APPENDICITIS-एपेंडिसाइटिस/आंत्रपुच्छ शोथ

रोग परिचय 

जब पाचनतंत्र में उत्पन्न भारी आमदोष का असर आन्त्रपुच्छ (Appendix) पर होता है, तब उसमें सूजन आ जाती है। आंत्रपुच्छ की इस सूजन को ही एपेण्डिसाइटिस कहते हैं।

सामान्यतः युवावस्था में यह रोग अधिक देखने में आता है। इस रोग में किसी भी प्रकार की पूर्व चेतावनी के बिना ही अचानक पेट में सख्त दर्द उठता है। रोगी पेट के लगातार दर्द से कराहता रहता है।

रोग के प्रमुख कारण

यदि एपेंडिसाइटिस के कारणों की छानबीन की जाये तो निम्नलिखित तथ्य सामने आते हैं-

1 सख्त हो जाने वाला मल आन्त्रपुच्छ के पोषण में अवरोध उत्पन्न करता है इसलिये उसमें सूजन आ जाती है। 

2. कभी-कभी विषाणुओं या शरीर के अन्य

संक्रामक अवयवों से फैला हुआ संक्रमण सूजन उत्पन्न करता है। 

3. अरहर, सेम, चने के सूखे या हरे दानों वाला भोजन खा लेने और उसके साबुत दाने निगल लेने पर छिद्र में फँस जाने से सूजन आ जाती है।

4. महिलाओं की ओवरी में सूजन आ जाने पर भी एपेण्डिसाइटिस का दर्द हो सकता है।

रोग के प्रमुख लक्षण

एपेण्डिसाइटिस को पहचानना आसान है। उसके लक्षण भी स्पष्ट होते हैं। यथा- 1. बिना पूर्व चेतावनी के अचानक पेट में सख्त दर्द उठता है।

2. रोगी नाभि से नीचे के हिस्से को हाथ और घुटनों से पेट को दबाये पड़ा रहता है और पेट के लगातार दर्द से कराहता रहता है।

3. पेट का दर्द नाभि से नीचे दाहिनी तरफ लगभग 4 अंगुल की दूरी पर होता है। 4. एकाएक एक दो बार उल्टी हो जाती है ।

5. रोगी को मल त्याग नहीं होता, बंधकोश हो जाता है।

6. यदि एपेण्डिसाइटिस की सूजन बहुत ज्यादा हो या पक गया हो, उसमें मवाद पड़ गया हो तो दर्द होने के स्थान पर कभी-कभी लाल रंग का चकत्ता दिखायी पड़ता है। रोगी को टेम्परेचर होता है।

 7. इसका दर्द अधिकतर रात के समय ही उठता है।

Note

 एपेण्डिसाइटिस के बारे में अधिक निश्चिन्तता के लिये (For fine diagnose) के लिये बेरियम टैस्ट कराके एक्स-रे प्लेट निकलवा लेना आवश्यक है।

रोग की पहचान – एक दृष्टि में 

  1. मुख्य लक्षण यह है कि पेट का तेज दर्द जो लगातार बढ़ता ही जाता है। दर्द प्रायः नाभि के आस-पास के भाग में आरम्भ होता है। फिर यह दाय और निचले भाग में पहुँच जाता है।
  2. भूख न लगना, उल्टियाँ, कब्ज या थोड़ा-थोड़ा बुखार आदि हो सकते हैं।
  3. व्यक्ति को थोड़ा-सा खाँसने के लिये बोलें और देखें कि क्या पेट के नीचे तेज दर्द उठ रहा है या बायीं रान से थोडा ऊपर धीरे-धीरे लेकिन जोर से तब तक दबायें जब तक पीड़ा न अनुभव हो। तब एकदम से हाथ हटा लें। यदि हाथ उठाते ही पीड़ा की तीखी लहर उठे तो यह लक्षण एपेण्डिसाइटिस का हो सकता है। यदि बायीं ओर पीड़ा की लहर नहीं उठती तो यही क्रिया दायीं ओर भी करें।

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