रोग का परिचय
कब्ज में व्यक्ति दो से तीन दिन तक मल विसर्जन के लिये नहीं जाता। मल विसर्जन के लिये जाने पर मल कम मात्रा में सख्त व सूखा आता है। इसमें शौच साफ न होने के कारण रोगी को लगता है कि उसका पेट साफ नहीं हुआ है। इसे मलबन्ध, मलावरोध, आँत की खुश्की, कोष्ठबद्धता आदि नामों से भी जाना जाता है।

प्रमुख कारण
मुख्य रूप से आँतों की गति कम होने से कब्ज की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। विद्युत चक्की का चिकना महीन आटा, बिना छिलके की दाल, पॉलिश किये हुए चावल. चोकर रहित आटा, छिलके निकालकर बनाई हुई सब्जियाँ, रेशारहित आहार का अत्यधिक उपयोग इत्यादि कब्जियत के प्रमुख आहारजन्य कारण हैं। इसके अतिरिक्त पानी कम पीने की आदत, परिश्रमरहित अकर्मण्य जीवन, मल त्याग के लिये चाय या बीड़ी-सिगरेट के उपयोग की आदत, बार-बार जुलाब लेकर मल त्याग करने की आदत, मलोत्सर्जन की हाजत को रोके रहना, चिंता, भय, क्रोध एवं मानसिक विकार, लम्बी बीमारी के कारण, अत्यधिक परिश्रम एवं अपर्याप्त आहार। इन सभी कारणों से किसी न किसी कारण से कब्ज होने की सम्भावना होती है।

प्रमुख लक्षण
रोगी का सिर भारी रहता है। मलत्याग नियमित समय पर नहीं होता है। रोगी मलत्याग के लिये शौचालय में बडी देर तक बैठा रहता है, उसे मलत्याग के लिये बार-बार जोर लगाना पड़ता है, तब कहीं जाकर थोड़ा-सा मलत्याग होता है। मल काला, कुछ सख्त और दुर्गन्धित होता है। कभी-कभी मल काष्ठ की तरह सख्त हो जाता है तो कभी-कभी बकरी की लेंडी की शक्ल अख्तियार कर लेता है। मलत्याग प्रतिदिन नहीं होता है। रोगी को मलत्याग के लिये बार-बार जुलाब का आश्रय लेता है। किसी-किसी रोगी को चाय या सिगरेट पिये बगैर मलत्याग नहीं होता है। मलत्याग अल्प मात्रा में होने के कारण पेट साफ नहीं होता है।


Note
कई बार तो हाजत होती है और मलत्याग के लिये जाना पड़ता है किन्तु काफी देर तक बैठे रहने के बाद भी मल-प्रवृत्ति नहीं होती है। बहुत दिनों तक कब्ज रहने पर रोगी को बवासीर और गृध्रसी आदि रोग भी हो जाते हैं।
रोग का परिणाम
कब्ज की समस्या अगर लंबे समय तक बनी रहे, तो इससे कई प्रकार की जटिलताएं हो सकती हैं। हेमोरॉइड्स (पाइल्स): कब्ज के कारण मल त्याग के समय ज्यादा जोर लगाना पड़ता है, जिससे गुदा क्षेत्र की नसें फूल सकती हैं और हेमोरॉइड्स का रूप ले सकती हैं।
एनाल फिशर: कठिन और शुष्क मल के कारण गुदा में छोटे आंसू या दरारें हो सकती हैं, जिसे एनाल फिशर कहते हैं। ये दर्दनाक होते हैं और खून आ सकता है।फेकल इम्पैक्शन: यह तब होता है जब कठिन मल आंत में फंस जाता है और निकल नहीं पाता। यह स्थिति मेडिकल हस्तक्षेप की मांग करती है।
रेक्टल प्रोलैप्स: कब्ज के कारण बार-बार जोर लगाने से आंत का कुछ हिस्सा गुदा के माध्यम से बाहर आ सकता है, जिसे रेक्टल प्रोलैप्स कहते हैं।
पेट में दर्द और सूजन: कब्ज के कारण पेट में गैस और मल का जमाव होता है, जिससे पेट में दर्द और सूजन हो सकती है।
कब्ज की समस्या से बचने के लिए अच्छे आहार की आदतें, पर्याप्त पानी पीना, और नियमित व्यायाम करना महत्वपूर्ण है। यदि कब्ज की समस्या लगातार बनी रहे, तो चिकित्सकीय सलाह लेना उचित होता है।