CHOLERA- हैजा

हैजा क्या है?

Cholera एक तीव्र विशिष्ट प्रकर का जठरांत्र (GIT)का संक्रमण होता है जिसमें उग्र प्रकार की वमन और अतिसार उत्पन्न होते हैं और शीघ्र ही रोगी में उग्र प्रकार का निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) उत्पन्न होकर रोगी की मृत्यु हो जाती है।

Cholera

Causes of Cholera

सूक्ष्म जीव विब्रियो कॉलेरी (Vibrio cholerae) नामक जीवाणु इसको उत्पन्न करता है। इसका उद्भवन काल (Incubation Period) कुछ घण्टों से लेकर 5 मिनट तक का होता है। संक्रमित अवधि 7 से 10 दिन की होती है। यह रोग अधिकतर गर्मियों और पतझड़ ऋतु में होता है। यह किसी भी आयु के स्त्री-पुरुष इसके शिकार बन सकते हैं। इसका संचारण निम्न विधियों (Mode of transmission) से होता है- 1. संक्रमित भोजन खाने और पेय तरलों को पीने से । 

2. संक्रमित व्यक्तियों के संक्रमणी पदार्थों के द्वारा।

3. मक्खियों द्वारा।

4. हैजे के वाहकों द्वारा।

Cholera

Symptoms of Cholera

विसूचिका का आक्रमण एकाएक होता है। उग्र प्रकार का अतिसार और इसके वमन मुख्य लक्षण होते हैं। मल का रंग चावल के धोवन जैसा होता है। जैसे-जैसे रोग बढ़ता जाता है अन्य लक्षण जैसे माँसपेशियों में उद्वेष्ट, निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) और अल्प रक्तदाब प्रकट होने लगता है। अन्त में निपात की अवस्था आ जाती है। मूत्र की मात्रा बहुत कम हो जाती है।

निर्जलीकरण होने की स्थिति में रोगी को प्यास बहुत लगती है और बहुत बेचैनी होती है। जिहा सूखी हुई होती है तथा त्वचा इतनी सूख जाती है कि आसानी से उसमें सिलवटे पड़ जाती है। आँखें घसी हुई तथा गाल पिचके हुए होते हैं। रोगी घबराया हुआ दिखता है। सोडियम की कमी होने के कारण ऐंठन होने लगती है तथा उदर में फुलाव हो। जाता है। शॉक की स्थिति होने पर हाथ-पैर ठंडे हो जाते है तथा ठंडा पसीना आने लगता है। नाडी अतिशीघ्र क्षीण हो जाती है और स्पर्श से प्रतीत नहीं होती है। शरीर का ताप अत्यन्त कम हो जाता है।

Note-रक्तदाब (B.P.) बैठ जाता है (100mm/Hg प्राकुंचनी से भी कम) मूत्र का निकास काफी कम हो जाता है या एकदम ही बन्द हो जाता है। यदि जल और इलैक्ट्रोलाइटों की कमी तुरन्त पूरी न की जाये तो रोगी यूरीमिया (Uraemia) में चला जाता है। यदि तुरन्त चिकित्सा न की जाये तो रोगी अमूत्रता (Anuria) होने के कारण तीव्र वृक्कपात में चला जाता है। कभी-कभी रोगी को तीव्र ज्वर भी हो जाता है या रोगी बेहोश हो सकता है।

रोग की पहचान

अचानक तीव्र लक्षणों का एक ही क्षेत्र के काफी लोगों में पाया जाना, चावल के माड़ जैसे उल्टी व दस्त, ग्रीष्म ऋतु के अन्त व वर्षा के प्रारम्भ में रोग का मिलना हैजा की ओर संकेत है।

कॉलरा विब्रियो को उसकी विशिष्ट गतिशीलता के कारण माइक्रोस्कोप से देखकर पहचाना जा सकता है। पहचाने न जाने की स्थिति में मल का सम्बर्धन किया जाता है।

Cholera

रोग का परिणाम

कभी-कभी मूत्र निकास बिलकुल बन्द हो जाता है। अगर जल और इलैक्ट्रोलाइटों की कमी तुरन्त पूरी न की जाये तो रोगी यूरीमिया की अवस्था में चला जाता है जो एक गम्भीर स्थिति है। ऐसी स्थिति में, मानसिक चेतना कम होने लगती है तथा दैहिक अम्लता (Systemic acidosis) हो जाती है। शीघ्र उपचार न होने पर रोगी में अमूत्रता होने के कारण, तीव्र वृक्कपात (Acute renal fibre) में चला जाता है। रोगी बेहोश हो सकता है। 

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