रोग का परिचय-
यकृत शोथ एक विषाणु का संक्रमण (Viral infection) है जो यकृत को नुकसान पहुँचाता है। यकृत शोथ के कारण अक्सर थोड़ा या न के बराबर बुखार हो जाता है। यह रोग छोटे बच्चों में साधारण होता है और वयस्कों में काफी गम्भीर होता है। यह अक्सर महामारी के रूप में उभरता है। इसे छुतहा यकृत शोथ (इन्फेक्टिव हेपेटाइटिस) अर्थात् पीलिया रोग के नाम से भी जाना जाता है। पीलिया एक आम बीमारी है जिसे डाक्टरी भाषा में हेपेटाइटिस (Hepatitis) कहते हैं।
साधारणतः बुखार और कमजोरी के साथ मरीज को चारपाई पर लिटा देने वाली पीलिया की बीमारी, लापरवाही बरतने पर शरीर के अति महत्त्वपूर्ण अंग जिगर को खराब कर देती है।
रोग के कारण
1. हेपेटाइटिस ए. बी. सी. डी. और ई. जिगर में वायरस के संक्रमण (Infec- tion) से होने वाली बीमारी है।
2. पीलिया का प्रकोप भारत में बड़े पैमाने पर होता है। 6 करोड़ से अधिक लोगों के पीलिया रोग से पीड़ित होने का अनुमान है। हर साल दो करोड़, सत्तर लाख (2,70,00,000) शिशु इस रोग के साथ जन्म लेते हैं।
रोग के लक्षण
1. रोगी खाना-पीना नहीं चाहता, कई-कई दिन बिना खाये ही निकल जाते हैं।
2. कभी-कभी दाहिनी तरफ यकृत दर्द होता है। के पास
3. थोड़ा बुखार हो सकता है।
4. कुछ दिनों बाद आँखें पीली पड़ जाती हैं।
5. खाने देखने या उसकी महक से ही उल्टी हो सकती है।
6. पेशाब गहरी भूरी या पीली हो जाती है। और मल सफेद-सा हो जाता है।
7. ठंड लगती है। रोगी सिर दर्द की शिकायत करता है।
8. अरुचि एवं अतिसार / दस्त ।
कुल मिलाकर वह व्यक्ति दो हफ्ते तक बहुत गम्भीर बीमार पड़ सकता है और बाकी एक से तीन मास तक बहुत कमजोर रह सकता है। वह अपनी आँखों में पीलापन उभरने के तीन हफ्ते बाद तक दूसरों तक छूत फैला सकता है।