What is cervical spondylosis
गर्दन का दर्द यानि cervical spondylosis रहने की शिकायत दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। अब रोग का उम्र से नाता नहीं रह गया है। किसी भी उम्र के व्यक्ति को यह रोग हो सकता है। इस रोग में दर्द प्रारंभ में रुक-रुककर होता है परन्तु बाद में निरन्तर रहने लगता है। यह दर्द काम करते समय ज्यादा और सीधी गर्दन रखने में तकलीफ होती है। लेटने से दर्द कम हो जाता है।

Causes of cervical spondylosis
ऐसे लोग जो गर्दन के ज्यादा प्रयोग वाले कार्य में लगे रहते हैं जैसे-लिखने, पढ़ने का कार्य ऊँची तकिया लगाकर सोने वाले लोग। अब इस रोग से ऐसे लोग भी प्रभावित हो रहे है जो खराब सड़कों पर स्कूटर, मोटर साइकिल का ज्यादा प्रयोग करते हैं। सामान्य हड्डियों में आये बदलाव से (Wear & tear) से भी यह रोग होता है। गर्दन में चोट लगना भी दर्द का एक प्रमुख कारण हो सकता है। गर्दन की टी. बी. भी लम्बे समय से दर्द का कारण हो सकती है। गर्दन की जन्मजात विकृतियाँ कभी-कभी दर्द का कारण होती है। सरवाइकल स्पेन’ एवं ‘सरवाइकल डिस्क प्रोलेप्स’ रोग का कारण हो सकता है।
Symptoms of cervical spondylosis
गर्दन में अकड़न, दर्द व भारीपन रहता है। गर्दन को घुमाने में दिक्कत होती है। पीछे के हिस्से में सिर-दर्द रहता है। रोगी को कई बार चक्कर आने की भी शिकायत होती है। गर्दन में दर्द प्रारम्भ में रुक-रुककर होता है l
परन्तु बाद में निरन्तर रहने लगता है। यह दर्द काम करते समय ज्यादा और सीधी गर्दन रखने में तकलीफ होती है। लेटने से दर्द कम हो जाता है साथ ही दर्द निवारक दवायें और सिकाई भी दर्द में राहत लाती है। गर्दन के इस्तेमाल न होने की दशा में गर्दन में तनाव उत्पन्न हो जाता है। पर गर्दन के इस्तेमाल होने पर खत्म हो जाता है। गर्दन की माँसपेशियों में कड़ापन रहता है। गर्दन ऊपर नीचे करने में दर्द होता है परन्तु घुमाने में तकलीफ बहुत कम होती है। गर्दन पर पीछे की तरफ माँसपेशियों पर दबाने पर दर्द होता है ।

रोग की पहचान
रोग की पहचान के लिये उपरोक्त लक्षणों के साथ जब मरीज की गर्दन का एक्स-रे कराते हैं तो उससे भी रोग की पुष्टि होती है। एक्स-रे
1. दो हड्डियों के बीच का अन्तराल (गर्दन की रीढ़ की हड्डी में) कम हो जाता है।
2. दो परस्पर रीढ़ की हड्डी के किनारे ज्यादा मोटे व घने हो जाते हैं और आगे व पीछे की तरफ से हड्डी बढ़ जाती है।
3. गर्दन की रीढ़ की हड्डी के सामान्य इ पीछे की ओर के झुकाव का खत्म होना।
रोग का परिणाम
गर्दन की चोट एवं हड्डी में फ्रेक्चर एक खतरनाक चोट है, जिससे हाथ-पैर चलने बंद हो सकते हैं। यदि गर्दन के ऊपरी भाग में चोट लगे तो श्वास रुकने से रोगी की जान को खतरा भी हो सकता है। हड्डियों के किनारों पर ओस्टियोफाइट्स या स्पर बनने से आस-पास के माँस में सूजन आ जाती है, जिससे नसों व धमनियों पर दबाव पड़ता है। ओस्टियोफाइट्स के द्वारा स्पाइनल कोर्ड को चोट लगना, हाथ-पैरों का संज्ञाहीन होना इसके मुख्य उपद्रव हैं।
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