INSANITY/MANIA-पागलपन

परिचय

‘पागलपन’ उस गम्भीर मानसिक स्थिति को कहते हैं जिसमें मानसिक और संवेगात्मक क्रियाओं के बिलकुल अस्त-व्यस्त हो जाने के कारण व्यक्ति को अपनी देख-रेख करने की शक्ति तथा सामाजिक अभियोजन (Social adjustment) लुप्त हो जाती है। उनका व्यवहार इतना निरर्थक और विचित्र तथा विश्वास इतना विभ्रम युक्त तथा संवेग इतने अस्त-व्यस्त हो जाते हैं कि अपरिचित व्यक्ति भी उनको देखते ही समझ लेता है कि वह व्यक्ति किसी मानसिक रोग से ग्रस्त अथवा ‘पागल’ (Insane) है। पागल की स्थिति में रोगी अतिउल्लास तथा आवेश में रहता है। यौवन से लेकर प्रौढ़ावस्था तक यह रोग अधिक होता है।

Causes

1. मुख्य कारण बहुत अधिक परिश्रम या उद्वेग, ज्यादा खाना-पीना या इन्द्रिय परिचालन, ज्यादा शराब या गांजा पीना, निराशा और मिर्गी आदि इस रोग के प्रधान कारण हैं।

2. गौण कारण-पैतृक कारण अर्थात् पूर्व पुरुषों को पागलपन का रोग रहना, गर्मी रोग, मेरुदण्ड की आन्तरिक बीमारियाँ शरीर में गहरी चोट लगना, हमेशा भयानक घटनाओं वाले उपन्यास पढ़ना इस रोग के गौण कारण हैं।

Symptoms

बेकार ही हाथ-पैरों का चलाना या बोलना। चेहरा तथा आँखों के भाव बदले हुए होना, गलत देखना, गलत सुनना या अंट-संट बकना या बड़बड़ाना, याददाश्त की कमी, बुद्धि का बिगड़ना, किसी काम में जी न लगना, क्रोध, भय, प्रसन्नता, शोक, रोना आदि मानसिक भावों की अधिकता, अपनी इच्छा शक्ति को काबू में न रख सकना, आत्म-हत्या की इच्छा करना,प्रियजनों का अनादर करना, नींद न आना, सिरदर्द रहना, जननेन्द्रिय का काम रुक जाना लगातार प्रलाप करना आदि इसके प्रधान लक्षण होते हैं।

रोग की पहचान

पागल रोगी के कार्य-कलाप में और विचार शक्ति में प्रधानता 3 प्रकार की भ्रान्तियाँ दिखायी देती हैं-

1. भ्रान्त देखना (Illusion)

2. हेलूसिनेसन (Hallucinetion)

3. वद्ध मूल भ्रान्त विश्वास (Delusion) इन तीन लक्षणों के द्वारा इसे पहचाना जा सकता है।

रोग का परिणाम

नींद न आना और खाने की इच्छा न होना इस रोग का लक्षण परिणामस्वरूप देखने को मिलता है। जन्म का पागलपन प्रायः ठीक नहीं होता है। युवकों और प्रौढ़ों का रोग ठीक हो सकता है।

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