परिचय

बच्चे खेल-खेल में कुछ बाह्य पदार्थ अपने कान में डाल लेते हैं या वह चले जाते हैं। यह पदार्थ दो प्रकार के होते हैं-
1. सजीव-मक्खी, मच्छर, पतंगे, जीवित कीड़े-मकोडे आदि ।
2. निर्जीव-बीज, दाल, मटर के दाने, पेन्सिल की नोंक, माचिस के टुकड़े, बटन, मोती, पत्थर, लकड़ी, धातु या कोयले के टुकड़े। इसके अतिरिक्त गेहूँ, जौ, ज्वार, मक्का के दाने, प्लास्टिक के टुकड़े आदि ।
लक्षण

मक्खी-मच्छर किसी भी उम्र के लोगों के कान में घुस सकते हैं। इनके फड़फड़ाने से कान में बेचैनी व दर्द होता है। सपाट चिकनी वस्तुयें जो कान के पर्दे तक नहीं पहुँचती हैं, वह काफी समय तक श्रवण नली में बिना किसी लक्षण के रह सकती हैं। नुकीली दाँतेदार धार वाली वस्तुओं से कान में दर्द होता है एवं कभी-कभी सुनना भी बन्द हो जाता है।