसीने के साथ बुखार कम होने लगता है। रोगी के कपड़े भी पसीने से भीग जाते हैं। अगर यह अवस्था ज्यादा दिनों तक रहे तो रोगी के जिगर और तिल्ली बढ़ जाया करते हैं।


Note
1. यह ठण्ड लगने से शुरू होता है। प्रायः सिर दर्द भी होता है। व्यक्ति 15 मिनट से एक घण्टे तक ठिठुरता है।
2. ठिठुरन के बाद बुखार चढ़ता है-प्रायः 40 डिग्री या इससे भी ज्यादा। व्यक्ति कमजोरी अनुभव करता है। उसकी चमड़ी लाल हो जाती है। कई बार उसका मस्तिष्क शून्य में होता है। बुखार कई घण्टे तक बना रहता है।
3. अन्त में व्यक्ति को पसीना आता है और बुखार उतर जाता है। बुखार उतरने के बाद व्यक्ति कमजोरी तो जरूर महसूस करता है, परन्तु वैसे वह पूरी तरह स्वस्थ लगता है।
रोग की पहचान
ठीक (निश्चित समय पर कंपकंपी के साथ ज्वर चढ़ना और पसीना आकर उतर जाना, साथ में खून की कमी, प्लीहा वृद्धि आदि लक्षणों के होने पर रोग की पहचान हो जाती है। रक्त परीक्षण रोग निदान में सहायक है। रक्त की जाँच कंपकंपी के बाद ठीक करनी चाहिये। कभी-कभी रक्त की जाँच में मलेरियल पैरासाइट नहीं मिलता है। स्टइनल पंक्चर द्वारा द्रव की जाँच करने पर मलेरिया जीवाणु की उपस्थिति मिलती है।
रोग का परिणाम
डॉ. आसलर के मतानुसार यह 3 से 5 दिन तक चल सकता है। पारी के बुखार की अपेक्षा चौथे दिन वाला बुखार अधिक दिनों तक रहता है।
याद रखिये-तेज बुखार के कारण दौरे आते हैं और रोगी कोमा (बेहोशी) में चला जाता है। शरीर में पानी की कमी के कारण डिहाइड्रेशन हो जाता है। इसके अतिरिक्त ‘निमोनिया‘, ‘ब्रोन्काइटिस‘, ‘अनीमिया’, ‘क्षय रोग’, ‘पेचिश‘, और ‘कालमेह ज्वर’ की सम्भावना रहती है।