यदि किसी व्यक्ति का सिस्टोलिक रक्तचाप’ 100 और डायस्टोलिक रक्तचाप 60 से कम हो, तो इसे निम्न रक्तचाप (अल्प रक्तदाब) कहते हैं। यह स्तब्धता (शॉक) की पहली अवस्था हो सकती है। इसे लो ब्लड प्रेशर (Low Blood Pressure) भी कहते हैं।

Hypotension causes

1.संक्रमण (Infection)-लम्ब समय से रोग रहने पर। जैसे-टी. बी., टायफॉइड के रोग से।
2. दवाइयाँ-कई प्रकार की दवाइयाँ भी रक्तचाप को कम कर देती है। जैसे- फिनोथाइजीन, वीटा ब्लॉकर्स, कैल्शियम ब्लोकर्स के इस्तेमाल से।
3. हृदय रोग-हार्ट अटैक, मायोकार्डाइटिस, बाल्व में रुकावट, कार्डियक टेम्पोनेड आदि हृदय रोगों में भी रक्तचाप कम हो जाता है।
4. खून निकलना-खून के अधिक बह जाने से भी रक्तचाप में गिरावट आ जाती है। जैसे-बवासीर, मूत्रद्वार से खून निकलना, पेप्टिक अल्सर और अत्यार्तव में।
5. पोषण-कमजोरी अनीमिया, पानी की कमी, भोजन में प्रोटीन की कमी, भूख व उपवास के फलस्वरूप अल्प रक्तदाब की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

Other causes
1. बहुत अधिक समय तक खड़े रहने से।
2. लू लग जाने से भी रक्तचाप कम हो जाता है।
3. रक्त नलिकाओं के फूलने से ।
4. गुर्दे की बीमारी, बहुत अधिक परिश्रम व चिता, एलर्जी, आन्त्रशोथ, गर्भकाल आदि स्थितियों में भी रक्तचाप कम हो जाता है।

Hypotension symptoms
1. रोगी को सिर में दर्द व चक्कर आने शुरू हो जाते हैं। हाथ पैर ठंडे पड़ जाते हैं । उसका किसी काम में मन नहीं लगता है, भूख भी कम हो जाती है। खड़े होने पर आँखों के आगे अंधेरा छा जाता है। नब्ज तेज चलती है और रक्त का आयतन कम हो जाता है। रोगी को मूत्र कम आता है। और जरा सा परिश्रम करने पर साँस फूलने लगती है । थकावट तथा आलस्य रहता है। प्रायः तापक्रम सामान्य से कम रहता है। रोगी चुपचाप पड़ा रहता है, परन्तु वह होश में होता है । आँखें गड्ढे में धँसी प्रतीत होती हैं एवं उनकी स्वाभाविक चमक समाप्त हो जाती है । माँसपेशियों में ऐंठन और शरीर में विशेषकर हाथों में कंप पाया जाता है। इस रोग में अधिकतर श्यावता की स्थिति पायी जाती है (Cynaosis) । रक्तदाब में और अधिक हास होने पर रोगी बेहोश हो जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है।
रोग की पहचान
उपरोक्त लक्षणों के आधार पर निदान में कोई। कठिनाई नहीं होती है। ब्लड प्रेशर कम है या अधिक। इसकी जानकारी ब्लड प्रेशर यंत्र से माप कर मालूम की जा सकती है। ऊर्ध्व स्थितिज अल्प रक्तदाब में मुख्यतः लक्षण मूर्च्छा (Syncope) पायी जाती है पर यह मूर्च्छा अस्थायी होती है। यह केवल 4 से 30 सेकेण्ड रहती है।
रोग का परिणाम
कुछ रोगियों में अल्प रक्तदाब की स्थिति वर्षों तक चलती रहती है। यदि यह किसी तंत्रिकातंत्र अथवा अन्तःस्रावी ग्रन्थि की विकृति के कारण नहीं है, तो कुछ दिनों बाद स्वतः भी ठीक हो सकता है। उपचार करने पर स्थिति ज्यादा गम्भीर नहीं होती। रोगी अपनी जिंदगी आराम से काट लेता ।