नींद लाने वाली और शान्ति प्रदान करने वाली औषधि (मेन्डेक्स, कम्पोज आदि) की अधिक मात्रा लेने से विषैले प्रभाव उत्पन्न होते हैं।
लक्षण – यह निर्भर करता है कि मरीज डॉक्टर के पास इसके प्रयोग के कितने समय बाद पहुँचता है एवं उसने कितनी मात्रा में औषधि ली है। प्रायः इनसे निम्न विषाक्त लक्षण देखने को मिलते हैं।
रोगी को नींद से लेकर बेहोशी तक आ जाती है। रक्त चाप (Blood Pressure) कम हो जाता है। यहाँ तक कि शरीर का तापमान भी कम मिलता है। हृदय की गति तेज होती है। शरीर नीला पड़ जाता है। रोगी में शॉक की अवस्था आ जाती है। आँख की पुतली फैल जाती है और उसमें प्रतिक्रिया नहीं होती है। शरीर के अन्य रिफेलेक्सिस भी घट जाते हैं।
उपचार- ऐसे में उदर की धुलाई पोटेशियम परमैग्नेट से करें। एनीमा देकर जो विष अवशोषित (Absorbe) न हुआ हो, उसे निकाल दें। नली डालकर पेशाब करायें। ग्लूकोज अथवा ‘ग्लूकोज-सैलाइन दें एवं हर 500 मिली पर 40 मिग्रा० I. V. इन्जेक्शन लेसिक्स नस में लगायें। इससे मूत्र अधिक मात्रा में आने लगता है। ऐसा 4-5 बार करें। प्रत्येक 6 घण्टे पर इन्जेक्शन पोटेशियम 20-40 मिग्रा० / ड्रिप में मिला कर दें। मूत्र कम आने पर डायलिसिस की व्यवस्था करें।
यदि रोगी का रक्तचाप बहुत कम है तो नार-एड्रीनलीन दे सकते हैं।