हृदय की धड़कन का बन्द होना क्या है?

इसको हद संरोध (Cardiac Arrest) भी कहते हैं। हृदकार्य को सहसा एवं असम्भावित रूप से रुक जाना हद संरोध या Cardio Vascular Collapse कहलाता है। जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क को रुधिर नहीं मिल पाता है। इससे मस्तिष्क को कभी ठीक न होने वाली हानि पहुँचती है और मृत्यु हो जाती है। ऐसा अनुमान है कि सहसा होने वाली मृत्युओं में 50% के हृद्विकार कारण होते हैं।
Cardiovascular collapse causes
इसके निम्नलिखित विशिष्ट कारण होते हैं-
1. हृदय रोग – सबसे महत्त्वपूर्ण कारण मायो- कार्डियल इन्फ्रक्शन, कोरोनरी थ्रोम्बोसिस, इम्बोलिज्म, हृदय का संपीडन, तीव्र वायरल हृदपेशी शोथ आदि होते हैं।
2. सर्जीकल – हृदय, वक्षस्थल, कर्ण-नासा या गले के शल्यकर्मों के समय हृद्- संरोध की अधिक आशंका रहती है।
3. औषधियाँ – कुछ औषधियाँ बड़ी मात्रा में अथवा अनुपयुक्त ढंग से देने पर हृद्- संरोध उत्पन्न करती हैं। जैसे- क्वनीन सल्फ, डिजीटेलिस, एड्रेनलीन, प्रोकेनेमाइड आदि ।
HAEMORRHAGE-रक्तस्राव
Cardiovascular collapse symptoms
रोगी की साँस रुक-रुक कर आती है एवं छाती में वह भारीपन महसूस करता है। गले में कुछ अटका हुआ प्रतीत होता है। चेतना लुप्त हो जाती है, नव्ज ढूँढ़ने पर नहीं मिलती है। रोगी का ब्लड प्रेशर एकाएक गिर जाता है। वह सुध-बुध खो बैठता है। उसकी पुतलियाँ फैल जाती हैं।
* हृदय की परीक्षा करने पर स्टेथोस्कोप से धड़कन नहीं मिलती है।
* ई. सी जी. में बदलाव आ जाता है।
* इस रोग में 2 लक्षण आवश्यक होते हैं-
1. रोगी की Consciousness समाप्त हो जाती है (संज्ञालोप)।
2. केरोटिड अथवा फीमोरल में नब्ज नहीं मिलती ।
इसके अतिरिक्त आँख की पुतलियाँ फैल जाती हैं और श्वसन का आना बन्द हो जाता है।

* परीक्षण (Investigation) के समय भी – जैसे-एन्जियोकार्डियोग्राफी, सेरीब्रल आरटीरियो- ग्राफी, पाइलोग्राफी एवं हृदयावरण, उदरावरण, फुफ्फुसावरण के पारवेधन (Paracentosis) काल में हृद्रोध होते देखा गया है। |
* इलेक्ट्रोलाइटस तथा चयापचयिक अप्राकृतताओं से-
इलेक्ट्रोलाइटस जैसे-पोटेशियम, कैल्शियम और मैंगनीशियम आयन्स के एकाएक बढ़ जाने से भी हृद्संरोध हो जाता है। के आयन्स की सहसां कमी से मायोकार्डियल फेल्योर हो सकता है।
अन्य कारणों से- सिर में चोट, तीव्र आघात, अत्यधिक रक्तस्राव (Severe Haemorrhage). स्तब्धता (Shock), श्वासावरोध (डूबने से, कोयले की गैस से), विद्युत संचार या बिजली गिरने (Lightining) आदि से हृद्रोध सकता है।

HYPERTENSIVE ENCEPHALOPATHY
चिकित्सा सिद्धान्त
हृद्-संरोध की तत्काल प्रभावशाली आपात चिकित्सा अनिवार्य है। क्योंकि इस प्रकार की इमरजेन्सी में मस्तिष्क को क्षति पहुँचकर 3 से 5 मिनट में मृत्यु हो जाती है।
#इस प्रकार के रोगियों की चिकित्सा की पूर्ण व्यवस्था पहले से ही सदा तैयार रखनी चाहिए, जिससे एक क्षण भी व्यर्थ न जाने पाये। अगर रोगी को समय पर चिकित्सा मिल जाये तो मृत्यु को टाला जा सकता है।
#हरसम्भव दिल की धडकन नियन्त्रित करने की व्यवस्था की जानी चाहिए। * हृदय बन्द होने की स्थिति में (कार्डियक मसाज के फेल होने पर) D. C. Shock आदि की व्यवस्था से लाभ की आशा की जा सकती है।

सहायक उपचार
रोगी को तत्काल फर्श या तख्त जैसी कठोर शैया पर लिटा दें। उसकी कमीज या ब्लाउज को ढीला कर दें। अगर वह कृत्रिम दाँत लगाता हो तो उन्हें निकाल दें। उसके सिर को नीचे एवं पीछे की ओर को अधिक से अधिक कर दें जिससे वातपथ द्वारा श्वास लेने में अत्यधिक आसानी हो जाये। रोगी की टाँगें ऊपर की ओर उठा देनी चाहिए । तत्पश्चात् पुनरुज्जविक (Resuscitator) वक्षोsस्थि के मध्य अथवा छाती (वक्ष) पर घूँसे से 3-4 बार तीव्रता से आघात किया जाना चाहिए जिससे हृदय की धड़कन पुनः प्रारम्भ हो जाये। इसके साथ ही रोगी को कृत्रिम श्वसन (Mouth to Mouth) देना आवश्यक होता है।

उपचार
1. सामान्य चिकित्सा-
रोगी कठोर सतह जैसे बिना गद्दे के पलंग या तख्त पर लिटा दें। इसके बाद कार्डियक मसाज करें। कार्डियक मसाज के लिए-
रोगी को सीधा लिटाकर दाये हाथ की हथेली को रोगी के स्टरनम के निचले भाग पर रख कर दबायें। बायें हाथ को दायें हाथ पर रखें। इससे जोर अच्छी तरह लगेगा। इसको करीब एक मिनट में 60 बार करें। पर इस बात का ध्यान रक्खें कि हाथों का दवाब छाती पर अच्छी तरह रहे। यह कार्य समान रूप से करें, बीच में न छोड़े। करीब 8-10 बार दबाने पर धड़कन कुछ-कुछ महसूस होने लगती है।

इसके साथ-साथ रोगी को कृत्रिम साँस भी देना आवश्यक होता है। इसके लिए रोगी का सिर पीछे की ओर झुकायें। मुँह से मुँह (Mouth to Mouth) या मुँह से नाक द्वारा कृत्रिम साँस दी जाती है। कृत्रिम श्वास को एक मिनट में 12 बार दें यह दोनों कार्य एक ही व्यक्ति क्रम से कर सकता है। उपरोक्त प्रक्रिया को तब तक जारी रखें जब तक रोगी के दिल की धड़कन सामान्य न हो जाये। इसके साथ ही रोगी को अस्पताल ले जायें। जहाँ पर स्वचालित मशीनों द्वारा या जरूरत पड़ने पर पेसमेकर लगाकर दिल की धड़कन नियन्त्रित की जा सके।
2. औषधि चिकित्सा-इंजेक्शन एड्रीनलीन (1 1000) 1 मिली. शिरा मार्ग से 1. V. (कार्डियक मसाज से सफलता न मिलने पर दे लिंगनोकेन (Lignocaine) 50-1000 mg. शिरा मार्ग से दें। आवश्यकता पड़ने पर 5-10 मिनट बाद पुन दे सकते हैं। सोडियम बाई कार्बोनेट 50-100 एम. एल. (75%) आई. वी. दें। 10 मिनट बाद पुनः दे सकते हैं।
सफलता न मिलने पर

इंजेक्शन कैल्शियम क्लोराइड 10 एम. एल. (10%) शिरा मार्ग से अथवा सीधे हृदय में दे इंजेक्शन आइसोप्रनालीन 0.1 मिग्रा. आई. वी. दिया जा सकता है। इंजेक्शन डेकाड़ान 8 मिग्रा शिरा मार्ग से दे दर्द सेडेशन एवं लेफ्ट वेण्ट्रीकल फेल्योर की स्थिति में इंजेक्शन माफन 30 से 100 मिग्रा. आई. वी. अथवा 8-15 मिग्रा. माँसपेशीगत दें अथवा इंजेक्शन पेथीडीन 50-100 मिग्रा. मांसपेशीगत दे सकते हैं। वेष्ट्रीकलर अरेदनिया में जल्दी से जल्दी बिजली के झटके (D.C) शॉक लगवाये जा सकते हैं।
* यदि वी. पी. 50mm पोर से कम हो तो मैफेन्टीन 5% ग्लूकोज के 500 मिली लीटर घोल में 20-30 बूंद प्रति मिनट की रफ्तार से दें।