कुष्ठ रोग यानि लेप्रोसी क्या है?
Leprosy (कुष्ठ) एक संक्रामक रोग है जो माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रे (Mycrobacterium leprac) के संक्रमण के कारण होता है। त्वचा, परिसरीय, तंत्रिकायें (Peripheral nerves) नेत्र, वृषण, नासा, श्लेष्मकला, अस्थियाँ और लसीका ग्रन्थियाँ अधिकतर इस रोग से अक्रान्त होती है। द्वितीय विरूपता (Deformity) के रूप में उँगलियाँ (हाथों और पैरों की) खत्म हो जाती हैं और रोगी शारीरिक व मानसिक रूप से धीरे-धीरे विकलांग होता जाता है।

Causes of Leprosy
यह रोग ‘माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रे’ के कारण होता है, जो अम्ल तथा अल्कोहल दोनों से प्रभावित नहीं होता। इसके जीवाणु गुच्छे के रूप में दिखाई देते हैं।
संक्रमण मनुष्य से मनुष्य में सीधा सम्पर्क होने से होता है। सम्पर्क की अवधि काफी लम्बी (2 से 5 वर्ष की) होती है। बच्चों तथा युवा व्यक्तियों में यह रोग अधिक होता है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में रोग अधिक होता है। गर्म और आर्द्र मौसम इसके लिये अधिक अनुकूल होता है।

Symptoms of Leprosy
कुष्ठ का पहला लक्षण प्रायः त्वचा पर प्रकट होता है जिसमें एक या अनेक सफेद अथवा गहरे रंग का स्पर्श शून्य धब्बा होता है जो कि हाथ, पाँव, चेहरे (गाल, नाक, भौहें) कान, कलाई, घुटना, नितम्ब या घुटने में हो सकते हैं। कुष्ठ वाला व्यक्ति कई बार, बिना महसूस किये स्वयं को जला भी लेता है। धब्बे भिन्न रंगों के हो सकते हैं लेकिन पूर्णतः सफेद या पपड़ीदार नहीं होती। पीले निशान या दाद जैसे गोल आकार के चकत्ते होते हैं जिनमें स्पर्श अनुभव करने की शक्ति नहीं होती। सूजी हुई शिरायें जो कि चमड़ी के नीचे गाँठों का रूप ले लेती हैं। कुष्ठ रोग के एक प्रकार के चेहरे की चमड़ी मोटी और चौरस हो जाती है। त्वचा के प्रभावित धब्बे में पसीना नहीं आता और बाल उड़ जाते हैं। पुतली के अन्दर फोड़ा बन सकता है और बाद में अंधापन आ सकता है। अक्सर भौहें उड़ जाती हैं। नाक की हड्डी नष्ट हो सकती है।
कुष्ठ की पूर्ण विकसित अवस्था-हाथ व पाँव के पंजे लकवाग्रस्त हो सकते हैं और आगे चलकर उँगलियाँ धीरे-धीरे छोटी व ठूंठ जैसी हो सकती हैं।

रोग की पहचान
प्रारम्भिक लक्षणों में हाथ, पाँव, चेहरे (गाल, नाक, भौहें), कान, कलाई, घुटना, नितम्बों पर एक या अनेक सफेद अथवा गहरे रंग का स्पर्श शून्य धब्बा मिलना। रक्त परीक्षण में श्वेत कोशिका अल्पता एवं लसीका कोशिकाओं की बहुलता, रक्त सम्बर्धन करने पर कारक वैसिलस की पहचान, समूहन जाँच (Agglutination test), बर्ने जाँच से रोग का निदान सम्भव है।

रोग का परिणाम
पैरालिसिस के कारण हाथ मुड़ जाते हैं, पैर की शक्ति चली जाती है। आँख में अल्सर हो जाने से अंधापन आ जाता है। हाथ-पैर हड्डियाँ आसानी से फ्रेक्चर हो जाते हैं। तीव्र लेप्रा में आँखें चली जाती हैं। नाक की हड्डी नष्ट होने से नाक बैठ जाती है। पैरों की उँगलियों की अस्थियों का विकैल्सीकरण होकर शोषण व कुछ पोर ग
