IMPOTENCE- नपुंसकता / नामर्दी

क्या होता है? नपुंसकता

नपुंसकता ऐसे रोग का नाम है जिसमें पुरुष चाहते हुए भी मैथुन कार्य में संलग्न नहीं हो पाता तथा उसकी मैथुन शक्ति क्षीण हो जाती है। अर्थात् काम-वासना के अभाव में. शीघ्र वीर्य स्खलन के कारण अथवा लैंगिक उत्थान के अभाव में पुरुष की स्त्री के साथ सम्भोग क्रिया को सफलतापूर्वक सम्पादित करने में असमर्थता नपुंसकता कहलाती है। बहुत से पुरुषों में प्रचण्ड कामवासना भी रहती है और उसके लिंग के उत्थान (खड़े होने) में कोई कमी नहीं रहती है वह बिलकुल ठीक होता है परन्तु वे सम्भोग क्रिया के अन्त तक लिंग के खड़े होने को कायम रखने में असमर्थ होते हैं। वे सम्भोग से पूर्व प्रेम क्रीड़ाओं के दौरान अथवा लिंग को स्त्री की योनि (जननेन्द्रिय) में प्रविष्ट करने के तुरन्त बाद स्खलित हो जाते हैं और अपनी पत्नी को तृप्त नहीं कर पाते और न ही स्वयं सन्तुष्ट हो पाते हैं। अतः इस दशा को भी नपुंसकता ही कहा जायेगा और ऐसे पुरुषों को नपुंसक की संज्ञा दी जायेगी क्योंकि ऐसा लिंग खड़े होने का किस काम का जो स्त्री की कामाग्नि को शान्त न कर सके।

Impotence

विख्यात आयुर्वेद ग्रन्थ चरक चिकित्सा स्थान अध्याय 30. सूत्र 151. 152 के अनुसार जो पुरुष चाहते हुए भी अपनी प्रिया से लिंग शिथिलता के कारण समागम नहीं कर सकें। यदि किसी प्रकार यत्नपूर्वक प्रयत्न भी करें, वैसी स्थिति में तीव्र साँस चले, पसीना आये, लिंगेन्द्रिय शिथिल,वीर्य रहित हो तथा चाहत और चेष्टा (सम्भोग करने की इच्छा और प्रयास) निष्फल हो जायें तो ये सभी नपुंसकता के लक्षण हैं। नपुंसकता नर में आत्मग्लानि का कारण बनती है. जिससे पुरुष स्वयं लज्जा एवं कुंठाग्रस्त हो जाता है जिससे अनेक प्रकार की समस्यायें उत्पन्न होती है।

# स्त्री से समागम के समय लिंग में उत्तेजना आकर पूर्ण उत्थान होना सहज तथा स्वाभाविक प्रक्रिया है। मन में सम्भोग की प्रबल इच्छा होते हुए स्त्री सम्पर्क के बावजूद भी लिंग का शिथिल रहना, कम उत्तेजित होना, योनि में प्रवेश के पूर्व वीर्य का स्खलन, समागम में अनिच्छा, अवचेतन के तल पर सहवास से पलायन आदि पुरुषों में नपुंसकता के लक्षण हैं।

 * नपुंसकता को संस्कृत में क्लैव्य तथा नपुंसकता को अंग्रेजी (आधुनिक चिकित्सा विज्ञान) में इम्पोटेन्सी (Impotency) कहते है। उर्दू में इसे ‘नामदी’ कहा जाता है। नपुंसकता का सामान्य लक्षण है स्त्री के साथ मैथुन करने में असमर्थ रहना अर्थात् ऐसा पुरुष जो स्त्री के साथ सम्भोग न कर सके या सम्भोग के समय कोशिश करने पर तथा इच्छा होने पर भी जिसका लिंग उत्तेजित न हो सके या जो व्यक्ति मैथुन करते समय पसीने से तर-बतर हो जाये. हॉफने लगे, अति शीघ्र स्खलित हो जाये उसे नपुंसक कहते हैं एवं व्याधि से ग्रस्त रोगी की बीमारी को नपुंसकता (नामर्दी) कहते हैं।

Causes of impotence

बचपन में सैक्स सम्बन्धित कोई आघात, छोटी उम्र में अत्यधिक सैक्स में लिप्त रहने से, वेश्याओं के पास ज्यादा जाने से सैक्स को गंदा समझने, ज्यादा धर्म और पूजापाठ में विश्वास करने से, ज्यादा हस्तमैथुन करने से अन्य शारीरिक रोग जैसे मधुमेह, हृदय रोग आदि, अत्यधिक मादक पदार्थों के लेने से, अण्डकोषों में जन्म से कोई नुक्स (कमी) होने से. शीघ्रपतन लम्बे समय तक रहने से, वीर्य के शीघ्र स्खलित होने से, अत्यधिक वीर्य क्षय, ज्यादा स्त्री प्रसंग, लिंग, वृषण या कमर की हड्डी पर चोट लगना, लम्बी बीमारी, मेदो- वृद्धि (मोटापा), स्वप्न दोष, सहवास से भय, अण्डकोष या लिंग का अति छोटा होना (जन्मजात), अंडग्रन्थित व्याधि या उसे कटवा देना. तारपीन, एन्टीमनी कर्पूर ब्रोमाइड आदि शामक अथवा विषैले पदार्थों का अधिक दिनों तक सेवन आदि नपुंसकता के अनेकानेक कारण हो सकते हैं।

Impotence

Symptoms of impotence

कोशिश करने के बावजूद लिंग में तनाव नहीं। आता है। सम्भोग की इच्छा होते हुए भी करने में पुरुष अपने को असमर्थ पाता है। लिंग में थोड़ा तनाव आता है परन्तु स्त्री के पास जाते ही खत्म हो जाता है। ऐसा पुरुष सहवास से किसी न किसी बहाने से बचने की कोशिश करता है। उसे स्त्री के पास जाने में भी डर लगता है। सहवास शुरू करते ही शरीर से पसीना निकलना शुरू हो जाता है, साँस फूलने लगती है। दिल घबराने लगता है। रोगी में आत्म-विश्वास नहीं रहता, उसे रात-दिन चिंता रहने लगती है। किसी काम में मन नहीं लगता है। हमेशा ग्लानि बनी रहती है। रोगी एकान्त में रहना ज्यादा पसन्द करता है। उसे रात में ठीक प्रकार से नींद नहीं आती है, बदन व सिर में दर्द रहता है। पुरुष अपनी कमजोरी छिपाने के लिये स्त्री पर अधिक गुस्सा करता है। ऐसे रोगी में घोर निराशा आ जाती है। वह पुरुष लज्जित होकर बड़ा दुःखी होता है। नपुंसक रोगी अपने रोग की चिन्ता में रात-दिन घुलता रहता है। उसका कलेजा धडकता है और अक्सर रोगी को कब्ज बना रहता है। खाया पिया हजम नहीं होता।

#जिस पुरुष में संभोग की इच्छा न उत्पन्न होती हो अथवा मन में संभोग इच्छा उत्पन्न होने पर भी शारीरिक उत्तेजना न उत्पन्न होती हो, लिंग में उत्तेजना न हो, वह खड़ा न हो, उसमें कठोरता न आये, शरीर में वीर्य उत्पन्न न होता हो, वीर्य दूषित हो, पानी की तरह पतला हो, स्मरण, स्पर्श मात्र से स्खलित हो जाये वह पुरुष नपुंसकता का शिकार हो सकता है।

Impotence

नपुंसकता की तीन स्थितियाँ होती हैं-

1. पहली स्थिति में सम्भोग की इच्छा बनी रहती है। चुम्बन, आलिंगन से लिंग (शिश्न) बहुत ही कम कठोर हो पाता है। पूर्णतया नहीं होता है। इतना अवश्य होता है कि किसी प्रकार लिंग को योनि में प्रवेश करा दिया जाये। प्रवेश होने पर थोड़ी सी गति होने पर ही वीर्य स्खलित हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री किसी को भी तृप्ति तथा चरम सुख नहीं मिल पाता है।

2. दूसरी स्थिति में सम्भोग की इच्छा बलवती रहती है किन्तु चुम्बन, स्पर्श एवं आलिंगन के बावजूद लिंगोत्थान नहीं होने से लिंग योनि में प्रवेश नहीं हो पाता है।

3. तीसरी तथा अन्तिम नपुंसकता की अवस्था में सम्भोग की इच्छा, लालसा तथा संभोग शक्ति का पूर्णतया ह्रास होता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello 👋
Can we help you?
Call Now Button