Angina Pectoris- हृदय शूल

इसमें छाती के बीचों-बीच या छाती के बायीं तरफ बहुत तेज दर्द उठता है जो उल्टे हाथ, गर्दन व पीछे कमर तक चला जाता है। आराम करने पर या ग्लिसराइल ट्राइनाइट्रेट (Glyceryl Trinitrate) लेने पर ठीक हो जाता है।

Angina Pectoris

Angina Pectoris causes

हृदय शूल अधिकतर कोरोनरी धमनी में मेदार्बुद (Atheroma) के होने से होता है। कभी-कभी निम्नलिखित स्थितियों में भी ऐन्जाइना पैक्टोरिस हो सकता है- 

1. महाधमनी बाल संकीर्णता या महाधमनी कपाट असमर्थता । 

2. फुफ्फुसीय धमनियों की सिफिलिसी संकीर्णता । • 

3. कोरोनरी धमनियों का जन्मजात दोष । 

4. गंम्भीर अल्परक्तता ।

Angina Pectoris

Angina Pectoris symptoms

1. हृदय शूल का दर्द या भारीपन स्टरनम के पीछे या पुरोहद के ऊपर स्थानीय हो सकता है, लेकिन ज्यादातर बायें कन्धे एवं बायें हाथ के भीतरी भाग में प्रसारित होता है। कभी-कभी यह दर्द गर्दन की ओर, जबड़े तथा पीठ पर, दायीं बाँह या अधिजठर में प्रसारित होता है। 

2. दर्द काटता या चीरता या खरोंचता हुआ होता है। पर छाती में भारीपन या दबाव के रूप में भी अनुभव हो सकता है। 

3. दर्द एकाएक परिश्रम के साथ-साथ (जैसे-सीढ़ियों पर चढ़ते समय) आरम्भ होता है और विश्राम करने पर खत्म हो जाता है। दर्द चन्द मिनटों तक ही सीमित रहता है।

Angina Pectoris

रोग की पहचान एवं निदान

उपरोक्त लक्षणों के आधार पर निदान (रोग की पहचान) हो सकता है। इसके अतिरिक्त ECG रोग का निदान संभव है। यदि यह दौरा पड़ने के दौरान किया जाये या परिश्रम कराने के बाद किया जाये। कतिपय रोगियों में कोरोनरी एन्जियोग्राफी की आवश्यकता पड़ सकती है। रेडियो आइसोटोप परीक्षण द्वारा प्रभावित क्षेत्र में विश्राम की स्थिति में या परिश्रम के उपरान्त कम घने क्षेत्र (Cold Spotes) । हृदय-पेशी के क्षेत्र देखे जा सकते हैं।

रोग का परिणाम 

इसमें दर्द के दौरे के समय या बाद में रोगी की मृत्यु हृदय गति रुक जाने से हो सकती है। पहले ही हमले में रोगी की मृत्यु हो सकती है। दौरे के बाद जीवित रहने पर रोगी जोर-जोर से साँस लेता है। प्रायः मूत्र पीला और खाली डकारें आती हैं। रोगी कष्ट से छटपटाता है।

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