परिचय –

यह एक विषाणु का संक्रमण है, जो यकृत को नुकसान पहुँचाता है। यकृत शोध के कारण थोड़ा या न के बराबर बुखार हो जाता है। यह रोग वयस्कों में काफी गम्भीर होता है। इसको B वाइरस यकृत शोथ (Hepatitis B ) या सीरम यकृत शोथ (Serum Hepatitis) आदि नामों से भी जाना जाता है।
रोग के कारण

यह व्याधि यौन सम्भोग द्वारा भी फैल सकती है। इस रोग से ग्रसित अथवा इस रोग के वाहक व्यक्तियों (Carriers-जिनके सीरम में HBsAg एन्टिजन मौजूद हो) से यौन सम्पर्क करने पर यह रोग उपार्जित हो सकता है। समलिंगी यौन सम्पर्क करने वाले व्यक्तियों में इसके होने की अधिक सम्भावना रहती है। जिस स्त्री को यह संक्रमण गर्भाधान के आखिरी तीन महीनों में हुआ हो उसका नवजात शिशु इस संक्रमण से संक्रमित हो सकता है। अतः यह व्याधि किसी भी समुदाय में छिटपुट रूप से ही पायी जा सकती है। इस व्याधि की कामला पूर्व स्थिति (Pre-) icteric Stage) अधिक दिनों की होती है एवं कामला लम्बी अवधि तक चलने वाला होता है।
रोग के लक्षण

रोगी को भूख नहीं लगती है, वह खाना-पीना नहीं चाहता। कई-कई दिन बिना खाये-पिये ही निकल जाते हैं। कभी-कभी दाहिनी तरफ यकृत के पास दर्द होता है। थोड़ा बुखार हो । सकता है। कुछ दिनों के बाद आँखें पीली पड जाती है।
इसका उदभवन काल 6 सप्ताह से लेकर 6 माह तक का हो सकता है। लगभग 80% से अधिक मामलों में लक्षणों की उत्पत्ति शनैः- शनैः होती है। रोग की आरम्भिक अवस्था में अत्यधिक थकान भोजन के प्रति अरुचि मितली. धूम्रपान के प्रति घृणा आदि लक्षण मिलते हैं। तत्पश्चात् मन्द ज्वर, उदर के ऊपरी भाग में दर्द की अनुभूति तथा गाढ़े रंग का मूत्र आता है। तीन से सात दिनों के उपरान्त पीलिया दृष्टिगोचर होने पर सामान्यतः भूख की कमी, मितली, ज्वर आदि प्रायः विलुप्त हो जाते है।
#कुछ दिनों के बाद आँखें पीली पड़ जाती हैं। खाना देखने या उसकी महक से ही उल्टी हो जाती है। पेशाब गहरी, भूरी या पीली हो जाती है और मल सफेद सा हो जाता है। कुल मिलाकर वह व्यक्ति दो हफ्ते तक बहुत गम्भीर बीमार पड़ सकता है और बाकी एक से 3 मास तक बहुत कमजोर रह सकता है। (वह अपनी आँखों में पीलापन उभरने के तीन हफ्ते बाद तक दूसरों तक पहुँचा सकता है l
Signs
* Fever (बुखार)
* No appetite (भूख नहीं)
* Tired and weak feeling (दुर्बलता एवं कमजोरी महसूस करना)
* Yellow eyes and/or skin (आँख अथवा त्वचा का पीलापन)
* Dark Urine and Whitish Stools (पेशाब गहरी एवं सफेद दस्त)
रोगी की पहचान, परीक्षण

रोगी के चिकित्सकीय परीक्षण में यकृत को मल, दाब वेदनायुक्त व एक दो अँगुली बढ़ा हुआ मिल सकता है। नाड़ी की गति मन्द हो सकती है। हैपेटाइटिस-बी वायरस के संक्रमण तथा अन्य विषाणुजन्य हैपेटाइटिस में विभेद हेतु रक्त परीक्षण द्वारा विशिष्ट ऑस्ट्रेलिया एण्टीजन की पुष्टि की जाती है। पीलिया की अन्तिम अवस्था में प्रायः उक्त एण्टीजन विलुप्त हो जाता है। अतएव इसका परीक्षण शीघ्रता से सम्पन्न कराया जाना चाहिए। पीलिया दीखने से पूर्व रोगी के मूत्र में वाइरस पिग्मेंट्स पाये जा सकते हैं। आरम्भ में S. G. O.T., S. G. P. T. भी बढ़े हुए होते हैं। बाद को सीरम विलीसूविन भी बढ़ जाता है।