दौरे पड़ना क्या है
मस्तिष्क पर किसी भी कारण से बुरा प्रभाव पड़ते ही अचानक से दौरा पड़ जाता है। दौरे के दौरान हाथ-पैरों में कड़ापन, आँखें पलट जाना, सिर का सुन्न पड़ना व कई बार शरीर भी नीला पड़ने लगता है।

Causes
यह कारण आयु के अनुसार अलग-अलग होते हैं-
1. जन्म के पहले दिन-जन्म के समय आक्सीजन की कमी, नशे का सेवन करने वाली माँ से बच्चों में नारकोटिक विदड्राल, मस्तिष्कगत रक्तस्राव, बच्चे के सिर में लोकल अनस्थीसिया का गलती से प्रवेश आदि कारणों से।
2. जन्म के दूसरे दिन -लम्बे समय तक व परेशानी के साथ हुए बच्चे में। औजारों से हुई डिलीवरी के कारण ।
3. जन्म के तीसरे दिन- हाइपोग्लाइसीमिया के कारण।
4. जन्म के चौथे से सातवें दिन-टिटेनी जन्मजात बनावट में कमी, मस्तिष्कावरण शोथ, गर्भाशय में इन्फैक्शन (यथा- टोक्सोप्लाज्मा) टिटेन्स नियोनेटोरम आदि कारणों से।
5. जन्म के एक महीने से तीन वर्ष-तेज बुखार, निर्जलीकरण में कैल्शियम, मैग्नीशियम की कमी, मेनिन्जाइटिस, ट्यूबरकुलोसिस, इनसेफेलाइटिस, सेरीब्रल मलेरिया, मप्स, जन्मजात चोट, कुछ दवाइयों एवं जहरीली वस्तु के सेवन के कारण, तेज धूप लग जाने आदि कारणों से दौरे पड़ सकते हैं।

Symptoms
बच्चों को दौरा एकाएक पड़ता है, उसका शरीर कड़ा हो जाता है और हाथ-पैर टेढे होने लगते हैं। आँखें पलट देता है और दाँत पीसता है। कई बार जीभ दाँतों के बीच में आ जाने से कट जाती है। मुँह से झाग निकलता है। मल-मूत्र भी निकल जाता है। बालक का शरीर नीला पड़ने लगता है। हाथ की मुट्ठियाँ कस कर बन्द हो जाती हैं। पसीना अधिक निकलता है। तेज ज्वर वाले दौरे में शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है। अधिकतर दौरे कुछ सेकेन्ड से लेकर 5-10 मिनट की अवधि वाले होते हैं। इसके बाद हाथ-पैर शिथिल पड़कर सामान्य होने लगते हैं। आँखों में फड़कन शुरू हो जाती है। बच्चा होश में आ जाता है पर सुस्त व गिरा-गिरा सा रहता है।
# बच्चे को दौरा दिन में कई बार पड़ सकता है व कई दिनों के अन्तराल के बाद भी पड़ सकता है।
