फेफड़ों में सूजन और बलगम जानिए क्या है इम्फीसीमा ?
यह एक ऐसा असाध्य रोग है जिसमें फेफड़े की वायुकोषायें (Alveoli) अधिक फूल जाती हैं। इस कारण इनकी दरारें पतली हो, कट-फट जाने से फेफड़ों के फैलने की शक्ति कम हो जाती है तथा रोगी को साँस लेने में दिक्कत आने लगती है।
Causes of emphysema
1. बार-बार सूखी खाँसी आने से व उसके बहुत समय तक रहने से।
2. दीर्घकालीन ब्रोंकाइटिस (Chronic Bron- chitis) और ब्रोंकियल अस्थमा इसके प्रमुख रोग प्रवण (Predisposing) कारण है।
3. हृदय तथा श्वास केन्द्रों के कार्यों का भली-भाँति पूरा न होना।
4. श्वसन तंत्र का बार-बार संक्रमण ।

Symptoms of emphysema
रोगी को थोड़ा-सा काम करते ही साँस फूलने लगती है। साधारणतः रोगी अधेड़ या उससे अधिक उम्र का होता है तथा उसमें काफी दिनों से चिरकारी श्वसनी शोथ या श्वसनी दमा का वृत्त मिलता है। इस रोग का मुख्य लक्षण कष्ट श्वास होता है (जो परिश्रम के उपरान्त होता है) । खाँसी के साथ-साथ थोड़ा बलगम भी निकलता है। ऐसे रोगियों को प्रायः चिरकारी श्वसनीशोथ अथवा चिरकारी संक्रमी दमा पहले से हुआ होता है। श्वास कष्ट की गम्भीरता प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है।

Note
शीतकाल एवं वातावरण में थोड़ी नमी बढ़ते ही श्वास नलियों में बदलाव आ जाते हैं और संक्रमण होने से खाँसी का ज्यादा आना, साँस फूलना व बलगम निकलना शुरू हो जाता है। आखिर में बैठे-बैठे भी साँस चढ़ने लगती है व रोगी रात में भी आराम से नहीं सो पाता है।
* बहुत वर्षों तक खाँसी व साँस की तकलीफ रहने से फेफड़ों में बदलाव आ जाने से ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइ ऑक्साइड की वृद्धि हो जाती है।
★ यह रोग वृद्ध पुरुषों में अधिक देखा जाता है।
रोग की पहचान
शारीरिक लक्षणों से इसे पहचाना जा सकता है- 1. साँस लेने पर छाती सिकुड़ जाती है।
2. ट्रेकिया साँस लेने पर नीचे चली जाती है।
3. साँस छोड़ते समय रोगी की ‘जुगलर ‘वेन’ स्पष्ट दिखायी देती है।
4. कण्ठ से घरघराहट की आवाज आती है ।
5. एक्स-रे में (Chest X-Ray) धब्बे से दिखते हैं जो स्पष्ट नहीं होते।
रोग का परिणाम
1. बार-बार संक्रमण होता रहता है। 2. पल्मोनरी हाइपरटेन्शन, न्यूमोथोरेक्स (Pneumothorax) तथा राइट वेंट्रीकुलर फेल्योर की सम्भावना रहती है।
What is chronic bronchitis
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