परिचय:
बायोमोलेक्यूल्स (Biomolecules) वे कार्बनिक यौगिक (Organic Compounds) होते हैं, जो जीवों में पाए जाते हैं और उनके जीवन-प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये अणु जीवन की मूलभूत संरचना और कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं। बायोमोलेक्यूल्स मुख्य रूप से कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), ऑक्सीजन (O), नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और सल्फर (S) तत्वों से बने होते हैं।
बायोमोलेक्यूल्स के प्रकार:
बायोमोलेक्यूल्स को चार प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जाता है:
1️⃣ कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) – ऊर्जा का मुख्य स्रोत
2️⃣ प्रोटीन (Proteins) – कोशिकाओं की वृद्धि और कार्यों के लिए आवश्यक
3️⃣ लिपिड (Lipids) – ऊर्जा का भंडारण और झिल्ली निर्माण
4️⃣ न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acids) – आनुवंशिक जानकारी के वाहक (DNA और RNA)
1. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
परिचय (Introduction):
कार्बोहाइड्रेट जीवों में पाए जाने वाले प्रमुख बायोमोलेक्यूल्स (Biomolecules) में से एक हैं, जो शरीर के लिए मुख्य ऊर्जा स्रोत (Primary Source of Energy) के रूप में कार्य करते हैं। यह कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), और ऑक्सीजन (O) से बने होते हैं, जिनका सामान्य अनुपात 1:2:1 होता है। यह शरीर की चयापचय प्रक्रियाओं (Metabolic Processes) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और कई जैविक कार्यों को संचालित करते हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
- यह शरीर की तात्कालिक ऊर्जा (Instant Energy) और दीर्घकालिक ऊर्जा भंडारण (Long-term Energy Storage) दोनों में सहायक होते हैं।
- यह संपूर्ण आहार का 50-60% भाग बनाते हैं।
- यह ग्लाइकोसिडिक बंध (Glycosidic Bond) के माध्यम से मोनोसैकराइड्स के आपस में जुड़ने से बनते हैं।
- इनका पाचन (Digestion) और अवशोषण (Absorption) जठरांत्र (Gastrointestinal) तंत्र में होता है।
- यह जल में घुलनशील (Soluble) या अघुलनशील (Insoluble) हो सकते हैं।
कार्बोहाइड्रेट के प्रकार (Types of Carbohydrates):
कार्बोहाइड्रेट को उनकी संरचना (Structure) और कार्य (Function) के आधार पर तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
1. मोनोसैकराइड्स (Monosaccharides) – सरल शर्करा (Simple Sugars)
मोनोसैकराइड्स सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट (Simplest Carbohydrates) होते हैं और इन्हें और अधिक सरल यौगिकों में तोड़ा नहीं जा सकता। यह एक शर्करा इकाई (Single Sugar Unit) से बने होते हैं और तेजी से ऊर्जा प्रदान करते हैं।
मुख्य उदाहरण:
मोनोसैकराइड्स | संरचनात्मक सूत्र | स्रोत | विशेषता |
---|---|---|---|
ग्लूकोज़ (Glucose) | C₆H₁₂O₆ | फलों, शहद, रक्त | शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है, ATP उत्पादन में सहायक |
फ्रक्टोज़ (Fructose) | C₆H₁₂O₆ | फलों, शहद | सबसे मीठी प्राकृतिक शर्करा |
गैलेक्टोज़ (Galactose) | C₆H₁₂O₆ | दूध और दुग्ध उत्पाद | लैक्टोज़ का घटक |
राइबोज़ (Ribose) | C₅H₁₀O₅ | RNA, ATP | आनुवंशिक पदार्थों में पाया जाता है |
➡ मोनोसैकराइड्स का अवशोषण आंतों (Intestines) में होता है और ये रक्तप्रवाह (Bloodstream) में पहुंचकर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
2. डाइसैकराइड्स (Disaccharides) – द्विशर्करा (Double Sugars)
डाइसैकराइड्स दो मोनोसैकराइड्स के संयोजन से बनते हैं, जो ग्लाइकोसिडिक बंध (Glycosidic Bond) द्वारा जुड़े होते हैं।
मुख्य उदाहरण:
डाइसैकराइड्स | संरचना | स्रोत |
---|---|---|
सुक्रोज़ (Sucrose) | ग्लूकोज़ + फ्रक्टोज़ | गन्ना, चुकंदर, मिठाई |
लैक्टोज़ (Lactose) | ग्लूकोज़ + गैलेक्टोज़ | दूध और दुग्ध उत्पाद |
माल्टोज़ (Maltose) | ग्लूकोज़ + ग्लूकोज़ | अंकुरित अनाज, बीयर |
➡ डाइसैकराइड्स को पाचन एंजाइम (Digestive Enzymes) की सहायता से मोनोसैकराइड्स में तोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए,
- सुक्रोज़ → सुक्रेज एंजाइम द्वारा → ग्लूकोज़ + फ्रक्टोज़
- लैक्टोज़ → लैक्टेज एंजाइम द्वारा → ग्लूकोज़ + गैलेक्टोज़
3. पॉलीसैकराइड्स (Polysaccharides) – जटिल कार्बोहाइड्रेट (Complex Carbohydrates)
पॉलीसैकराइड्स लंबी मोनोसैकराइड श्रृंखलाएँ (Chains of Monosaccharides) होती हैं, जो ऊर्जा भंडारण और संरचनात्मक कार्यों में सहायक होती हैं।
मुख्य प्रकार:
पॉलीसैकराइड्स | संरचना | कार्य | स्रोत |
---|---|---|---|
स्टार्च (Starch) | ग्लूकोज़ की लंबी श्रृंखला | पादपों में ऊर्जा भंडारण | चावल, आलू, गेहूं |
ग्लाइकोजन (Glycogen) | ग्लूकोज़ की शाखायुक्त श्रृंखला | जंतुओं में ऊर्जा भंडारण | यकृत, मांसपेशियाँ |
सेल्युलोज़ (Cellulose) | ग्लूकोज़ की रैखिक श्रृंखला | पौधों की कोशिका भित्ति निर्माण | हरी सब्जियाँ, अनाज |
काइटिन (Chitin) | N-असेटाइलग्लूकोज़ अमीन | कवकों की कोशिका भित्ति और कीटों के बाहरी कंकाल में | केकड़ा, झींगा, फंगस |
➡ स्टार्च और ग्लाइकोजन ऊर्जा भंडारण में सहायक होते हैं, जबकि सेल्युलोज़ और काइटिन संरचनात्मक कार्यों में।
कार्बोहाइड्रेट के कार्य (Functions of Carbohydrates):
✅ तात्कालिक ऊर्जा स्रोत: ग्लूकोज़ से ATP (Adenosine Triphosphate) का उत्पादन होता है।
✅ ऊर्जा भंडारण: स्टार्च और ग्लाइकोजन ऊर्जा को संग्रहित रखते हैं।
✅ संरचनात्मक भूमिका: सेल्युलोज़ पौधों की कोशिका भित्ति का मुख्य घटक है।
✅ पाचन में सहायक: आहार फाइबर (Dietary Fiber) पाचन में मदद करता है।
✅ मस्तिष्क कार्य के लिए आवश्यक: ग्लूकोज़ न्यूरॉन्स के लिए प्राथमिक ऊर्जा स्रोत है।
✅ हार्मोनल संतुलन में सहायक: इंसुलिन और ग्लूकागन कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करते हैं।
पाचन और अवशोषण (Digestion and Absorption of Carbohydrates)
1️⃣ मुंह में पाचन: ऐमाइलेज (Amylase) स्टार्च को माल्टोज़ में तोड़ता है।
2️⃣ आंतों में पाचन: डाइसैकराइड्स एंजाइम्स (सुक्रेज, लैक्टेज) द्वारा मोनोसैकराइड्स में परिवर्तित होते हैं।
3️⃣ रक्त प्रवाह: मोनोसैकराइड्स आंतों से रक्त में अवशोषित होते हैं।
4️⃣ शरीर में उपयोग: कोशिकाएँ इन्हें ATP उत्पादन के लिए उपयोग करती हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):
कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए अनिवार्य पोषक तत्व हैं, जो ऊर्जा प्रदान करने के अलावा, विभिन्न जैविक कार्यों में सहायक होते हैं। सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का सेवन स्वस्थ चयापचय, मस्तिष्क कार्य और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है
2. प्रोटीन (Proteins)
परिचय (Introduction):
प्रोटीन जैव-अणुओं (Biomolecules) का एक महत्वपूर्ण समूह है, जो शरीर के संरचनात्मक और कार्यात्मक कार्यों में मुख्य भूमिका निभाता है। यह कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), ऑक्सीजन (O), और नाइट्रोजन (N) से बना होता है, और कुछ प्रोटीन में सल्फर (S) और फॉस्फोरस (P) भी पाया जाता है। प्रोटीन को “शरीर का निर्माण खंड (Building Blocks of the Body)” कहा जाता है, क्योंकि यह कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों की संरचना और कार्य में सहायक होता है।
प्रोटीन के मुख्य घटक (Basic Units of Proteins):
प्रोटीन अमीनो एसिड (Amino Acids) से बने होते हैं, जो एक-दूसरे से पेप्टाइड बंध (Peptide Bond) द्वारा जुड़े होते हैं। अमीनो एसिड की श्रृंखला से बनता हुआ अणु पॉलीपेप्टाइड (Polypeptide) कहलाता है, और जब यह एक विशिष्ट संरचना ग्रहण कर लेता है, तब यह कार्यात्मक प्रोटीन (Functional Protein) बन जाता है।
अमीनो एसिड (Amino Acids) और उनके प्रकार:
अमीनो एसिड वह कार्बनिक यौगिक होते हैं, जिनमें एक एमिनो समूह (-NH₂) और एक कार्बोक्सिल समूह (-COOH) होता है। ये प्रोटीन के मूलभूत घटक होते हैं।
अमीनो एसिड के प्रकार:
अमीनो एसिड को दो भागों में बाँटा जाता है –
1️⃣ आवश्यक अमीनो एसिड (Essential Amino Acids):
- शरीर में संश्लेषित (Synthesize) नहीं होते, इसलिए इन्हें आहार से प्राप्त करना आवश्यक होता है।
- उदाहरण: लाइसिन (Lysine), ल्यूसीन (Leucine), वेलीन (Valine), ट्रिप्टोफैन (Tryptophan), थ्रेओनीन (Threonine), हिस्टिडीन (Histidine), आइसोल्यूसीन (Isoleucine), फेनिलएलैनिन (Phenylalanine), और मेथियोनीन (Methionine)।
- ये दूध, अंडे, मांस, सोयाबीन, दालें और नट्स में पाए जाते हैं।
2️⃣ अनावश्यक अमीनो एसिड (Non-Essential Amino Acids):
- शरीर इन्हें स्वयं संश्लेषित कर सकता है।
- उदाहरण: एलानिन (Alanine), ग्लाइसिन (Glycine), ग्लूटामिक एसिड (Glutamic Acid), एस्पार्टिक एसिड (Aspartic Acid), सेरीन (Serine) आदि।
प्रोटीन के स्तर (Levels of Protein Structure)
प्रोटीन की जटिल संरचना को चार स्तरों में विभाजित किया जाता है:
1️⃣ प्राथमिक संरचना (Primary Structure):
- अमीनो एसिड की एक सीधी श्रृंखला होती है।
- Example: इंसुलिन (Insulin)
2️⃣ द्वितीयक संरचना (Secondary Structure):
- हाइड्रोजन बॉन्डिंग के कारण प्रोटीन α-Helix और β-Pleated Sheets का रूप लेता है।
- Example: केराटिन (Keratin)
3️⃣ तृतीयक संरचना (Tertiary Structure):
- प्रोटीन की 3D संरचना, जो हाइड्रोजन बॉन्ड, आयनिक बॉन्ड और हाइड्रोफोबिक इंटरैक्शन द्वारा स्थिर होती है।
- Example: मायोग्लोबिन (Myoglobin)
4️⃣ चतुर्थक संरचना (Quaternary Structure):
- दो या अधिक पॉलीपेप्टाइड चेन का जुड़ना।
- Example: हीमोग्लोबिन (Hemoglobin)
प्रोटीन के प्रकार (Types of Proteins):
प्रोटीन को उनकी संरचना और कार्य के आधार पर कई प्रकारों में विभाजित किया जाता है।
1. संरचनात्मक प्रोटीन (Structural Proteins):
- ये प्रोटीन शरीर की संरचना (Structure) बनाने में सहायक होते हैं।
- उदाहरण:
- कोलाजेन (Collagen): हड्डियों, त्वचा, और संयोजी ऊतकों में पाया जाता है।
- केराटिन (Keratin): बालों, नाखूनों और त्वचा का प्रमुख घटक।
- एलेस्टिन (Elastin): त्वचा और रक्त वाहिकाओं को लचीलापन प्रदान करता है।
2. कार्यात्मक प्रोटीन (Functional Proteins):
- ये प्रोटीन शरीर में जैविक गतिविधियों को संचालित करते हैं।
- उदाहरण:
- एंजाइम (Enzymes): जैविक उत्प्रेरक जो शरीर में रासायनिक क्रियाओं को गति देते हैं। (जैसे, एमाइलेज, लिपेज, पेप्सिन)
- हार्मोन (Hormones): शरीर के कार्यों को नियंत्रित करते हैं। (जैसे, इंसुलिन, ग्लूकागन)
- एंटीबॉडी (Antibodies): प्रतिरक्षा प्रणाली में संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
प्रोटीन के कार्य (Functions of Proteins):
✅ संरचनात्मक कार्य (Structural Role): त्वचा, हड्डियाँ, मांसपेशियाँ और संयोजी ऊतकों का निर्माण करते हैं।
✅ एंजाइम के रूप में (As Enzymes): जैव रासायनिक अभिक्रियाओं को तेज करते हैं।
✅ ऊर्जा स्रोत (Energy Source): कार्बोहाइड्रेट और वसा की अनुपस्थिति में ऊर्जा प्रदान करते हैं।
✅ प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System): एंटीबॉडीज शरीर को संक्रमण से बचाती हैं।
✅ हार्मोनल नियंत्रण (Hormonal Control): इंसुलिन, ग्लूकागन जैसे हार्मोन शरीर की चयापचय क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
✅ मांसपेशी संकुचन (Muscle Contraction): एक्टिन और मायोसिन प्रोटीन मांसपेशियों की गति में सहायता करते हैं।
✅ परिवहन (Transport): हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन के परिवहन में मदद करता है
बायोमोलेक्यूल्स का महत्व:
✅ जीवों की संरचना और कार्यों को नियंत्रित करते हैं।
✅ ऊर्जा उत्पादन और भंडारण में सहायक होते हैं।
✅ एंजाइम्स और हार्मोन्स का निर्माण करते हैं।
✅ आनुवंशिक जानकारी को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाते हैं।
प्रोटीन का पाचन और अवशोषण (Digestion and Absorption of Proteins)
1️⃣ मुख (Mouth): कोई पाचन नहीं होता।
2️⃣ पेट (Stomach):पेप्सिन (Pepsin) एंजाइम प्रोटीन को छोटे पेप्टाइड्स में तोड़ता है।
3️⃣ छोटी आंत (Small Intestine):ट्रिप्सिन (Trypsin) और काइमोट्रिप्सिन (Chymotrypsin) पेप्टाइड्स को और छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं।
4️⃣ अंतिम पाचन और अवशोषण:अमीनो एसिड रक्त प्रवाह में प्रवेश कर लेते हैं।
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग (Diseases Due to Protein Deficiency)
🚨 क्वॉशियोरकोर (Kwashiorkor):
- मुख्य रूप से बच्चों में देखा जाता है।
- लक्षण: सूजी हुई त्वचा, सूखा शरीर, बालों का झड़ना।
🚨 मारास्मस (Marasmus):
- कैलोरी और प्रोटीन दोनों की कमी से होता है।
- लक्षण: वजन में कमी, ऊर्जा की कमी, कमजोर मांसपेशियाँ।
🚨 एनीमिया (Anemia):
- हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी।
🚨 मांसपेशियों की कमजोरी (Muscle Wasting):
- शरीर में प्रोटीन की कमी से मांसपेशियों का क्षय।
निष्कर्ष:
बायोमोलेक्यूल्स सभी जैविक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक होते हैं। ये जीवन के निर्माण खंड हैं और पोषण, चयापचय (Metabolism), वृद्धि, और विकास जैसी प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनका संतुलित मात्रा में शरीर में होना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
3. लिपिड (Lipids)
परिभाषा (Definition):
लिपिड जैव-अणुओं (Biomolecules) का एक प्रमुख समूह है, जो कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), और ऑक्सीजन (O) से मिलकर बना होता है। कुछ लिपिड में फॉस्फोरस (P), नाइट्रोजन (N) और सल्फर (S) भी मौजूद हो सकते हैं। ये जल में अघुलनशील (Hydrophobic) होते हैं, लेकिन कार्बनिक सॉल्वेंट्स (जैसे बेंजीन, क्लोरोफॉर्म, एथर) में घुलनशील होते हैं।
📌 Mnemonic for Lipid Elements: “CHO + PNS” (Carbon, Hydrogen, Oxygen + Phosphorus, Nitrogen, Sulfur)
लिपिड की संरचना (Structure of Lipids)
लिपिड मुख्य रूप से फैटी एसिड (Fatty Acids) और ग्लिसरॉल (Glycerol) से मिलकर बने होते हैं।
1️⃣ फैटी एसिड (Fatty Acids):
- एक हाइड्रोकार्बन चेन होती है, जिसका एक सिरा कार्बोक्सिल समूह (-COOH) और दूसरा सिरा हाइड्रोकार्बन टेल (-CH₃) होता है।
- लंबाई: 4 से 36 कार्बन परमाणु तक हो सकती है।
2️⃣ ग्लिसरॉल (Glycerol):
- एक ट्राइहाइड्रिक अल्कोहल (C₃H₈O₃) होता है, जो फैटी एसिड से मिलकर ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) बनाता है।
🔹 Basic Structure of Lipid:Glycerol+Fatty Acids→Lipid (Triglyceride)\text{Glycerol} + \text{Fatty Acids} \rightarrow \text{Lipid (Triglyceride)}Glycerol+Fatty Acids→Lipid (Triglyceride)
फैटी एसिड के प्रकार (Types of Fatty Acids)
फैटी एसिड को उनकी संरचना के आधार पर दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है:
1️⃣ संतृप्त फैटी एसिड (Saturated Fatty Acids):
- इनमें सिंगल बॉन्ड (-C-C-) होते हैं।
- ये कमरे के तापमान पर ठोस होते हैं।
- Example: बटर (Butter), नारियल तेल (Coconut Oil), पाम ऑयल (Palm Oil)
2️⃣ असंतृप्त फैटी एसिड (Unsaturated Fatty Acids):
- इनमें एक या अधिक डबल बॉन्ड (-C=C-) होते हैं।
- ये कमरे के तापमान पर तरल होते हैं।
- Example: जैतून तेल (Olive Oil), सूरजमुखी तेल (Sunflower Oil), फिश ऑयल (Fish Oil)
🔹 Essential Fatty Acids (EFAs):
- शरीर इन्हें स्वयं नहीं बना सकता, इसलिए आहार से प्राप्त करना आवश्यक होता है।
- Examples:
- ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega-3 Fatty Acid) – फिश ऑयल, अलसी
- ओमेगा-6 फैटी एसिड (Omega-6 Fatty Acid) – सोयाबीन, सूरजमुखी तेल
लिपिड के प्रकार (Types of Lipids)
1️⃣ सरल लिपिड (Simple Lipids):
- केवल फैटी एसिड और ग्लिसरॉल से बने होते हैं।
- Examples: ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides), वैक्स (Waxes)
2️⃣ संयुग्मित लिपिड (Compound Lipids):
- इनमें अतिरिक्त तत्व जैसे फॉस्फोरस, कार्बोहाइड्रेट या प्रोटीन जुड़े होते हैं।
- Examples:
- फॉस्फोलिपिड (Phospholipids) – कोशिका झिल्ली का मुख्य घटक
- ग्लाइकोलिपिड (Glycolipids) – मस्तिष्क और तंत्रिका कोशिकाओं में
3️⃣ व्युत्पन्न लिपिड (Derived Lipids):
- लिपिड के संश्लेषण से बने घटक।
- Examples: स्टेरॉइड्स (Steroids), कारोटिनॉइड्स (Carotenoids), प्रोस्टाग्लैंडिन्स (Prostaglandins)
📌 Mnemonic for Lipid Types: “Simple, Compound, Derived”
लिपिड के कार्य (Functions of Lipids)
✅ ऊर्जा स्रोत (Energy Source):
- 1 ग्राम लिपिड से 9 kcal ऊर्जा मिलती है (कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से अधिक)।
✅ कोशिका झिल्ली का निर्माण (Cell Membrane Structure):
- फॉस्फोलिपिड (Phospholipid Bilayer) कोशिका झिल्ली का मुख्य घटक है।
✅ इंसुलेशन (Insulation):
- शरीर को ठंड से बचाने के लिए वसा एक परत बनाता है।
✅ हार्मोन संश्लेषण (Hormone Synthesis):
- कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) से स्टेरॉयड हार्मोन (जैसे टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन) बनते हैं।
✅ जल प्रतिरोध (Water Resistance):
- त्वचा पर मौजूद सेबम (Sebum) जल को रोकता है।
✅ संकेतक अणु (Signaling Molecules):
- प्रोस्टाग्लैंडिन्स (Prostaglandins) प्रज्वलन (Inflammation) और रक्तचाप नियंत्रण में मदद करते हैं।
लिपिड का पाचन और अवशोषण (Digestion and Absorption of Lipids)
1️⃣ मुख (Mouth):
- कोई पाचन नहीं होता।
2️⃣ पेट (Stomach):
- गैस्ट्रिक लिपेज (Gastric Lipase) नामक एंजाइम थोड़ा पाचन करता है।
3️⃣ छोटी आंत (Small Intestine):
- पित्त लवण (Bile Salts) लिपिड को इमल्सीफाई करते हैं।
- लिपेज (Lipase) एंजाइम ट्राइग्लिसराइड को ग्लिसरॉल और फैटी एसिड में तोड़ता है।
4️⃣ अवशोषण (Absorption):
- छोटी आंत में माइक्रोविली (Microvilli) के द्वारा लिपिड को अवशोषित किया जाता है।
📌 Mnemonic for Lipid Digestion: “Bile + Lipase = Breakdown”
लिपिड की कमी से होने वाले रोग (Diseases Due to Lipid Deficiency)
🚨 विटामिन की कमी (Vitamin Deficiency):
- वसा में घुलनशील विटामिन (A, D, E, K) का अवशोषण नहीं हो पाता।
🚨 ऊर्जा की कमी (Energy Deficiency):
- शरीर में कम ऊर्जा भंडारण होने से कमजोरी और थकान।
🚨 सूखी त्वचा और बाल (Dry Skin and Hair):
- त्वचा और बालों में नमी की कमी।
🚨 मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम पर प्रभाव:
- माइलिन शीथ (Myelin Sheath) का निर्माण कम होने से न्यूरोलॉजिकल समस्याएं।
लिपिड के अच्छे स्रोत (Best Sources of Lipids)
1️⃣ पशु स्रोत (Animal Sources):
🐟 मछली, 🥚 अंडे, 🥩 मांस, 🥛 दूध, 🧀 मक्खन
2️⃣ वनस्पति स्रोत (Plant Sources):
🌿 जैतून का तेल, 🌰 बादाम, 🥜 मूंगफली, 🥑 एवोकाडो, 🌻 सूरजमुखी तेल
NEET में लिपिड से जुड़े संभावित प्रश्न
✔ Q1. लिपिड के पाचन में कौन सा एंजाइम कार्य करता है?
- उत्तर: लिपेज (Lipase)
✔ Q2. कौन सा लिपिड कोशिका झिल्ली का मुख्य घटक है?
- उत्तर: फॉस्फोलिपिड (Phospholipid)
✔ Q3. वसा में घुलनशील विटामिन कौन-कौन से हैं?
- उत्तर: A, D, E, K
✔ Q4. ओमेगा-3 और ओमेगा-6 किस श्रेणी के फैटी एसिड हैं?
- उत्तर: आवश्यक फैटी एसिड (Essential Fatty Acids)
निष्कर्ष (Conclusion):
लिपिड ऊर्जा भंडारण, कोशिका झिल्ली संरचना, हार्मोन निर्माण और कई अन्य कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं। NEET परीक्षा में इससे संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं, इसलिए इनकी संरचना, कार्य, पाचन और प्रकारों को समझना जरूरी है। 🚀
4. न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acids)
परिचय (Introduction):
न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acids) जीवन के मूलभूत जैव-अणु (Biomolecules) हैं, जो अनुवांशिक सूचना (Genetic Information) के भंडारण और संचारण के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये डीएनए (DNA) और आरएनए (RNA) के रूप में पाए जाते हैं। न्यूक्लिक एसिड पॉलीन्यूक्लियोटाइड (Polynucleotide) श्रृंखलाओं से बने होते हैं, जिनमें न्यूक्लियोटाइड (Nucleotide) नामक मोनोमर इकाइयाँ होती हैं।
📌 Mnemonic: “NA → DNA & RNA”
न्यूक्लिक एसिड की संरचना (Structure of Nucleic Acids)
न्यूक्लिक एसिड न्यूक्लियोटाइड्स (Nucleotides) से मिलकर बने होते हैं। प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड में तीन मुख्य घटक होते हैं:
1️⃣ नाइट्रोजनी बेस (Nitrogenous Base)
- प्यूरिन (Purines) → एडेनिन (Adenine, A) और गुआनिन (Guanine, G)
- पिरिमिडीन (Pyrimidines) → साइटोसिन (Cytosine, C), थाइमिन (Thymine, T – केवल DNA में) और यूरैसिल (Uracil, U – केवल RNA में)
2️⃣ पेंटोज शुगर (Pentose Sugar)
- डीऑक्सीराइबोज (Deoxyribose) – DNA में
- राइबोज (Ribose) – RNA में
3️⃣ फॉस्फेट समूह (Phosphate Group)
- न्यूक्लियोटाइड को जोड़कर पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला बनाता है।
📌 Mnemonic for Bases: “Pure As Gold (A, G = Purines)” & “CUT the PY (C, U, T = Pyrimidines)”
न्यूक्लिक एसिड के प्रकार (Types of Nucleic Acids)
1️⃣ डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA – Deoxyribonucleic Acid)
🔹 मुख्य कार्य: आनुवंशिक जानकारी को संग्रहीत और स्थानांतरित करना।
🔹 संरचना:
- डबल हेलिक्स (Double Helix) संरचना
- पेंटोज शुगर: डीऑक्सीराइबोज
- नाइट्रोजनी बेस: A, T, C, G
- बॉन्डिंग:
- A = T (दो हाइड्रोजन बॉन्ड)
- C ≡ G (तीन हाइड्रोजन बॉन्ड)
🔹 DNA के गुणधर्म:
✅ स्वयं की प्रतिकृति बना सकता है (Self-Replication)
✅ स्थायी आनुवंशिक सामग्री (Stable Genetic Material)
✅ न्यूक्लियस (Eukaryotes) और साइटोप्लाज्म (Prokaryotes) में पाया जाता है
📌 Mnemonic: “A-T Double, C-G Triple”
2️⃣ राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA – Ribonucleic Acid)
🔹 मुख्य कार्य:
- आनुवंशिक जानकारी का प्रोटीन संश्लेषण में उपयोग।
- डीएनए से सूचना को राइबोसोम तक ले जाना।
🔹 संरचना:
- सिंगल-स्ट्रैंडेड (Single-Stranded)
- पेंटोज शुगर: राइबोज
- नाइट्रोजनी बेस: A, U, C, G
- बॉन्डिंग:
- A = U (दो हाइड्रोजन बॉन्ड)
- C ≡ G (तीन हाइड्रोजन बॉन्ड)
📌 Mnemonic for RNA Bases: “A pairs with U in RNA”
RNA के प्रकार (Types of RNA)
1️⃣ mRNA (Messenger RNA):
- डीएनए से सूचना लेकर राइबोसोम तक जाता है।
- प्रोटीन संश्लेषण के लिए कोडन (Codon) लाता है।
2️⃣ rRNA (Ribosomal RNA):
- राइबोसोम का मुख्य घटक।
- प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करता है।
3️⃣ tRNA (Transfer RNA):
- एमिनो एसिड को राइबोसोम तक लाता है।
- एंटी-कोडन (Anticodon) द्वारा mRNA से जुड़ता है।
📌 Mnemonic for RNA Types: “mRNA = Messenger, rRNA = Ribosome, tRNA = Transfer”
DNA बनाम RNA (Differences Between DNA & RNA)
विशेषता | DNA | RNA |
---|---|---|
शुगर | डीऑक्सीराइबोज | राइबोज |
स्ट्रैंड्स | डबल-स्ट्रैंडेड | सिंगल-स्ट्रैंडेड |
नाइट्रोजनी बेस | A, T, C, G | A, U, C, G |
कार्य | आनुवंशिक जानकारी का भंडारण | प्रोटीन संश्लेषण |
पायजे कहाँ जाता है? | न्यूक्लियस में (Eukaryotes) | न्यूक्लियस और साइटोप्लाज्म दोनों में |
📌 Mnemonic: “DNA – T, RNA – U”
न्यूक्लिक एसिड का संश्लेषण (Synthesis of Nucleic Acids)
- DNA संश्लेषण: DNA पॉलिमरेज़ (DNA Polymerase) एंजाइम द्वारा होता है।
- RNA संश्लेषण: RNA पॉलिमरेज़ (RNA Polymerase) द्वारा होता है।
📌 Mnemonic: “DNA Pol = DNA, RNA Pol = RNA”
न्यूक्लिक एसिड के कार्य (Functions of Nucleic Acids)
✅ आनुवंशिक सूचना का भंडारण (Storage of Genetic Information) – DNA
✅ प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis) – RNA
✅ कोशिका विभाजन (Cell Division) में सहायता
✅ आनुवंशिक गुणों को पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचाना
✅ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में सहायता (कुछ RNA वायरस)
DNA रिप्लिकेशन (DNA Replication) – NEET में महत्वपूर्ण
🔹 अर्ध-संरक्षणीय (Semi-Conservative) प्रक्रिया
🔹 एंजाइम:
- हेलिकेज (Helicase): DNA को खोलता है।
- DNA पॉलिमरेज़ (DNA Polymerase): नया स्ट्रैंड जोड़ता है।
- लिगेज (Ligase): नये फ्रेगमेंट्स को जोड़ता है।
📌 Mnemonic: “Helicase Unwinds, Polymerase Builds, Ligase Joins”
न्यूक्लिक एसिड की कमी से होने वाले रोग (Diseases Due to Nucleic Acid Deficiency)
🚨 जेनेटिक डिसऑर्डर (Genetic Disorders):
- सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia)
- हंटिंगटन डिजीज (Huntington’s Disease)
- सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis)
🚨 RNA वायरस से संक्रमण (RNA Virus Infections):
- COVID-19 (SARS-CoV-2)
- इन्फ्लूएंजा (Influenza)
- HIV/AIDS
NEET में न्यूक्लिक एसिड से जुड़े संभावित प्रश्न
✔ Q1. DNA की संरचना किस वैज्ञानिक ने बताई थी?
- उत्तर: वाटसन और क्रिक (Watson & Crick)
✔ Q2. RNA में थाइमिन (Thymine) के स्थान पर कौन सा बेस होता है?
- उत्तर: यूरैसिल (Uracil)
✔ Q3. प्रोटीन संश्लेषण में कौन-कौन से RNA भाग लेते हैं?
- उत्तर: mRNA, tRNA, rRNA
✔ Q4. DNA का प्रतिकृति बनने की विधि कौन सी है?
- उत्तर: अर्ध-संरक्षणीय विधि (Semi-Conservative Method)
निष्कर्ष (Conclusion):
न्यूक्लिक एसिड DNA और RNA के रूप में जीवन के लिए अनिवार्य हैं। ये आनुवंशिक सूचना को संग्रहित, प्रसारित और व्यक्त करने में मदद करते हैं। NEET परीक्षा में इससे जुड़े प्रश्न निश्चित रूप से आते हैं, इसलिए इस टॉपिक को अच्छे से समझना जरूरी है। 🚀
5.एंजाइम (Enzymes)
परिचय (Introduction):
एंजाइम (Enzymes) जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं (Biochemical Reactions) को तेज करने वाले जैव उत्प्रेरक (Biocatalysts) होते हैं। ये प्रोटीन के रूप में होते हैं और शरीर में होने वाली सभी चयापचय (Metabolism) क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
📌 Mnemonic: “Enzymes = Biochemical Speed Boosters”
एंजाइम की विशेषताएँ (Characteristics of Enzymes)
✅ उत्प्रेरक (Catalyst) होते हैं – अभिक्रिया को गति देते हैं लेकिन स्वयं अपरिवर्तित रहते हैं।
✅ प्रोटीन प्रकृति के होते हैं (कुछ अपवाद RNA एंजाइम जैसे राइबोजाइम)।
✅ विशिष्टता (Specificity) होती है – एक एंजाइम केवल एक ही प्रकार की अभिक्रिया को उत्प्रेरित करता है।
✅ कम तापमान पर सक्रिय रहते हैं – शरीर में 37°C पर सबसे अधिक क्रियाशील होते हैं।
✅ पीएच (pH) संवेदनशील होते हैं – जैसे पेप्सिन अम्लीय pH (2) में सक्रिय होता है जबकि ट्रिप्सिन क्षारीय pH (8) में।
✅ उच्च दक्षता (High Efficiency) रखते हैं – बहुत कम मात्रा में ही बड़ी अभिक्रिया को तेज कर सकते हैं।
📌 Mnemonic: “SPECIFIC पंडित ENZYME को PH & TEMP पसंद है”
एंजाइम की संरचना (Structure of Enzymes)
🔹 एंजाइम दो मुख्य भागों से मिलकर बना होता है:
1️⃣ अपोएंजाइम (Apoenzyme):
- यह एंजाइम का प्रोटीन भाग होता है।
- यह स्वयं सक्रिय नहीं होता, जब तक कि इसमें सहायक अणु (Cofactor) न जुड़ जाए।
2️⃣ सहायक अणु (Cofactor):
- यह एंजाइम को सक्रिय करता है।
- तीन प्रकार के होते हैं:
- कोफैक्टर (Cofactor): Mg²⁺, Zn²⁺, Fe²⁺ आदि।
- कोएंजाइम (Coenzyme): विटामिन से बने छोटे कार्बनिक अणु (जैसे NAD, FAD, Coenzyme A)।
- प्रोस्थेटिक समूह (Prosthetic Group): एंजाइम से स्थायी रूप से जुड़े अणु (जैसे हीम ग्रुप)।
📌 Mnemonic: “Apoenzyme + Cofactor = Holoenzyme (Active Form)”
एंजाइम की क्रिया (Mechanism of Enzyme Action)
एंजाइम किस प्रकार कार्य करते हैं?
✔ सब्सट्रेट (Substrate) – वह पदार्थ जिस पर एंजाइम कार्य करता है।
✔ उत्पाद (Product) – एंजाइम की क्रिया से बनने वाला अंतिम पदार्थ।
✔ सक्रिय स्थळ (Active Site) – एंजाइम का वह भाग जहां सब्सट्रेट जुड़ता है।
📌 Mnemonic: “Substrate Fits into Enzyme Like a Key in Lock”
एंजाइम क्रिया के मॉडल (Models of Enzyme Action)
1️⃣ लॉक और की मॉडल (Lock and Key Model):
- सब्सट्रेट एंजाइम की सक्रिय स्थळ में उसी तरह फिट होता है जैसे ताले में चाबी।
- यह 100% विशिष्टता (Specificity) दिखाता है।
2️⃣ प्रेरित उपयुक्तता मॉडल (Induced Fit Model):
- एंजाइम का सक्रिय स्थळ सब्सट्रेट के जुड़ने पर थोड़ा बदलता है।
- यह अधिक लचीलापन (Flexibility) दिखाता है।
📌 Mnemonic: “Induced Fit = Flexible Fit”
एंजाइम की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Enzyme Activity)
1️⃣ तापमान (Temperature):
- अधिकांश एंजाइम 37°C (शरीर का सामान्य तापमान) पर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं।
- अत्यधिक गर्मी से एंजाइम डीनेचर (Denature) हो जाता है।
2️⃣ pH (पीएच):
- पेप्सिन (Pepsin) → अम्लीय pH (2) में सक्रिय
- ट्रिप्सिन (Trypsin) → क्षारीय pH (8) में सक्रिय
3️⃣ सब्सट्रेट की सांद्रता (Substrate Concentration):
- यदि सब्सट्रेट की मात्रा बढ़ती है, तो प्रतिक्रिया की गति भी बढ़ती है।
4️⃣ इनहिबिटर (Inhibitors):
- ये एंजाइम की क्रिया को रोकते हैं।
- दो प्रकार के होते हैं:
- प्रतिस्पर्धात्मक (Competitive Inhibitor): सक्रिय स्थळ पर जाकर सब्सट्रेट के स्थान पर जुड़ते हैं (जैसे सल्फा ड्रग्स)।
- अप्रतिस्पर्धात्मक (Non-Competitive Inhibitor): एंजाइम के किसी अन्य भाग से जुड़कर उसकी गतिविधि को बदल देते हैं (जैसे साइनाइड)।
📌 Mnemonic: “Hot or Acid/Alkaline Kills Enzymes”
एंजाइम के प्रकार (Types of Enzymes)
🔹 एंजाइमों को उनके कार्य के आधार पर 6 प्रमुख श्रेणियों में बाँटा गया है:
प्रकार | कार्य | उदाहरण |
---|---|---|
1️⃣ ऑक्सीडोरेडक्टेस (Oxidoreductases) | ऑक्सीकरण-अपचयन (Oxidation-Reduction) | कैटालेज़ (Catalase) |
2️⃣ ट्रांसफेरेज़ (Transferases) | एक समूह को दूसरे अणु में स्थानांतरित करता है | काइनेज़ (Kinase) |
3️⃣ हाइड्रोलैसेज़ (Hydrolases) | हाइड्रोलिसिस (Hydrolysis) करता है | लिपेज (Lipase) |
4️⃣ लाइएज़ (Lyases) | बांड तोड़ता है बिना पानी जोड़ें | डिकार्बोक्सिलेज (Decarboxylase) |
5️⃣ आइसोमेरेज़ (Isomerases) | अणु का आइसोमर बनाता है | फॉस्फोग्लूकोम्यूटेज़ (Phosphoglucomutase) |
6️⃣ लिगेज (Ligases) | दो अणुओं को जोड़ता है | DNA लिगेज (DNA Ligase) |
📌 Mnemonic: “Over The HILL (Oxidoreductase, Transferase, Hydrolase, Isomerase, Lyase, Ligase)”
एंजाइम से संबंधित महत्वपूर्ण NEET प्रश्न
✔ Q1. एंजाइम का प्रोटीन भाग क्या कहलाता है?
- उत्तर: अपोएंजाइम (Apoenzyme)
✔ Q2. एंजाइम की सक्रिय स्थळ क्या होता है?
- उत्तर: वह भाग जहां सब्सट्रेट जुड़ता है।
✔ Q3. एंजाइम के किस प्रकार में ऑक्सीकरण-अपचयन क्रिया होती है?
- उत्तर: ऑक्सीडोरेडक्टेस (Oxidoreductase)
✔ Q4. किस एंजाइम को “जीवन का अणु (Molecule of Life)” कहा जाता है?
- उत्तर: DNA लिगेज (DNA Ligase)
✔ Q5. पेप्सिन और ट्रिप्सिन में क्या अंतर है?
- उत्तर: पेप्सिन अम्लीय pH (2) में सक्रिय होता है, जबकि ट्रिप्सिन क्षारीय pH (8) में।
निष्कर्ष (Conclusion):
✅ एंजाइम बायोलॉजिकल उत्प्रेरक (Biological Catalysts) होते हैं जो जैव-रासायनिक क्रियाओं को तेज करते हैं।
✅ ये प्रोटीन होते हैं और अत्यधिक विशिष्टता रखते हैं।
✅ तापमान, pH, सब्सट्रेट सांद्रता और इनहिबिटर इनके कार्य को प्रभावित करते हैं।
✅ NEET में एंजाइम से जुड़े प्रत्यक्ष (Direct) और अनुप्रयुक्त (Applied) प्रश्न पूछे जाते हैं। 🚀