जानिए क्या है फेफड़ों की सूजन
वायुनली की श्लैष्मिक झिल्ली की सूजन को ब्रोंकाइटिस कहते हैं। यह रोग अक्सर बच्चों और बूढ़ों को बहुत होता है। इसे एक्यूट ब्रोंकाइटिस भी कहते हैं। श्वास नली शोथ श्वसनी अथवा फेफड़ों में हवा पहुँचाने वाली नलियों की छूत होती है। इसमें काफी शोर वाली खाँसी आती है-प्रायः कफ या बलगम के साथ। श्वासनली शोथ वायरस छूत है, इसलिये एण्टीबायोटिक्स दवायें इसके लिये प्रभावशाली नहीं होतीं।
दीर्घकालीन श्वास नली शोथ-ऐसी बलगम वाली खाँसी जो साल भर में कम से कम 3 माह तक रहे और हर साल आती रहे। कभी-कभी जब खाँसी ज्यादा हो जाती है तो बुखार भी हो सकता है। जिस व्यक्ति को इस प्रकार की खाँसी है, पर तपेदिक अथवा दमा जैसा रोग नहीं है तो उसे सम्भवतया पुरानी ब्रोंकाइटिस है।
Causes of bronchitis
1. वायरस या जीवाणु संक्रमण ।
2. यह बीमारी अपने आप जीवाणुओं द्वारा अथवा पहले से विद्यमान जुकाम, फ्लू, खसरा व काली खाँसी तथा अन्य वाइरल रोगों से होती है।
3. कमजोरी, प्रदूषित, ठंडा व धुंध भरा वातावरण, ऊपर की श्वास नलिकाओं में पहले से विद्यमान कोई रोग और अमोनिया, सल्फर डाइऑक्साइड व नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसी गैसों का श्वास द्वारा छाती में जाना इस बीमारी को बढ़ाते हैं।
4. एलर्जी इस रोग का प्रधान कारण है।
5. लम्बे अर्से तक सर्दी-जुकाम बना रहना।
6. धूल, धुएँ से भरी फैक्ट्रियों में काम करना ।
7. ओस में भीगना ।
8. इसके अतिरिक्त ससरा-रोमान्तिका, चेचक, मसूरिका, टायफाइड, सर्दी बार-बार लगना । मलेरिया, काला ज्वर आदि रोग भी इसके लिये जिम्मेदार हैं।

Symptoms of bronchitis
1. प्रारम्भ में रोगी को सिरदर्द, बदन बहुत टूटा हुआ व गला सूखा-सा लगता है।
2. सूखी खाँसी, जलन के साथ, उरोस्थि (Stirnum) के पीछे दर्द व बेचैनी होती है।
3. छाती में जकड़न व सांस लेने में तकलीफ।
4. शुरू में सूखी खाँसी के साथ बहुत ही कम झाग वाला व चिपचिपा बलगम निकलता है, पर 1-2 दिन पश्चात् यह कफ म्यूकोपुरूलेन्ट (Mucopurulent) का रूप ले लेता है। कभी-कभी हल्का खून भी कफ में निकलता है।
5. जैसे-जैसे संक्रमण निचले श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, रोगी को 100-102°F (38-39°C) बुखार हो जाता है।
6. छाती में कफ की गड़गड़ाहट सुनाई देती है। छाती को स्टेथोस्कोप से जाँचने पर उसमें खरखराहट ध्वनि और करकर ध्वनि सुनाई देती है।
लम्बे समय से चली आ रही फेफड़ों की सूजन जानिए क्या है Chronic bronchitis